Sexual harassment on digital platform will be considered crime at workplace: Rajasthan High Court
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डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लैंगिक प्रताड़ना को माना जाएगा कार्यस्थल पर अपराध: राजस्थान हाईकोर्ट

जयपुर, 12 जनवरी (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने एक बैंक के चीफ मैनेजर की ओर से सोशल मीडिया पर मैसेज भेजकर दूसरे राज्य में काम कर रही महिला कर्मचारी की प्रताड़ना के मामले में कहा है कि डिजिटल युग में दूरी कोई मायने नहीं रखती है। यदि संबंधित महिला दूसरे राज्य में काम करती है तो मैसेज के जरिए लैंगिक प्रताड़ना के मामले को कार्यस्थल पर हुआ अपराध माना जायेगा। इसके साथ ही अदालत ने बैंक प्रशासन की ओर से दी गई चार्जशीट के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दी है। न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश संजीव मिश्रा की याचिका पर दिए। अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि यदि कोई व्यक्ति जयपुर में तैनात है और वह दूसरे राज्य में तैनात महिला को डिजीटल प्लेटफॉर्म पर प्रताड़ित करता है तो यह माना जाएगा कि घटना एक ही ऑफिस में हुई है। अदालत ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता चीफ मैनेजर है। ऐसे में उसकी ऑफिस अवधि सुबह साढ़े दस बजे से शाम साढ़े चार बजे की नहीं मानी जा सकती। याचिका में कहा गया था कि उस पर आरोप है कि उसने दूसरे राज्य में तैनात महिला बैंक कर्मचारी को सोशल मीडिया पर मैसेज भेजकर लैंगिक प्रताड़ना की है। मामले में बैंक के जीएम ने भी क्षेत्राधिकार के बाहर जाकर उसे आरोप पत्र व चार्जशीट दी है। बैंक के नियमों के अनुसार कार्यस्थल पर प्रताड़ना होने पर ही जांच की जा सकती है। याचिका में यह भी कहा गया था कि उस पर कार्यालय अवधि के बाद मैसेज भेजने का आरोप है। इसलिए इसे कार्यस्थल पर प्रताड़ना नहीं माना जा सकता। हिन्दुस्थान समाचार/ पारीक/सुनीत-hindusthansamachar.in

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