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जरूरत पड़ने पर एक साथ आएंगी क्वाड देशों की नौसेनाएं

- क्वाड देशों के गठबंधन को अपने खिलाफ घेराबंदी के रूप देखता है चीन - चीन का इरादा अंतरराष्ट्रीय कानून और मानदंडों को कमजोर करना नई दिल्ली, 14 अप्रैल (हि.स.)। भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने बुधवार को कहा कि क्वाड देशों की नौसेनाओं के बीच काफी अंतर है लेकिन अगर भारत-प्रशांत क्षेत्र में जरूरत पड़ती है तो वे एक साथ भी आ सकती हैं। नेवी चीफ का यह बयान चीन को उकसाने वाला भी हो सकता है क्योंकि वह क्वाड देशों के इस गठबंधन को अपने खिलाफ घेराबंदी के रूप देखता है। यह चार देशों का एक समूह है, जिसमें भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं। बुधवार को रायसीना संवाद में नौसेना प्रमुख ने क्वाड की क्षमता पर चर्चा करते हुए इस बात पर सहमति जताई कि कई नए क्षेत्र हैं जहां क्वाड देशों के समूह एक साथ आ सकते हैं और अधिक समान विचारधारा वाले देशों को भी शामिल कर सकते हैं। संयुक्त गश्त और क्वाड समूह के भविष्य के बारे में एडमिरल सिंह ने कहा कि क्वाड एक सलाहकार समूह के रूप में शुरू हुआ और बाद में व्यवस्थित रूप से विकसित हुआ है। उन्होंने कहा कि सभी क्वाड सदस्यों की नौसेनाओं के साथ हमारा मजबूत जुड़ाव है। नौसेना प्रमुख ने कहा कि क्वाड नेवी में पहले से ही उच्च स्तर की इंटरऑपरेबिलिटी है और इन देशों के बीच मालाबार अभ्यास अमेरिका में 1992 से शुरू हुआ था। उन्होंने बताया कि भारत पिछले छह वर्षों से जापान और ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के साथ द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास कर रहा है। उन्होंने कहा कि क्वाड देशों की नौसेनाओं के बीच काफी अंतर है लेकिन अगर भारत-प्रशांत क्षेत्र में जरूरत पड़ती है तो वे एक साथ भी आ सकती हैं। इसी तरह अमेरिका के इंडो-पैसिफिक कमांड के कमांडर एडमिरल फिलिप स्कॉट डेविडसन ने क्वाड समूह को कूटनीतिक, सैन्य और आर्थिक रूप से एक रणनीतिक अवसर के रूप में पहचाना, क्योंकि उन्होंने चीन को नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए 'सबसे बड़ा रणनीतिक खतरा' के रूप में नामित किया था। एडमिरल डेविडसन ने कहा कि क्वाड समूह के पास एक-दूसरे का सहयोग करने के लिए जबरदस्त क्षमता है, जो सुरक्षा क्षेत्र से बहुत आगे है। इस क्षेत्र के लिए एक शक्तिशाली संकेत है कि क्वाड इन चार देशों के बाहर काफी अच्छे कार्य कर रहा है। शीर्ष अमेरिकी नौसैनिक अधिकारी ने कहा कि चीन पूरे भारत-प्रशांत क्षेत्र में सैन्य आक्रमण के साथ मौजूदा वैश्विक महामारी का फायदा उठाना चाहता है। उन्होंने कहा कि चीन का इरादा अंतरराष्ट्रीय कानून और मानदंडों को कमजोर करना है। हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत

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