पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार की फसल विविधिकरण की सराहना, याचिका पर राहत देने से इंकार
चंडीगढ़, 10 जुलाई (हि.स.)। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने हरियाणा सरकार की धान बाहुल्य जिलों में धान के स्थान पर कम पानी से पकने वाली अन्य वैकल्पिक फसलों के लिए किय्रान्वित की जा रही फसल विविधिकरण की योजना की सराहना करते हुए इस याचिका पर अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने यह फैसला शुक्रवार को हरियाणा सरकार की फसल विविधिकरण के खिलाफ दायर एक याचिका की सुनवाई के दौरान दिया। इस फैसले में कहा गया कि उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार भारत में प्रतिवर्ष लाखों क्यूबिक टन भूजल का दोहन हो रहा है और अत्यधिक दोहन होने के कारण इंडो-गंगैटिक मैदानों को खतरा हो रहा है। आंधी-तूफान के कारण भूमि की ऊपरी सतह (ऊर्वरा शक्ति) का तेजी से क्षरण होने के चलते यह उपजाऊ क्षेत्र तेजी से मरुस्थल में तबदील हो रहा है। हम भू-जल भरण की तुलना में पानी अत्यधिक निकाल रहे हैं। भू-जल का अत्यधिक दोहन वातावरण व पारिस्थितिकी के लिए खतरा है। जलवाही स्तर (एक्वीफर्स) पर अधिक दबाव है, इसलिए ऐतिहातिक कदम नहीं उठाए गए तो यह क्षेत्र डार्क जोन के वर्गीकरण में आ सकता है। न्यायालय द्वारा हरियाणा सरकार को सभी जलाशयों के पुनरोद्धार एवं संरक्षण के लिए कदम उठाने तथा भू-जल रिचार्ज तंत्र को मजबूत करने के निर्देश दिए गए हैं। उल्लेखनीय है कि फसल विविधिकरण की योजना के खिलाफ जसबीर व अन्य ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में सिविल रिट याचिका-9621-2020 दायर की थी। हिन्दुस्थान समाचार/वेदपाल-hindusthansamachar.in