ओली वामपंथी हैं, वामपंथियों का कोई राष्ट्रधर्म नहीं होता : प्रो. रवेन्द्र शर्मा
ओली वामपंथी हैं, वामपंथियों का कोई राष्ट्रधर्म नहीं होता : प्रो. रवेन्द्र शर्मा

ओली वामपंथी हैं, वामपंथियों का कोई राष्ट्रधर्म नहीं होता : प्रो. रवेन्द्र शर्मा

साक्षात्कार भारत व नेपाल के मध्य 'शरीर व आत्मा' के सम्बन्ध, उसे तिब्बत नहीं बनना है तो भारत ही विकल्प: प्रो. रवेन्द्र शर्मा -कृष्णप्रभाकर उपाध्याय भारत पर चीन की चौतरफा विस्तारवादी नीति को जोरदार झटका लगा है। चीन से भारत के टकराव के मध्य ही पाकिस्तान और फिर नेपाल ने जो कुत्सित प्रयास किया वह भारतीय जनमानस को विचलित किया, लेकिन इसमें कुछ भी अचरज जैसा नहीं था। किन्तु इस बार अनायास ही एक अन्य कोण नेपाल का जुड़ा तो लोगों में हैरत हुई कि नेपाल से तो हमारे सदियों के सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक सम्बन्ध है। फिर ऐसा क्यों हो रहा है। ‘हिन्दुस्थान समाचार’ ने भी इस चिन्ता के समाधान के लिए कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष एवं सैन्य इतिहास विशेषज्ञ प्रो.रविन्द्र कुमार शर्मा से बात की। नेपाल समस्या की देन पं. नेहरू प्रो. शर्मा का मानना है कि वास्तव में इसके लिए नेहरूजी दोषी हैं। अन्यथा भारत व नेपाल के मध्य तो सदा सर्वदा से शरीर व आत्मा जैसे सम्बन्ध रहे हैं। देश की स्वाधीनता मिलने के बाद नेपाल के तत्कालीन महाराजा त्रिभुवन वीर विक्रम शाहदेव ने नेहरूजी से नेपाल को भी नये बन रहे भारतसंघ में शामिल करने का निवेदन किया था। तत्कालीन गृहमंत्री सरदार बल्लभभाई पटेल भी इस विचार के समर्थक थे। किन्तु नेहरूजी ने अपनी चीन परस्त नीति के कारण स्पष्ट इंकार कर दिया। फिर भी नेपाल 1951 से 1954 के मध्य कई बार ऐसी कोशिशें करता रहा। और तो और रूस ने भी यूएनओ में दो बार प्रस्ताव कर इसका समर्थन किया कि नेपाल भारत का अभिन्न अंग है। नेहरूजी के कारण ऐसा नहीं हुआ और इसका खामियाजा हमें भुगतना पड़ रहा है। जो थोड़ा-बहुत सहज सम्बन्ध थे, उन्हें 1984 में प्रधानमंत्री बने राजीव गांधी व उनकी पत्नी सोनिया गांधी ने अपनी नेपाल यात्रा के दौरान वहां कुछ ऐसे कार्य करके अलगाव में बदल दिया, जिन्हें नेपाल द्वारा अपना अपमान समझा गया। नेपाल हमारे छोटे भाई-हमारे परिवार की तरह भारत व नेपाल के सम्बन्धों पर गतिरोध के विषय में प्रोफेसर साहब का मानना है कि भारत नेपाल की सीमा के अंदर कभी कोई गतिरोध नहीं रहा। आज भी बहुत से ऐसे गांव हैं जो आधा भारत में हैं, आधा नेपाल में। उदाहरण के लिए-सीवां व धारतुला। इन गांवों के निवासियों में किसी भी तरह का कोई मनमुटाव नहीं। नेपाल हमारे छोटे भाई-हमारे परिवार की तरह है। इस मसले पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चुप रहकर नेपाल को यह एहसास करा दिया है कि नेपाल की जनता और