people39s-collective-power-behind-self-reliant-india-government39s-resolve-speaker-of-lok-sabha
people39s-collective-power-behind-self-reliant-india-government39s-resolve-speaker-of-lok-sabha

आत्मनिर्भर भारत के पीछे जनता की सामूहिक शक्ति, सरकार का संकल्प : लोकसभा अध्यक्ष

जयपुर, 14 फरवरी (हि.स.)। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि किसी भी चुनौती का सामूहिक रूप से मुकाबला करने का सामर्थ्य हमारे अंदर है। कोरोना चुनौती के कारण अच्छे- अच्छे विकसित देशों की चिकित्सा और आर्थिक व्यवस्थाएं डगमगा गई थीं, लेकिन भारत ने सामूहिक सेवा के संकल्प से चुनौती का मुकाबला किया। उन्होंने कहा कि समर्थ भारत बनाने के लिए आत्मनिर्भर भारत को बनाना होगा। पहले ऐसा लगता था कि हम कच्चा माल और प्रोडक्ट बनाकर लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर पाएंगे, लेकिन हमारे दृढ़ संकल्प ने इतने कम समय में उन सभी चीजों को परिवर्तित करने का काम किया है। यह काम पंडित दीनदायाल उपाध्याय के विचार और संकल्प से हुआ है। आत्मनिर्भर भारत बनाने के पीछे जनता की सामूहिक शक्ति और सरकार का संकल्प है। लोकसभा अध्यक्ष रविवार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति समारोह समिति की ओर से पं. दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय स्मारक धानक्या रेलवे स्टेशन पर "आत्मनिर्भर भारत सक्षम भारत" विषय पर आयोजित व्याख्यान में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि आज पंडित दीनदयाल के अंत्योदय के विचारों को भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में आत्मसात किया जा रहा है। जिन देशों में लोकतंत्र मजबूत हो रहा है वे देश पंडित दीनदयाल के विचार की ओर बढ़ रहे हैं। किस तरीके से हम समाज के अंदर अंतिम व्यक्ति का कल्याण कर सकें। उसके जीवन को बेहतर कर सकते हैं, इसी विचार को लेकर दीनदयाल ने हमें विचार दिया था। उन्होंने कहा कि आज हम स्मारक पर आते हैं और देखते हैं तो लगता है कि किन परिस्थितियों के अंदर पंडित दीनदयाल का जीवन बीता होगा। अपने नाना- नानी के सानिध्य में छोटे से गांव और छोटे से गांव के स्टेशन पर विषम परिस्थितियों के अंदर अपना जीवन बिताने वाले व्यक्ति का विचार आज दुनिया भर में आत्मसात हो रहा है। उन्होंने कहा कि जब संसद के नये भवन का खाका बन रहा था, उस समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक ही बात कही थी। यह देश के 130 करोड़ लोगों के लोकतंत्र का मंदिर है। यह आजाद भारत का हमारा बनाया हुआ संसद का मंदिर होगा। हमारे साथ इसमें जो भी काम होगा वह शत प्रतिशत स्वदेशी होगा। हम उसी दिशा की ओर काम करने में लगे। आत्मनिर्भर भारत की दिशा की ओर चलते हुए नव निर्माण के संकल्प पूरा करेंगे। व्याख्यान माला के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय बौद्धिक शिक्षण प्रमुख स्वांत रंजन ने कहा कि 60 के दशक तक दो विचारधाराओं से पूरा विश्व प्रभावित था। एक पूंजीवाद जिसका प्रतिनिधित्व अमेरिका करता था और दूसरा साम्यवाद जिसका प्रतिनिधित्व रसिया करता था। विश्व के बहुत सारे देश इन इन्हीं दोनों विचार धाराओं और इन देशों के साथ अपने हित संबंधों के आधार पर रहते थे। जब अपना देश स्वतंत्र हुआ, प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने इन दोनों से हटकर के गुट निरपेक्ष मार्ग चुना, लेकिन उसके बाद भी वे ज्यादातर रसिया से ही प्रभावित थे। भारतवर्ष में भी इसी प्रकार की प्रगति होना चाहिए। इस नाते से कई बड़े उद्योग और परियोजनाएं रसिया के आधार पर ही बनीं। कालांतर में पूंजीवाद और साम्यवाद की बुनियाद पर खड़े देश बिखर गए। ऐसे में एक विचार और था जिसे पंडित दीनदयाल उपाध्याय भारतीय विचार, सनातन विचार कहते थे। यह ऋषियों का विचार था और दीनदयाल ने इसी विचार को आगे बढ़ाने का काम किया। भारतीय विचार से हम देश ही नहीं पूरी दुनिया को सुखी बना सकते हैं। उन्होंने इसे नया कलेवर दिया। यही विचार आज भी शाश्वत विचार हैं। उन्होंने एक सूत्र दिया कि संपूर्ण विश्व और ब्रह्मांड में समन्वय है, सहकार हैं। इसलिए उन्होंने चार शब्द बताए व्यष्टि, समष्टि, सृष्टि और परमेष्ठी। इसमें सबसे छोटी इकाई व्यष्टि है। उन्होंने कहा कि अपने राष्ट्र को सशक्त करना आवश्यक है। हम दुर्बल और कमजोर हैं तो कोई सुनने वाला नहीं है। देश को मजबूत बनाना पड़ेगा। इसके लिए आत्मनिर्भर बनाना होगा। आज देश इस दिशा में चल पड़ा है। कार्यक्रम में जयपुर सांसद रामचरण बोहरा, समिति के अध्यक्ष डॉ. एमएल छीपा ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले व्यक्तियों और पंडित दीनदयाल उपाध्याय पर शोध करने वाले शोधार्थियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। हिन्दुस्थान समाचार/ ईश्वर/रामानुज-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in