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जिम्मेदारों ने खिंचे हाथ, सीआई व तहसीलदार ने पीपीई किट पहन पैक किया कोरोना संक्रमित का शव

अखिल तिवारी चित्तौड़गढ़, 14 मई (हि.स.)। कोरोना संक्रमण ने हालात ऐसे बना दिए हैं कि अपने ही अपनों से दूर हो रहे हैं और मरने के बाद ऐसी परिस्थितियां बन रही है कि शव को अंतिम सफर पर भेजने में भी परेशानियां उठानी पड़ रही है। हालांकि सरकार ने इसके लिए प्रयास किए हैं लेकिन नियमों का ऐसा पेच उलझाया जाता है कि ना तो उगलते बनता है और ना ही निगलते। ऐसा ही मामला जिले के कपासन नगरपालिका क्षेत्र में सामने आया है, जहां होम आइसोलेशन में रह रही कोरोना संक्रमित महिला की मौत हो गई। कोरोना प्रोटोकॉल के अनुसार घर में हुई मौत के चलते मेडिकल टीम और नगरपालिका दोनों ने ही बॉडी पैक करने से हाथ खींच लिए। तब मानवता की मिसाल पेश करते हुए कपासन थानाधिकारी हिमांशुसिंह व तहसीलदार के नेतृत्व में पुलिस ने पहल करते हुए बॉडी को पैक करवाकर अंतिम संस्कार के लिए रवाना किया। कपासन उपखंड मुख्यालय में होम आइसोलेशन में रह रही एक महिला की शुक्रवार सुबह 10 बजे मौत हो गई। इसकी सूचना मिलने पर थानाधिकारी हिमांशु सिंह व तहसीलदार मोहकम सिंह मौके पर पहुंचे। लेकिन जब वहां पहुंचे, तो देखा कि संक्रमण के भय से शव को हाथ लगाने के लिए कोई तैयार नहीं है। ऐसे में दोनों अधिकारियों ने पहले मेडिकल टीम से संपर्क किया तो उन्हें जवाब मिला कि होम आइसोलेशन में हुई मौत के मामले में शव को प्रोटोकॉल के तहत पैक करना उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है। ऐसे में दोनों अधिकारियों ने नगरपालिका से संपर्क किया। लेकिन नगरपालिका के अधिशासी अधिकारी ने फोन तक उठाना उचित नहीं समझा। ऐसे में 2 घंटे तक महिला का शव घर में पड़ा रहा। जब कोई परिजन, मेडिकल टीम और नगरपालिका के लोग शव को हाथ लगाने के लिए तैयार नहीं हुए तो थानाधिकारी हिमांशुसिंह राजावत ने पहल करते हुए स्वयं ने पीपीई किट पहनना शुरू कर किया। इन्हें देख तहसीलदार मोहकमसिंह भी पीपीई किट पहन महिला के शव को पैक करने में जुट गए। अधिकारियों को ऐसा करता देख मौके पर पहुंचे पुलिसकर्मी जितेन्द्र गुर्जर, शारीरिक शिक्षक प्रकाश लोहार ने भी हाथों हाथ महिला के शव को पैक किया। इस दौरान भी तहसीलदार मोहकमसिंह लगातार पालिका के अधिशासी अधिकारी से सम्पर्क करने का प्रयास करते रहे। शव को पैक करने के दो घण्टे बाद तक शव को मोक्षधाम ले जाने के लिये वाहन नहीं पहुंचा। यहां मौजूद पार्षद प्रतिनिधी ललीत टांक, पूर्व पार्षद राजीव सोनी, पाषर्द बालमुकन्द इनाणी ने फोन से सम्पर्क कर एक निजी वाहन को बुलाया। शव को उठाकर शव वाहन में रखवाया। इसके बाद पालिका कार्मिको द्वारा पूरे मोहल्ले को हाइपोक्लोराईड से सेनेटाइज किया गया। शव को मोक्षधाम पहुंचाने के बाद पालिका के कार्मिकों द्वारा विधि विधान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। इस पूरे मामले में एक बार फिर साफ कर दी है कि मदद पहुंचाने के नाम पर लोगों को मदद किस तरह नियमों में उलझा कर नहीं पहुंचाई जा सकती है। एक और जहां दोनों अधिकारियों ने मानवीय दृष्टिकोण का परिचय देते हुए ड्यूटी के साथ-साथ नैतिकता और मानवता का परिचय दिया है वहीं दूसरी ओर जिन को जिम्मेदारी दी गई है उनकी लापरवाही खुल कर सामने आ जाती है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में मुख्यमंत्री ने शवों के अंतिम संस्कार के लिए स्थानीय निकायों को अधिकृत किया है लेकिन निकाय के जिम्मेदार अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ने के बहाने ढूंढते हैं।

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