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मरने के बावजूद शहाबुद्दीन का खौफ, मना करने के बावजूद बनवाई जा रही है पक्की कब्र

- आईटीओ स्थित जदीद कब्रिस्तान अहले इस्लाम में पक्की कब्र बनाने के मामले ने पकड़ा तूल नई दिल्ली, 02 जून (हि.स.)। राजधानी के आईटीओ स्थित जदीद कब्रिस्तान अहले इस्लाम में पक्की कब्र बनाने का मामला ज़ोर पकड़ता जा रहा है। इस कब्रिस्तान में पक्की कब्र बनाने की मनाही है। इसके बावजूद यहां पर लोगों के जरिए अपने प्रियजनों की पक्की कब्र बनाकर कर जगह घेरने का काम किया जा रहा है। ताज़ा मामला बिहार के सीवान से बाहुबली सांसद रहे शहाबुद्दीन की कब्र को पक्की बनाने को लेकर सामने आया है। पिछले दिनों शहाबुद्दीन की कोरोना वायरस से संक्रमित होने के कारण मौत हो गई थी। शहाबुद्दीन को दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद रखा गया था। इस दौरान वह कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए तो तिहाड़ जेल प्रशासन ने उन्हें दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में भर्ती कराया था, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। उनके परिजन उनका अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव में करना चाहते थे मगर जेल प्रशासन ने उन्हें शव ले जाने की इजाजत नहीं दी। परिजनों ने अदालत का भी सहारा लिया लेकिन अदालत ने भी अनुमति नहीं दी और दिल्ली में ही अंतिम संस्कार करने को कहा गया था। इसके बाद उनके परिजन और दीगर लोगों ने उन्हें तीन दिनों के बाद आईटीओ कब्रिस्तान में दफन कर दिया। अब उनकी पक्की कब्र बनाने का काम शुरू किया गया है। इसको लेकर कब्रिस्तान इंतेजामिया कमेटी और दूसरे अन्य लोगों के जरिए इसका विरोध किया जा रहा है। कमेटी ने कब्र को पक्का बनाने से लोगों को रोकने का प्रयास किया और इस मामले में स्थानीय पुलिस ने भी हस्तक्षेप किया है। इसके बावजूद शहाबुद्दीन के समर्थकों के जरिए कब्र को हमेशा के लिए सुरक्षित रखने पर ज़ोर दिया जा रहा है। बताया जा रहा है कि समर्थकों के जरिए गाड़ियों में ईंट, सीमेंट, रोड़ी, रेत आदि भरकर यहां पर लाया गया और आनन-फानन में उन्होंने कब्र को पक्का करना शुरू कर दिया। कमेटी के जिम्मेदारों को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने रोकने का प्रयास किया मगर समर्थक नहीं माने। उसके बाद उनके बीच हाथापाई की नौबत आ गई। इसके बाद पुलिस को भी बुलाना पड़ा और पुलिस ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए काम को बंद करा दिया था। बाद में यह भी जानकारी मिली है कि उनके समर्थकों के जरिए मजार के चारों तरफ दीवार को ऊंचा कर दिया गया है। फिलहाल कमेटी का कोई भी जिम्मेदार इस मामले में बोलने को तैयार नहीं है। उन्हें मरने के बाद भी शहाबुद्दीन का दबंग होने का डर सता रहा है। इस सम्बंध में मंसूरी वेल्फेयर फाउंडेशन के अध्यक्ष हसनैन अख्तर मंसूरी ने कहा है कि जब कब्रिस्तान इंतेजामिया कमेटी ने पक्की कब्र बनाने पर रोक लगा रखी है तो किसके आदेशों से यहां पर पक्की कब्र बनाई जा रही है? उन्होंने मांग की कि इसकी जांच होनी चाहिए। उनका कहना है कि जिस तरह से यहां पर पक्की कब्रों का निर्माण कराया जा रहा है, उससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले समय में यहां पर लोगों को दफनाने के लिए जगह ही नहीं बचेगी। उन्होंने इस पूरे प्रकरण की दिल्ली के उपराज्यपाल और दिल्ली वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अमानतुल्ला खान से जांच कराने की मांग की है। उनका कहना है कि यह कब्रिस्तान आम जनता के लिए है। यहां पर पक्की कब्र बनाकर जगह घेरने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। उनका कहना है कि अभी तक जितनी भी पक्की कब्र यहां पर बनाई गई हैं, उन सबका रिकॉर्ड कब्रिस्तान कमेटी से तलब करना चाहिए। आगे के लिए कब्रिस्तान कमेटी को एक सख्त फैसला लेना चाहिए, जिसमें लोगों को अपने परिजनों की पक्की कब्र बनाने की इजाजत बिल्कुल भी नहीं देनी चाहिए। हिन्दुस्थान समाचार/एम. ओवैस

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