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'स्वामित्व योजना' को लागू करने में पायलट राज्यों की भूमिका प्रशंसनीय, अन्य राज्य भी करें अनुकरण : तोमर

-'स्वामित्व योजना' में अबतक 2,500 गांवों के 3 लाख परिवारों को मिला अधिकार अभिलेख नई दिल्ली, 16 अप्रैल (हि.स.)। केंद्रीय पंचायती राज, ग्रामीण विकास नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि देश में लंबे समय से यह आवश्यकता महसूस की जा रही थी कि ग्रामीण क्षेत्र में रहने वालों को उनके मकान का मालिकाना हक प्रदान करने वाला अभिलेख प्राप्त हो सके। सामान्यतः लोगों को विश्वास नहीं हो पाता था कि यह योजना जमीन पर उतर भी सकती है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में सरकार ने विगत वर्ष 24 अप्रैल को 6 राज्यों में पायलट फेज़ के रूप में स्वामित्व योजना प्रारंभ की है और अब इसे देश के सभी गांवों में लागू किया जा रहा है। तोमर ने कहा कि पायलट चरण के अधिकांश राज्यों ने स्वामित्व स्कीम के क्रियान्वयन में प्रशंसनीय कार्य किया है, अन्य राज्यों को भी इसका अनुकरण करना है। नरेन्द्र तोमर शुक्रवार को 'स्वामित्व योजना' के क्रियान्यवन हेतु राज्यों के पंचायती राज एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों की राष्ट्रीय कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। केंद्रीय पंचायती राज मंत्री तोमर ने कांफ्रेंस के दौरान बताया कि अब तक देश के 2,500 गांवों के 3 लाख परिवारों को स्वामित्व योजना के अंतर्गत उनकी संपत्ति के अधिकार अभिलेख प्रदान किए जा चुके हैं। इसके साथ 40,514 गांवों में ड्रोन से सर्वेक्षण का कार्य पूर्ण हो चुका है। इस साल के बजट में भारत सरकार ने स्वामित्व योजना को पूरे देश में लागू करने की घोषणा की है और इसके लिए वित्तीय प्रावधान भी किया गया हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पंचायती राज मंत्रालय अन्य सभी संबंधित मंत्रालयों के साथ समन्वय कर इस योजना को मूर्त रूप दे रहा है। भारत सरकार के सभी संबंधित मंत्रालय एवं संस्थान पूर्ण तत्परता से कार्य कर रहे हैं एवं इसके सकारात्मक परिणाम दृष्टिगोचर हो रहे हैं। उन्होंने ने बचे हुए राज्यों से भी इस योजना से जुड़ने की प्रक्रिया शीघ्र पूर्ण करने को कहा। उन्होंने कहा कि स्वामित्व योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र की संपत्ति का भी बाजार मूल्य तय हो पाएगा, इसका प्रावधान किया गया हैं। राज्य सरकारों को स्वामित्व योजना को और अधिक लोकप्रिय एवं आकर्षक बनाने के लिए अपने स्तर पर प्रयास करना चाहिए। राज्यों में यदि स्वामित्व योजना के अंतर्गत अधिकार अभिलेख वितरण का माह में कोई एक दिन निश्चित कर लिया जाए तो इससे लोगों को उस दिन की प्रतीक्षा भी रहेगी और आसानी भी होगी। तोमर ने कहा कि अपने मकान का मालिकाना हक मिलना ग्रामीणों के जीवन में एक क्रांतिकारी परिवर्तन है, भविष्य में इसके दूरगामी सकारात्मक परिणाम दृष्टिगोचर होंगे, इसलिए इस अवसर को एक उत्सव के रूप में मनाया जाना चाहिए। हिन्दुस्थान समाचार/आशुतोष

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