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म्यांमार से भागे शरणार्थियों को भोजन और आश्रय देने से रोकने का आदेश वापस

- मणिपुर सरकार ने 26 मार्च को पांच जिला उपायुक्तों को पत्र लिखकर लगाईं थीं तमाम आपत्तियां इंफाल, 30 मार्च (हि.स.)। अशांत और परेशान होकर म्यांमार के नागरिक अपना देश छोड़कर अब भारत में प्रवेश करने के लिए बाध्य हो गये हैं। ऐसी स्थिति को देखते हुए मणिपुर सरकार को अपना वह आदेश वापस लेना पड़ा है, जिसमें 26 मार्च को तमाम तरह की पाबंदियां लगाई गईं थी। भारत और म्यांमार के बीच करीब 1643 किमी की लंबी सीमा है। मणिपुर सरकार ने 26 मार्च को एक आदेश जारी करके म्यांमार से आने वाले लोगों के प्रवेश पर रोक लगाने का कड़ा फैसला लिया था। मणिपुर के गृह सचिव एच ज्ञान प्रकाश ने पांच जिला उपायुक्तों चंदेल, तेंगनोपाल, कामजोंग, उखरूल, चुराचांदपुर को लिखे गए पत्र में कहा था कि म्यांमार में लोकतंत्र को समाप्त कर सत्ता पर सेना के काबिज होने के बाद से वहां के नागरिक डर कर भारत में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने जिला उपायुक्तों को म्यांमार के लोगों को भारत में प्रवेश न करने देने के निर्देश दिए थे। पत्र में यह भी कहा गया था कि म्यांमार के नागरिकों को न तो भोजन दिया जाए और न ही किसी तरह के शिविर खोले जाएं। जरूरत पड़ने पर मानवीय आधार पर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराई जा सकती है। इसी तरह आम नागरिकों या सामाजिक संगठनों की तरफ से भी राहत शिविरों का निर्माण न करने और उनके लिए भोजन, पानी की व्यवस्था न करने के निर्देश दिए गए थे। प्रशासन की ओर से स्वयं सहायता समूहों (एनजीओ) को भी किसी प्रकार के शिविर न खोलने, भोजन-पानी की भी व्यवस्था न करने का मणिपुर सरकार ने निर्देश जारी किया है। यह भी कहा गया कि वे अगर यहां शरण लेने आते हैं तो उनके साथ नरमी से पेश आएं और समझा-बुझाकर वापस भेजा जाए। मणिपुर के अधिकारियों ने बताया है कि फरवरी में म्यांमार में सत्ता सेना के कब्जे में आने के बाद से मणिपुर में शरणार्थियों की संख्या 1000 के पार हो गई है। ऐसे में अब तक कम से कम 100 लोगों को मणिपुर से पुनः म्यांमार भेजा जा चुका है। इसके बावजूद वे भारतीय सीमा में लौटने की कोशिश कर रहे हैं। ज्यादातर लोग सीमावर्ती गांवों में रह रहे हैं और स्थानीय एनजीओ उनकी मदद कर रहे हैं। कुछ अन्य लोग भी अपने रिश्तेदारों के घरों में रह रहे हैं। मोरा-तामू से लगने वाली भारतीय सीमा के जरिए शुक्रवार को भी बड़ी संख्या में म्यांमार के नागरिकों ने भारत में घुसने की कोशिश की, जिनमें से ज्यादातर बच्चे और महिलाएं थीं। हालांकि सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें भारत में प्रवेश करने से रोक दिया। गोलीबारी में घायल तीन लोग मदद मांगने के लिए भारतीय सीमा में आए थे, फिलहाल तीनों का मणिपुर में इलाज चल रहा है। म्यांमार में आंदोलन के चलते हालात बेहद खराब हो गये हैं, जिसके चलते लोग अपनी जान बचाने के लिए भारत की ओर रुख कर रहे हैं। इसी वजह से दबाव की स्थिति बनने पर मणिपुर सरकार को 26 मार्च का आदेश वापस लेना पड़ा है। हिन्दुस्थान समाचार/अरविंद

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