श्रीराम मंदिर के लिये रामभक्तों ने खायी थी लाठी
श्रीराम मंदिर के लिये रामभक्तों ने खायी थी लाठी

श्रीराम मंदिर के लिये रामभक्तों ने खायी थी लाठी

- रामशिला पूजन जुलूस निकालने में पुलिस लाठी चार्ज के बाद हुई थी फायरिंग - पुलिस से संघर्ष में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी समेत दर्जनों रामभक्त हुये थे घायल - पथराव में आईबी अफसर के वाहन समेत कई सरकारी वाहन हुये थे चकनाचूर पंकज मिश्रा हमीरपुर, 28 जुलाई (हि.स.)। अयोध्या में भगवान श्रीराम मंदिर के निर्माण का सपना साकार होते देख यहां रामभक्तों के चेहरे खुशी से खिल उठे है। विश्व हिन्दु परिषद, बजरंग दल और आरएसएस के कार्यकर्ताओं को श्रीराम शिला पूजन के दौरान पुलिस से हुये बवाल में लाठियां भी खानी पड़ी थी। इसमें सरस्वती विद्यामंदिर इण्टरकालेज के प्रधानाचार्य समेत तमाम पदाधिकारी घायल हुये थे। तत्कालीन सीओ की लापरवाही के कारण हवाई फायरिंग और अश्रुगैस के गोले दागे जाने से हमीरपुर शहर में तनाव भी गहरा गया था। बाद में पूरे जनपद में 101 शिलाओं को पूजन के बाद अयोध्या भेजा गया था। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि को लेकर प्रदेश में भारी बवाल हुआ था। वर्ष 1990 में मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्रित्व काल में कारसेवकों पर गोलियां चलवायी गयी थी जिसमें तमाम कारसेवक शहीद हो गये थे। इस घटना के बाद हमीरपुर जनपद में भी विहिप और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं में आक्रोश गहरा गया था। हमीरपुर के रमेड़ी मुहाल निवासी प्रेमनारायण अग्रवाल विश्व हिन्दु परिषद के जिलाध्यक्ष थे जिन्होंने बजरंग दल के जिला संयोजक सरस्वती शरण द्विवेदी, संगठन मंत्री विहिप राजेश्वर प्रसाद नागर, नगर अध्यक्ष विहिप गया प्रसाद त्रिपाठी, जिला उपाध्यक्ष विहिप रामरतन सेठ के साथ हजारों रामभक्तों के साथ श्रीराम शिला पूजन का कार्यक्रम किया था। यहां शहर के हर वार्ड में श्रीराम शिला पूजन का कार्यक्रम करने की तैयारियां की गयी। बजरंग दल के पूर्व जिला संयोजक सरस्वती शरण द्विवेदी ने मंगलवार को बताया कि हजारों रामभक्तों के साथ शिला पूजन के लिये हमीरपुर शहर में जुलूस निकाला गया था जिसमें तत्कालीन सीओ एक राय की बदतमीजी के कारण भारी बवाल हुआ था। जिसमें आईबी के एक अफसर का दोपहिया वाहन क्षतिग्रस्त हो गया था। साथ ही पुलिस के वाहन भी पथराव से क्षतिग्रस्त हुये थे। पुलिस के सिपाही भी इस घटना में घायल हुये थे। खून से लथपथ होने के बाद भी रामभक्त जुलूस निकालने की जिद पर घंटों तक धरने पर बैठे रहे बाद में जिला प्रशासन के अधिकारियों के समझाने और जुलूस निकालने की अनुमति पर रामभक्त धरने से उठे थे। हालांकि बाद में पुलिस ने तमाम रामभक्तों के खिलाफ मुकदमा भी सदर कोतवाली में दर्ज किया था। रामभक्तों के मुताबिक कल्याण सिंह के दोबारा सत्ता में आने के बाद ये सभी मामले वापस भी हो गये थे। श्रीराम मंदिर के लिये पिछले तीस सालों से संघर्ष करने वाले रामबिहारी शुक्ला, सरस्वती शरण, अमर सिंह समेत तमाम रामभक्तों ने बताया कि अयोध्या में श्रीराम का मंदिर राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक है। इसके निर्माण से हजारों कारसेवकों और रामभक्तों का सपना अब साकार होने जा रहा है। इन रामभक्तों ने बताया कि कोरोना के कारण फिलहाल घर में ही श्रीराम मंदिर के निर्माण के आधार शिला का कार्यक्रम देखने का फैसला किया गया है। रहुनियां धर्मशाला के पास रामभक्तों पर दागे गये थे अश्रुगैस के गोले आर्यसमाज के प्रधान रामबिहारी शुक्ला व हिन्दु संगठन के वरिष्ठ नेता अमर सिंह ने बताया कि श्रीराम शिला पूजन जुलूस को तत्कालीन सीओ एके राय ने रहुनियां धर्मशाला के पास बलपूर्वक रोका था जिससे रामभक्त भड़क गये थे। रामभक्तों पर पुलिस ने लाठीचार्ज करने के बाद अश्रुगैस के गोले दागे थे जिससे विद्यामंदिर इण्टर कालेज के पूर्व प्रधानाचार्य एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जगदेव प्रसाद विद्यार्थी, बाबा सत्यनारायण, बरजोर सिंह, सरस्वती विद्यामंदिर इण्टरकालेज के पूर्व प्रधानाचार्य द्वारिका प्रसाद, राकेश पाण्डेय, बड्डन सिंह, पुत्तन सिंह समेत तमाम रामभक्त घायल हुये थे। पुलिस की ज्यादती से आक्रोशित रामभक्तों ने शिलायें वहीं पर रखकर पुलिस के खिलाफ धरना दिया था। पुलिस ने हवाई फायरिंग भी की इसके बाद भी रामभक्तों का उत्साह कम नहीं हुआ। आखिरकार रामभक्तों के आगे जिला प्रशासन को झुकना ही पड़ा था। पूजन और हवन के बाद अयोध्या भेजी गईं थीं 01 श्रीराम शिलाएं भाजपा के राष्ट्रीय परिषद के सदस्य सरस्वती शरण द्विवेदी ने बताया कि मुलायम सिंह यादव के शासन में रामभक्तों में शिला पूजन के लिये गजब का उत्साह था। पुलिस की लाठियां खाने के बाद भी तत्कालीन जिलाधिकारी आरसी श्रीवास्तव व पुलिस अधीक्षक ओपी दीक्षित, तत्कालीन एडीएम तीर्थराज त्रिपाठी ने इस घटना के लिये खेद व्यक्त किया था। इन अधिकारियों की मौजूदगी में रामभक्तों ने रहुनियां धर्मशाला से कजियाना, कालपी चौराहा व खालेपुरा तक शिला पूजन जुलूस निकाला था। उस समय खालेपुरा समेत पूरा शहर पुलिस छावनी में तब्दील था। तनावपूर्ण माहौल में भी रामभक्त पीछे नहीं हटे थे। उन्होंने बताया कि इस घटना के बाद पूरे जिले में और गांव-गांव शिला पूजन का कार्यक्रम हुआ फिर हमीरपुर में सरस्वती विद्यामंदिर में 101 श्रीराम शिलायें रखकर हवन किया गया। पूजन के बाद सभी शिलायें अयोध्या भेजी गयी थी। हिन्दुस्थान समाचार-hindusthansamachar.in

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