उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री ने चीन के राष्ट्रपति को रामायण भेजकर विस्तारवादी नीति के खतरों के बारे में चेताया
उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री ने चीन के राष्ट्रपति को रामायण भेजकर विस्तारवादी नीति के खतरों के बारे में चेताया

उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री ने चीन के राष्ट्रपति को रामायण भेजकर विस्तारवादी नीति के खतरों के बारे में चेताया

देहरादून, 08 जुलाई (हि.स.)। पिछले महीने कोरोना संक्रमित होने पर चर्चा में रहे उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज इन दिनों एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार उन्होंने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को रामायण भेजकर उनकी विस्तारवादी नीति के मामले में उन्हें आइना दिखाने का प्रयास किया है। इस बारे में सतपाल महाराज ने मीडियाकर्मियों से कहा कि दंभ एवं अहंकार की सदैव हार होती है और दंभी और अहंकारी व्यक्ति रावण की तरह राम के हाथों मारा जाता है। उन्होंने कहा कि चीन रामायण के पाठ पढ़े और इससे सीख लेकर विस्तारवादी नीति छोड़कर अपनी हद में रहना सीखे। उन्होंने कहा कि गलवान घाटी में चीन के सैनिकों ने जिस तरह से विस्तारवादी नीति अपनाई, वह सर्वथा निंदनीय है। उन्होंने उम्मीद जताई कि चीन के राष्ट्रपति रामायण से कुछ सबक लेंगे, क्योंकि रामायण में बताया गया है कि जो व्यक्ति विस्तारवाद की बात करता है, उसका हश्र बहुत बुरा होता है। उन्होंने कहा कि वह चीन को यह भी संदेश देना चाहते हैं कि वह जितना पैसा अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाने पर खर्च कर रहा है, उसे वह कोरोना की रोकथाम पर खर्च करे। भारत की मिसाल देते हुए महाराज ने कहा कि भारत की सोच कभी भी विस्तारवादी नहीं रही। भारत ने बांग्लादेश को जीतने के बावजूद उस पर से अपना अधिकार छोड़ दिया था जबकि चीन का रवैया इसके विपरीत है, जो शुरू से ही विस्तारवादी रहा है। चीन तिब्बत को हथियाने के बाद चौतरफा विस्तारवादी नीति के ढर्रे पर चल रहा है। इसीलिए वह शी जिनपिंग को रामायण भेज रहे हैं, ताकि उन्हें सद्बुद्धि आए और वह समझ सकें कि विस्तारवादी सोच उनके लिए नुकसानदायी है। सतपाल महाराज रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के करीबी माने जाते हैं। इसलिए राजनीतिक गलियारे में चीन के राष्ट्रपति को रामायण भेजने के खास मायने भी निकाले जाने लगे हैं। हिन्दुस्थान समाचार/दधिबल/बच्चन-hindusthansamachar.in

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