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महाराष्ट्र के रत्नागिरि में दुर्लभ अटलांटिक वालरस के दांत जब्त, जांच शुरू

रत्नागिरि (महाराष्ट्र), 2 सितंबर (आईएएनएस)। भारत में पहली बार दुर्लभ अटलांटिक वालरस का दांत महाराष्ट्र के रत्नागिरि जिले के एक तटीय गांव से जब्त किया गया है। अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। 31 अगस्त को गुप्त सूचना के बाद रत्नागिरि और सतारा से वन विभाग की टीमों ने सीआई के साथ मिलकर जाल बिछाया और लूट के तीन आरोपियों को हत्खंबा गांव से रंगेहाथ गिरफ्तार किया। वन्यजीव वार्डन और वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (डब्ल्यूसीसीबी) के मानद सदस्य रोहन भाटे ने आईएएनएस को बताया, गिरफ्तार किए गए तीनों आरोपी गोवा और महाराष्ट्र से हैं। हमने लगभग 15-16 इंच लंबा एक अटलांटिक वालरस (ओडोबेनस रोस्मारस) के दांत बरामद किए हैं। अटलांटिक वालरस के दांतों की तस्करी, उनके सहयोगियों, खरीदारों आदि के पीछे गिरोह को ट्रैक करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाने के लिए वन्यजीव खोजी दल की टीमों का गठन किया गया है। रत्नागिरि रेंज फॉरेस्ट ऑफिसर प्रियंका लगड ने कहा कि वालरस दांत की यह पहली ऐसी जब्ती है, क्योंकि ये समुद्री जानवर यहां से लगभग 10,000 किलोमीटर दूर उत्तरी गोलार्ध के बर्फीले तटों में ही पाए जाते हैं। उन्होंने कहा, जांच के सामने चुनौती यह है कि यह पता लगाया जाए कि वालरस के दांत महाराष्ट्र तक कैसे पहुंचे, इस खेल के अन्य खिलाड़ी कौन हैं, यह रैकेट कितना बड़ा है और इसके बड़े प्रभाव क्या-क्या हैं। हालांकि, प्रियंका लगड ने परिचालन कारणों से बड़े दांत की सही मात्रा/वजन, उसके बाजार मूल्य और अन्य विवरणों को प्रकट करने और अपराध में शामिल अन्य लोगों को सतर्क करने से बचने से इनकार कर दिया। भाटे ने कहा कि आरोपी तिकड़ी से पूछताछ के बाद, टीमें अन्य भारतीय राज्यों में जाएंगी और जंगली जीवों या उनके मूल्यवान अंगों की और अधिक बरामदगी की संभावना है। जहां तक अटलांटिक वालरस टस्क के मूल्यांकन की बात है, अधिकांश विशेषज्ञ इसे अमूल्य कहते हैं। वे बताते हैं कि वालरस के दांत हाथी दांत की तुलना से परे हैं और विश्व स्तर पर हाथी दांत तस्करों के पसंदीदा हैं। गिरफ्तार किए गए तस्करों की पहचान गोवा के परमेम निवासी एम. नुमान यासीन नाइक (42), महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के कंकावली निवासी हेमंत सुरेश कंदर (38) और इसी जिले के मालवन निवासी राजन दयाल पांगे (58) के रूप में हुई है। टीम ने एक कार भी जब्त की है, जिसमें वालरस के दांतों को बिक्री के लिए अज्ञात स्थान पर ले जाया जा रहा था। सभी आरोपियों पर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 और सीआईटीईएस की धारा 49 (सी) के तहत आरोप लगाए गए हैं। भाटे ने कहा कि कानून इतने कड़े हैं कि अवैध रूप से देश में लाए गए ऐसे हाथी दांत के तस्करों के अलावा किसी भी डीलर, निर्माताओं या खरीदारों पर मामला दर्ज किया जा सकता है। मुख्य वन संरक्षक, कोल्हापुर डी. क्लेमेंट बेन, सहायक वन संरक्षक सचिन नीलाख, संभागीय वनाधिकारी दीपक खाड़े, सतारा वन रेंज अधिकारी सचिन डोंबाले और टीम के अन्य सदस्यों के मार्गदर्शन में संवेदनशील ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। वालरस एक विशाल फ्लिपर्ड, डीप-डाइविंग समुद्री स्तनपायी है, जिसका वजन दो टन से अधिक होता है। इसकी लंबाई एक मीटर तक होती है और यह केवल आर्कटिक महासागर, प्रशांत और अटलांटिक महासागरों, उत्तरी ध्रुव के आसपास और उप-क्षेत्र में पाया जाता है। पिछली शताब्दी में बड़े पैमाने पर शिकार कर वालरस की आबादी को लगभग समाप्त कर दिया गया था, लेकिन सुदूर उत्तर में कई देशों द्वारा किए गए सुरक्षा उपायों के बाद उनकी संख्या धीरे-धीरे बढ़ने लगी है। --आईएएनएस एसजीके/एएनएम

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