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भरतपुर के बंशी पहाड़पुर से बेरोकटोक ‘रामलला’ के मंदिर जा सकेगा गुलाबी पत्थर

जयपुर, 23 फरवरी (हि.स.)।अयोध्या में भगवान श्रीराम के विशाल मंदिर निर्माण के लिए पत्थरों की चुनौती दूर हो गई है। राज्य सरकार की ओर से भरतपुर जिले के बयाना उपखंड स्थित गुलाबी पत्थर खनन क्षेत्र को बंशी पहाड़पुर वन एवं बंध बारैठा वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र के बाहर निकालने के लिए भेजे गए प्रस्ताव को केन्द्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय ने अनुमति दे दी है। इसके बाद अब बंशी पहाड़पुर की खदानों से निकलने वाले गुलाबी पत्थर को अयोध्या भेजे जाने की राह खुल गई है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारी गहलोत सरकार की ओर से भरतपुर जिले में लगाई गई खनन संबंधी रोक हटवाने के लिए लम्बे समय से प्रयासरत थे। उल्लेखनीय है कि अयोध्या में 1990 में कार्यशाला की स्थापना होने के समय विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल, राम जन्मभूमि न्यास के पहले अध्यक्ष महंत रामचंद्र दास ने भरतपुर में बंशी पहाड़पुर के पत्थर का चयन किया था। न्यास की ओर से प्रस्तावित मंदिर में इस क्षेत्र से निकलने वाले पत्थर का 60 प्रतिशत से अधिक उपयोग होगा। भरतपुर जिले में बयाना उपखंड अंतर्गत रूपवास तहसील के बंध बारैठा अभ्यारण्य स्थित बंशी पहाड़पुर की खदानें 1996 तक संचालित थी, लेकिन इस क्षेत्र को वन अभयारण्य मंय मानते हुए यहां खनन पर रोक लगा दी गई थी। इसके बाद खान विभाग ने सभी खान लीजों को निरस्त कर दिया, लेकिन फिर भी अवैध खनन जारी रहा। वर्ष 2020 में जिला कलेक्टर ने अवैध खनन पर सख्ती से रोक लगा दी थी। इसके बाद मंदिर के लिए पत्थर की आपूर्ति बंद हो गई थी। खनन से रोक हटवाने के लिए मंदिर निर्माण समिति से जुड़े लोग राज्य और केन्द्र सरकार के लगातार सम्पर्क में थे। इसके बाद राज्य सरकार ने राज्य सरकार ने खनन क्षेत्र को अभयारण्य से बाहर निकालने का प्रस्ताव जिला प्रशासन के जरिए मंगाया, जिसे स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने मंजूरी दे दी। बैठक नहीं होने के कारण सदस्यों से सर्कुलेशन के जरिए मंजूरी ली गई। बाद में इसे पर्यावरण मंत्रालय को भेजा गया। राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्टैंडिंग कमेटी की केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की अध्यक्षता में हुई बैठक में इसे मंजूरी दे दी गई। इसके बाद अभयारण्य क्षेत्र से लगभग 28 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को बाहर निकाला जाएगा। इसकी एवज में दूसरी ओर 198 वर्ग किलोमीटर नया क्षेत्र अभयारण्य में शामिल किया जाएगा। अयोध्या में बंशी पहाड़पुर के गुलाबी पत्थरों से 49.24 मीटर ऊंचा करीब ढाई एकड़ में एक लाख पांच हजार 147 वर्गफीट आकार के भूतल पर तीन मंजिला राममंदिर बनना है। देश में सदियों से जस की तस खड़ी इमारतें व किले इसी पत्थर से बने हैं। संसद भवन, लालकिला, बुलंद दरवाजा सहित अक्षरधाम और इस्कान के अधिकांश मंदिरों में बंशी पहाड़पुर का ही पत्थर लगा है। बंशी पहाड़पुर के पत्थर की खासियत मजबूती और सुंदरता के कारण सदियों से प्रसिद्ध है। राम मंदिर जिन स्तंभों और दीवारों पर खड़ा होगा, उसे तराशने का काम सिरोही जिले के पिंडवाड़ा में किया गया है। इन सभी को अयोध्या के कारसेवकपुरम में रखा गया है। गौरतलब है कि काम जल्द पूरा हो, इसके लिए विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल, चंपत रॉय और रामबाबूजी ने जनवरी 1995 में पूजन कर यहां तीन कार्यशालाओं में कार्य शुरू करवाया था। सोमपुरा मार्बल इंडस्ट्री, भरत शिल्प कला केंद्र व महादेव शिल्प कला केंद्र (मातेश्वरी कंस्ट्रक्शन) में विश्व हिंदू परिषद द्वारा इन पत्थरों को तराशने का कार्य किया गया। 2004 में यहां काम पूरा हुआ। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का ह्रदय से साधुवाद- उपाध्याय श्रीराम मंदिर निधि संग्रह अभियान समिति के सचिव सुरेश उपाध्याय का कहना है कि भरतपुर के बंशी पहाड़पुर में खनन का मार्ग प्रशस्त होने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का ह्रदय से साधुवाद प्रकट करते है। दोनों सरकारों के समन्वित प्रयासों से अयोध्या में भगवान राम के विशाल मंदिर का मार्ग प्रशस्त हुआ है। खनन पर रोक लगने के बाद से ही मंदिर निर्माण समिति के लोग दोनों सरकारों के संपर्क में थे। इसी का नतीजा निकला कि राज्य सरकार के प्रस्ताव पर केन्द्र सरकार ने सकारात्मक दृष्टिकोण दिखाते हुए खनन की राह खोल दी। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित पारीक/ ईश्वर

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