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राष्ट्रपति ने अभिभाषण में चाणक्य, आंबेडकर के साथ मलयालम, असमिया, बांग्ला साहित्यकारों को किया उद्धृत

नई दिल्ली, 29 जनवरी (हि.स.)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए केंद्र सरकार की मौजूदा तमाम नीतियां महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित हैं। उन्होंने शुक्रवार को बजट सत्र के पहले दिन संसद के केंद्रीय कक्ष में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर, असमिया साहित्यकार अंबिका गिरि राय चौधरी, मलयालम के श्रेष्ठ कवि वल्लथोल, गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के बड़े भाई ज्योतिरीन्द्रनाथ टैगोर के ओजस्वी गीतों और कथनों को अपने अभिभाषण में उद्धृत किया। अंबिका गिरि राय चौधरी राष्ट्रपति कोविंद ने कहा भारत जब-जब एकजुट हुआ है, तब-तब उसने असंभव से लगने वाले लक्ष्यों को प्राप्त किया है। ऐसी ही एकजुटता और पूज्य बापू की प्रेरणा ने, हमें सैकड़ों वर्षों की गुलामी से आजादी दिलाई थी। इसी भावना को अभिव्यक्त करते हुए, राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत कवि, असम केसरी, अंबिका गिरि राय चौधरी ने कहा था, "ओम तत्सत् भारत महत, एक चेतोनात, एक ध्यानोत, एक साधोनात, एक आवेगोत, एक होइ ज़ा, एक होइ ज़ा।" अर्थात, भारत की महानता परम सत्य है। एक ही चेतना में, एक ही ध्यान में, एक ही साधना में, एक ही आवेग में, एक हो जाओ, एक हो जाओ। वेद की आज्ञा वेद की आज्ञाओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, हमारे शास्त्रों में कहा गया है- “कृतम् मे दक्षिणे हस्ते, जयो मे सव्य आहितः” अर्थात, हमारे एक हाथ में कर्तव्य होता है तो दूसरे हाथ में सफलता होती है। राष्ट्रपति ने कहा कि कोरोना महामारी के इस समय में, जब दुनिया का प्रत्येक व्यक्ति, हर देश इससे प्रभावित हुआ, आज भारत एक नए सामर्थ्य के साथ दुनिया के सामने उभर कर आया है। उन्होंने संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी सरकार के समय पर लिये गए सटीक फैसलों से लाखों देशवासियों का जीवन बचा है। आज देश में कोरोना के नए मरीजों की संख्या भी तेज़ी से घट रही है और जो संक्रमण से ठीक हो चुके हैं, उनकी संख्या भी बहुत अधिक है। आचार्य चाणक्य भारत के महान अर्थशास्त्री और राजनीतिज्ञ चाणक्य का जिक्र करते हुए कहा कि आचार्य चाणक्य ने कहा है- तृणम् लघु, तृणात् तूलम्, तूलादपि च याचकः। वायुना किम् न नीतोऽसौ, मामयम् याचयिष्यति ॥ याचना करने वाले को घास के तिनके और रुई से भी हल्का माना गया है। रुई और तिनके को उड़ा ले जाने वाली हवा भी याचक को इसलिए अपने साथ उड़ाकर नहीं ले जाती कि कहीं वह हवा से भी कुछ मांग ना ले। इस प्रकार हर कोई याचक से बचता है। इसका अभिप्राय यह है कि यदि अपने महत्व को बढ़ाना है तो दूसरों पर निर्भरता को कम करते हुए आत्मनिर्भर बनना होगा। उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई के समय हमारे स्वतंत्रता सेनानी जिस सशक्त और स्वतंत्र भारत का सपना देख रहे थे, उस सपने को सच करने का आधार भी देश की आत्मनिर्भरता से ही जुड़ा था। कोरोना काल में बनी वैश्विक परिस्थितियों ने, जब हर देश की प्राथमिकता उसकी अपनी जरूरतें थीं, हमें ये याद दिलाया है कि आत्मनिर्भर भारत का निर्माण क्यों इतना महत्वपूर्ण है। भीमराव आंबेडकर भारतीय संविधान के निर्माता और भारत रत्न डॉ भीमराव आंबेडकर का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि आंबेडकर संविधान के मुख्य शिल्पी होने के साथ-साथ हमारे देश में वॉटर पॉलिसी को दिशा दिखाने वाले भी थे। 8 नवंबर, 1945 को कटक में एक कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने कहा था- “पानी एक संपत्ति है, जिसे प्रकृति ने बिना किसी भेदभाव के दिया है और इसे बिना भेदभाव के लोगों के बीच पहुंचाना ही जल का संवर्धन है।” कवि वल्लथोल कोविंद ने कहा, हमारे स्वाधीनता संग्राम के दौरान देशभक्ति के अमर गीतों की रचना करने वाले मलयालम के श्रेष्ठ कवि वल्लथोल ने कहा है: भारतम् ऐन्ना पेरू केट्टाल अभिमाना पूरिदम् आगनम् अंतरंगम्। अर्थात, जब भी आप भारत का नाम सुनें, आपका हृदय गर्व से भर जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार भविष्य के भारत की व्यापक भूमिका को देखते हुए अपनी सैन्य तैयारियों को सशक्त करने में जुटी है। आज अनेक आधुनिक साजो-सामान भारत की सैन्य क्षमता का हिस्सा बन रहे हैं। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पर भी सरकार का जोर है। कुछ दिन पहले ही सरकार ने एचएएल को 83 स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस के निर्माण का ऑर्डर दिया है। इस पर 48 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। सरकार द्वारा मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए रक्षा से जुड़े 100 से अधिक सामानों के आयात पर रोक लगा दी गई है। इसी तरह सुपरसोनिक टॉरपीडो, क्विक रिएक्शन मिसाइल, टैंक और स्वदेशी रायफलों सहित अनेक अत्याधुनिक हथियार देश में ही बन रहे हैं। आज भारत रक्षा सामान के निर्यात के क्षेत्र में भी तेज़ी से अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रहा है। ज्योतिरीन्द्रनाथ टैगोर राष्ट्रपति ने पश्चिम बंगाल के सपूत और गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के बड़े भाई ज्योतिरीन्द्रनाथ टैगोर के गीत का उल्लेख करते हुए कहा कि वीरता, अध्यात्म और प्रतिभाओं की भूमि पश्चिम बंगाल के सपूत, गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के बड़े भाई ज्योतिरीन्द्रनाथ टैगोर ने देशप्रेम से भरे एक ओजस्वी गीत की रचना की थी। उन्होंने लिखा था: चॉल रे चॉल शॉबे, भारोत शन्तान, मातृभूमी कॉरे आह्वान, बीर-ओ दॉरपे, पौरुष गॉरबे, शाध रे शाध शॉबे, देशेर कल्यान। अर्थात मातृभूमि आह्वान कर रही है कि हे भारत की संतानो, सभी मिल-जुलकर चलते रहो। वीरता के स्वाभिमान तथा पौरुष के गर्व के साथ तुम सभी देश के कल्याण की निरंतर कामना करते रहो। इसके साथ ही उन्होंने भारत को आत्मनिर्भर बनाने का आह्वान करते हुए कहा कि हम सब मिलकर आगे बढ़ें, सभी देशवासी मिलकर आगे बढ़ें। अपना कर्तव्य निभाएं और राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देकर भारत को आत्मनिर्भर बनाएं। हिन्दुस्थान समाचार/सुशील-hindusthansamachar.in

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