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प्राकृतिक खेती से किसानों को जागरुक कर रहे हैं बुलंदशहर के संजीव कुमार

- साल 2008 से शुरू की जैविक खेती - जैविक गुड़ बना कर की कमाई दोगुनी नई दिल्ली, 05 अप्रैल(हि.स.)। मिट्टी की सेहत अगर सुधर जाए, तो लोगों की सेहत भी सुधर जाएगी। यह मानना है बुलंदशहर के गन्ना किसान संजीव कुमार का। साल 2008 से पहले तक 48 वर्ष के संजीव कुमार भी बाकी किसानों की तरह ही कैमिकल औऱ फर्टीलाइजर का इस्तेमाल करके खेती करते थे, लेकिन प्राकृतिक खेती के साथ उनमें नए प्रयोग करने के साथ ही न केवल उनकी आय बढ़ती गई बल्कि सेहत में भी सुधार देखने को मिला। पेशे से किसान संजीव कुमार पहले नौकरी किया करते थे, लेकिन बाद में उन्होंने अपने पुरखों के काम को ही पारंपरिक तरीके से करना शुरू किया। इस दिशा में उन्होंने सबसे पहले मिट्टी की सेहत को दुरुस्त किया। सोमवार को अक्षय कृषि परिवार की ओर से आयोजित मिट्टी के पोषण के बारे में परिचर्चा में भाग लेने पहुंचे संजीव कुमारने बताया कि उन्होंने खेतों की मिट्टी को जैविक तरीके से दुरुस्त करने का सफर इतना आसान नहीं था। दो बार कोशिश में नाकामयाब भी हुए । लेकिन तीसरी बार उनकी मेहनत रंग लाई और उन्हें कामयाबी मिली। धान, गेहूं के साथ गन्ना और हल्दी लगाना शुरू किया। गन्ना और हल्दी की फसल एक साथ करके उन्हें अच्छी कमाई हुई। इससे उत्साहित हो कर खेती में नए प्रयोग किए जिसके बारे में आसपास के किसानों को भी जागरुक किया। वे बताते हैं कि मिट्टी में रसायन और उर्वरक की मात्रा अधिक होने से फसल में भी इसकी मात्रा आती है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। इसलिए सबसे पहले किसानों को मिट्टी के पोषण पर भी ध्यान देना चाहिए। मिट्टी की सेहत सुधरेगी तो फसल भी अच्छी और स्वस्थ्य होगी। वे बताते हैं कि जैविक खेती में भी उत्पादन का ज्यादा फर्क नहीं पड़ता और आमदनी भी अच्छी होती है। संजीव बताते हैं कि उन्होंने गावं में पोषण वाटिका बनाई है, जिसमें किस्म किस्म के फल सब्जियां उगाई जाती हैं। घर की ही सब्जियां और फल वे खाते हैं। इसके साथ गन्ने और हल्दी की खेती करके उन्होंने खेती से आमदनी बढ़ाई है। उन्होंने बताया कि वे जैविक गुड़ और हल्दी तैयार करते हैं। शुरुआत दो एकड़ जमीन से की थी अब वे साढ़े तीन एकड़ जमीन पर खेती करते हैं। वे बताते हैं कि खेती में पढ़े लिखे लोगों को भी आगे आना चाहिए। खासकर कृषि के क्षेत्र में अनुसंधान करने वाले छात्रों की भागीदारी इसमें बढ़नी चाहिए। वे बताते हैं कि बुलंदशहर के निसुरखा गांव में प्राकृतिक खेती के तरफ जागरुकता बढ़ाने के लिए वे कृषि मेला भी लगाते हैं जिसमें किसानों को पारंपरिक खेती ज्ञान के साथ साथ बढ़े खरीदारों से भी मिलने का मौका मिलता है। हिन्दुस्थान समाचार/ विजयालक्ष्मी

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