Punjab cabinet bluntly, nothing less than withdrawal of agricultural laws approved
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पंजाब मंत्रिमंडल की दो टूक, कृषि कानूनों की वापसी से कम कुछ भी मंजूर नहीं

- केंद्र न्यूनतम समर्थन मूल्य को किसानों का कानूनी अधिकार बनाये चंडीगढ़, 14 जनवरी (हि.स.)। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ने राज्य और इसके किसानों के हितों की रक्षा के लिए सभी कदम उठाने की बात कहते हुए गुरुवार को यह आरोप लगाया कि केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानून किसान विरोधी, देश विरोधी और खाद्य सुरक्षा विरोधी हैं। अमरिंदर सरकार को इन कानूनों को रद्द करने से कम कुछ भी मंजूर नहीं होगा। प्रदेश कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार जमीनी हकीकतों से कोसों दूर है। मंत्रिमंडल के सदस्यों ने एकसुर में ऐलान किया कि मौजूदा मुश्किल हालात के साथ निपटने के लिए इन कृषि कानूनों को वापस लेना ही एकमात्र हल है। मंत्रिमंडल ने यह भी मांग की कि केंद्र की तरफ से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) को किसानों का कानूनी अधिकार बनाया जाना चाहिए, क्योंकि किसान पूरे देश का पेट भरते हैं, इसके बावजूद उन्हें अपनी उपज का बहुत ही कम मूल्य मिल रहा है। मीटिंग की शुरुआत में मंत्रिमंडल ने किसान आंदोलन के दौरान मरने वाले किसानों की याद में दो मिनट का मौन रखा। इस किसान संघर्ष के दौरान अभी तक लगभग 78 किसानों की मौत हो चुकी है। कैबिनेट ने यह भी कहा कि इस संघर्ष के मौके पर और जानी नुकसान से बचने के लिए इस समस्या का जल्द निपटारा किये जाने की जरूरत है। यह स्पष्ट करते हुए कि सुप्रीम कोर्ट ने भी संघर्षशील किसानों की चिंताओं को माना है और उनके दर्द को प्रमाणित किया है, कैबिनेट ने कहा कि भारत सरकार को इस मसले को प्रतिष्ठा और अभिमान का सवाल नहीं बनाना चाहिए, क्योंकि यदि यह मुद्दा अनसुलझा रहा तो इससे कई दशकों तक देश को भारी कीमत उठानी पड़ेगी। कैबिनेट मंत्रियों जिनके साथ पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान सुनील जाखड़ शामिल हुए, ने यह भी कहा कि यदि केंद्र सरकार कानूनों में बड़े स्तर पर बदलाव कर सकती है तो इन कानूनों को वापस न लेने की जिद समझ से बाहर है। एक औपचारिक प्रस्ताव में मंत्रिमंडल ने स्पष्ट शब्दों में पंजाब विधान सभा की तरफ से 28 अगस्त, 2020 और 20 अक्तूबर, 2020 को पास किये गए प्रस्तावों के प्रति अपनी वचनबद्धता को दोहराते हुए इस बात पर जोर दिया कि किसानों की सभी जायज माँगों मानी जानी चाहिए। मंत्रिमंडल ने भारत सरकार से ये कानून रद्द करने की मांग की। प्रस्ताव के मुताबिक, ‘‘सभी सम्बन्धित पक्षों के साथ विस्तृत तौर पर संवाद करने और विचार -चर्चा किये जाने की जरूरत है, क्योंकि इन कानूनों के साथ देश भर में लाखों ही किसानों के भविष्य पर प्रभाव पड़ा है और किसानों की सभी जायज मांगें मानी जानी चाहिए।’’ हिन्दुस्थान समाचार / नरेंद्र जग्गा-hindusthansamachar.in

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