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उभरते ​सैन्य खतरों से निपटने ​में सशस्त्र बलों की भूमिका अहम: राजनाथ

- गुजरात के केवड़िया में चल रहे संयुक्त कमांडर्स सम्मेलन में आम सुरक्षा हितों पर दिया जोर - रक्षा मंत्री स्टैच्यू ऑफ यूनिटी भी गए, सेना प्रमुखों और कमांडरों के साथ फोटो खिंचवाई नई दिल्ली, 05 मार्च (हि.स.)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गुजरात के केवड़िया में चल रहे संयुक्त कमांडर्स सम्मेलन में दूसरे दिन शामिल हुए। उन्होंने तीनों सेनाओं के शीर्ष कमांडरों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए सैन्य खतरों की उभरती प्रकृति, इन खतरों से निपटने में सशस्त्र बलों की महत्वपूर्ण भूमिका और युद्ध की प्रकृति में प्रत्याशित परिवर्तनों पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने कहा कि भारत ने समान सुरक्षा वाले देशों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाये हैं, ताकि आम सुरक्षा हितों को आगे बढ़ाया जा सके। रक्षा मंत्रालय के सचिवों के साथ तीनों सेनाओं के कमांडर सम्मेलन में दूसरे दिन शामिल होने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शुक्रवार को सुबह केवड़िया पहुंचे थे। सैन्य बलों के प्रमुख सीडीएस बिपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुख कल से ही वहां मौजूद हैं। उन्होंने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का दौरा किया और लौहपुरुष सरदार बल्लभभाई पटेल को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे, नेवी चीफ एडमिरल करमबीर सिंह, सीडीएस जनरल बिपिन रावत, वायुसेना प्रमुख चीफ एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया और कमांडरों के साथ यादगार फोटो खिंचवाई। इसके बाद रक्षामंत्री सशस्त्र सेनाओं के कंबाइंड कमांडर्स के लिए आयोजित विवेचना सत्रों में शामिल हुए। सम्मेलन को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि हमारे राष्ट्रीय हितों को राष्ट्रीय एकीकरण और संप्रभुता के जिस नजरिये से परिभाषित किया गया है, उससे हम क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा और क्षेत्र में शांति सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। बाहरी खतरों और आंतरिक चुनौतियों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को सुरक्षित करने की हमारी क्षमता हाल के वर्षों में मजबूत हुई है। आज हमारी सेना सक्रिय है और किसी भी तरह की प्रतिक्रिया देने में अधिक दृढ़ है। रक्षामंत्री ने देश की रक्षा और सुरक्षा को प्रभावित करने वाले बहुत से मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने उभरते सैन्य खतरों, इन खतरों से निपटने में सशस्त्र सेनाओं की महत्वपूर्ण भूमिका और भविष्य में संघर्षों की बदलती प्रकृति पर चर्चा की। रक्षामंत्री ने चीनी सेना के साथ पूर्वी लद्दाख में उत्पन्न गतिरोध के दौरान सैनिकों द्वारा प्रदर्शित निस्वार्थ सेवा और साहस की सराहना करते हुए उनके प्रति सम्मान व्यक्त किया। पूर्वी लद्दाख की चीन सीमा का जिक्र करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि सीमाओं पर भारत की दृढ़ प्रतिक्रिया ने कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों के सकारात्मक और शांतिपूर्ण समाधान में मदद की है। रक्षा मंत्री ने हम एक देश के रूप में सुरक्षित और स्थिर वातावरण बनाने की अपनी क्षमता को मजबूत करना चाहते हैं जो भारत की आर्थिक वृद्धि को भी सुविधाजनक बना सके। बढ़ी हुई रक्षा क्षमताएं हमें किसी भी आकस्मिक परिस्थितियों के लिए बेहतर तरीके से तैयार करने में मदद करेंगी। रक्षामंत्री की उपस्थिति में आज दिन भर में दो विवेचना सत्र आयोजित किए गए, जिनमें विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श किया गया और उनमें से कुछ सत्र बंद कमरों में भी हुए। इन सत्रों में सशस्त्र सेनाओं के आधुनिकीकरण खासतौर से समन्वित थिएटर कमांड स्थापित करने और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी को शामिल करने के संबंध में चर्चा हुई। सशस्त्र सेनाओं का मनोबल बढ़ाने और उन्हें प्रेरित करने तथा नवाचार को प्रोत्साहित करने जैसे विषयों पर बहुत उत्साहवर्द्धक भागीदारी देखने को मिली। तीनों सेनाओं के सैनिकों और युवा अधिकारियों की ओर से इस संबंध में बेहद उपयोगी फीडबैक और सुझाव भी सामने आए। इस अवसर पर रक्षा विभाग, रक्षा उत्पादन विभाग तथा अनुसंधान और विकास विभाग के सचिवों और रक्षा सेवाओं के वित्तीय सलाहकार ने भी विभिन्न संबद्ध विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए। इस सम्मेलन के इतिहास में पहली बार है कि शीर्ष सैन्य नेतृत्व जेसीओ और अन्य रैंकों के साथ निकटता से बातचीत कर रहा है। सम्मेलन के दौरान तीनों सेनाओं के साथ साझा मिलिट्री विजन तैयार किया जाएगा। इसका मकसद भविष्य में देश के सामने आने वाली चुनौतियाें का थलसेना, वायुसेना और नौसेना द्वारा साथ मिलकर सामना करने की रणनीति तैयार करना है। शनिवार यानी सम्मेलन के आखिरी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल सम्मेलन को संबोधित करेंगे। इस साल सम्मेलन के दायरे को बढ़ाया गया है, ताकि इसे तीनों सेनाओं के लगभग 30 अधिकारियों और विभिन्न रैंकों के सैनिकों को शामिल करके बहुस्तरीय इंटरैक्टिव और अनौपचारिक बनाया जा सके। हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत

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