सेना कभी भी भारत-विरोधी नहीं होंगे। प्रधानमंत्री की चुप्पी एकदिन निश्चय ही फल प्रदान करेगी। नेपाली जनता व सेना कभी भारत विरोधी नहीं होगी दुनिया में भारत और नेपाल ही ऐसी देश हैं जिनमें भारत का सेनाध्यक्ष नेपाल की सेना का भी जनरल है। और नेपाली सेनाध्यक्ष भारत की सेना के जनरल के समकक्ष है। नेपाली जनता व सेना कभी भारत विरोधी नहीं होगी। ओली वामपंथी हैं, वामपंथियों का कोई राष्ट्रधर्म नहीं होता नेपाल से वर्तमान सीमा विवाद पर प्रो. रवेन्द्र कहते हैं कि ओली वामपंथी हैं। वामपंथियों का कोई राष्ट्रधर्म नहीं होता। वे कभी भी राष्ट्रधर्म को सर्वोपरि मानते भी नहीं। ओली की भी यही गलती है। चीन की गोद में बैठकर वे यह भूल गये हैं कि उनका हाल भी तिब्बत जैसा हो सकता है। समर विशेषज्ञ शर्मा के अनुसार यह नेपाल की बदमाशी है। वे बताते हैं कि मेरे डाक टिकट संग्रह में 1960 के दशक में नेपाल द्वारा जारी किया गया एक ऐसा डाक टिकट है, जिसमें नेपाल द्वारा अपने देश के नक्शे को प्रकाशित किया है। इस डाक टिकट में धारचुला व कालीनदी-किसी को भी उसने अपना नहीं माना है। ये साफ-साफ भारत के अंग दिखाए गये हैं। कहा कि यह चीन की सह पर हो रहा है। चीन चाहता है कि जिस प्रकार वह पाकिस्तान में, आजाद कश्मीर में जाकर बैठ गया है, ठीक उसी प्रकार वह नेपाल की भारतीय सीमा पर सड़क बनाकर भारत की सीमा पर बैठना चाहता है। डा. शर्मा कहते हैं कि 'हमें ओली साहब की और चीन की मूर्खता पर हंसी आती है। वे इसे अपना इलाका भी बताते हैं। इसके लिए पहले उन्होंने नक्शा बना लिया। उसे संसद से पास करा लिया। और अब 9 सदस्यों की कमेटी बनाई है जो इसके लिए सबूत इकट्ठा करेगी। क्या मजाक है। एक दिन ओली को यह प्रपोजल प्रस्ताव वापस लेना पड़ेगा। नेपाल खुद अपनी भारतीय सीमा पर बनाई सीमा चौकियों को समाप्त करेगा इतिहास विभाग के इन पूर्व अध्यक्ष का कहना है कि मैंने अपने पूरे जीवन में सामरिक विषयों का अध्ययन किया है। इस अध्ययन के निष्कर्ष के आधार पर मैं विश्वासपूर्वक कह सकता हूं कि एक दिन नेपाल खुद अपनी भारतीय सीमा पर बनाई सीमा चौकियों को समाप्त कर देगा। नेपाल की सेना व वहां की जनता ओली और ऐसे प्रधानमंत्री को बता देगी कि हम किसी भी हाल में भारत के खिलाफ नहीं जाएंगे। चीन का यह ख्वाब कभी भी पूरा नहीं होगा कि वह नेपाल को भारत के खिलाफ कर सके। प्रो. शर्मा के अनुसार चीन सदैव से मानता रहा है कि तिब्बत तो उसकी हथेली की तरह है। जबकि इस हथेली की 5 उंगलियां सिक्किम, नेपाल, अरूणाचल, भूटान व वर्मा हैं। चीन की इस स्पष्ट मंशा के बाद भी यदि ओली नहीं समझ रहे तो मैं उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस वक्तव्य से पूरी तरह सहमत हूं कि ‘नेपाल नहीं सुधरा तो उसका हाल भी तिब्बत जैसा होगा।’ किन्तु मेरा मानना है कि नेपाल की जनता व सेना ऐसा नहीं होने देगी। भारत से नेपाल को भी दुनिया की कोई ताकत अलग नहीं कर सकती गोरखा भारत की सेना के अभिन्न अंग हैं। भारत से गोरखाओं, पशुपतिनाथ, सगरमाथा, हिमालय, गंगा, ब्रहमपुत्र आदि को कभी अलग नहीं किया जा सकता। अलग करना तो दूर, अलग करने की कल्पना भी नहीं की जा सकती। ठीक उसी प्रकार भारत से नेपाल को भी दुनिया की कोई ताकत अलग नहीं कर सकती। नेपाल के 17 गांवों पर चीन का कब्जा सामरिक क्षेत्र में उभरते दिख रहे चीन-पाकिस्तान-नेपाल के त्रिकोण पर उनकी निश्चित धारणा है कि ऐसे किसी भी त्रिकोण में नेपाल कभी भी शामिल नहीं होगा। नेपाल तो क्या शायद पाकिस्तान भी रास्ते पर आ जाएगा और वह भी इसमें शामिल नहीं होगा। साथ ही चीन को भी अंततोगत्वा वापस जाना पड़ेगा। चीन ने एक सूचना के अनुसार 11 दूसरी के अनुसार नेपाल के 17 गांवों पर अधिकार कर लिया है। प्रोफेसर शर्मा का विश्वास है कि नेपाल की जनता एक दिन मानेगी कि भारत ठीक है, चीन नहीं। उसे यदि अपने भूभाग की रक्षा करनी है, उसे तिब्बत नहीं बनना है तो उसे भारत के साथ आना ही पड़ेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘मन की बात’ में इन्हीं कारणों से कहा कि नेपाल से हमारे धार्मिक, सामाजिक व आर्थिक प्रगाढ़ सम्बन्ध हैं। हम अलग नहीं हो सकते। आप देखेंगे कि एक दिन नेपाल की जनता ओली को हटाकर उसके मंतव्य को असफल कर देगी। वह जानती है कि चीन धोखेबाज है। चीन ने अपने अधिकांश पड़ोसियों के राज्यों पर अधिकार कर लिया है। और हमारी अपनी सरकार भी इसे कभी नहीं होने देगी। इसके लिए हमारी वर्तमान सरकार सफल है, सक्षम है। मोदी का भारत घर में घुसकर मारता है प्रो. रवेन्द्र शर्मा गर्वपूर्वक बताते हैं कि ये 1962 का नेहरूजी का भारत नहीं जिसे वीरतापूर्वक पीछे हटना पड़ा। यह नरेन्द्र मोदी का भारत है। ये अंदर घुसकर मारेगा और चीन को सबक सिखा देगा। भारत ने दुनिया के समस्त देशों को यह साफ संदेश दिया है कि हमारी सरजमीं के ऊपर कोई एक इंच भी आगे नहीं बढ़ सकता। यदि वह आगे बढ़ा तो उसे इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। भारत ने अपने पड़ोसियों व विश्व को बता दिया है कि नया भारत घर में घुसकर मारता है। चाहे वह वर्मा के आतंकवादी हों, चाहे पाकिस्तान, पीओके या बालाकोट के अंदर हों, अब उन्हें बक्शा नहीं जाएगा। भारत कभी भी साम्राज्यवादी नहीं रहा। प्रो.शर्मा ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इस घोषणा को गहराई को समझने की जरूरत है कि ‘हम न आंख झुकाकर बात करेंगे, न आंख दिखाकर। हम आंख से आंख मिलाकर बात करेंगे।’ यह राष्ट्रधर्म को माननेवाली सरकार है। और इसके पास राष्ट्रधर्म के लिए अपना सर्वस्व होम करनेवाली सक्षम सेना है। हिन्दुस्थान समाचार/कृष्णप्रभाकर/राजेश-hindusthansamachar.in

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