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अब चंबल के बीहड़ों होंगे हाइब्रिड बीज तैयार

- बीहड़ों के विकास की संभावनाओं को तलाशने यहां दिल्ली से पहुंचा विशेष दल भोपाल, 16 जून (हि.स)। कभी डाकुओं के लिए कुख्यात रहे चंबल के बीहड़ अब बदल रहे हैं। इसे समय की मांग कहिए या विकास की आधुनिक जरूरत। यहां लोग अब डकैती का रास्ता छोड़कर रोजगार चाहते हैं। इसी चाहत के कारण चंबल के बीहड़ का दृष्य बदलने लगा है। केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के संयुक्त प्रयासों से केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकार ने इस क्षेत्र के विकास के लिए जो योजनाएं बनाई हैं, उनमें अभी कुछ पर काम चल रहा है और कुछ शीघ्र शुरू होने जा रही हैं। इसका परिणाम यह है कि जो भूमि कभी डकैतों की पनाह स्थली के रूप में कुख्यात थी, वह अपने आंचल में औषधीय पौधों के साथ समतलीकरण में खेती की अन्य संभावनाओं के बीच हाइब्रिड बीज उत्पन्न करने के लिए तैयार होगी। डाकुओं की शरणस्थली पर अब होगी खेती डाकुओं और अपराधियों की शरणस्थली रहे चंबल के बीहड़ में मोदी सरकार ने खेती करवाने की योजना बनाई है। केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की विशेष पहल पर भारत सरकार कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव अश्वनी कुमार और वैज्ञानिकों की टीम इन दिनों मुरैना पहुंचकर बीहड़ों के विकास की संभावनाओं को तलाश रही है। जिसमें राष्ट्रीय बीज विकास की योजनायें बनेगी। संयुक्त सचिव एवं वैज्ञानिकों की टीम अब तक जौरा विकासखण्ड के ग्राम छिनवरा और मुरैना विकासखण्ड के ग्राम पिपरई के समीप स्थल का मुआयना कर चुकी है। तीन लाख हेक्टेयर से भी अधिक गैर-खेती योग्य बीहड़ भूमि का होगा विकास केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर कहते हैं, "चंबल क्षेत्र के संपूर्ण विकास के लिए बीहड़ विकास परियोजना पर नए सिरे से काम चल रहा है, इस परियोजना में खेती के साथ-साथ कृषि बाजारों, गोदामों व कोल्ड स्टोरेज का विकास भी होगा।" केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर का कहना है कि यहां तीन लाख हेक्टेयर से भी अधिक गैर-खेती योग्य बीहड़ भूमि है, जिसमें कृषि विकास किया जाएगा। वे कहते हैं कि चंबल नदी के किनारे काफी जमीन है, जहां कभी खेती नहीं हुई, इसलिए यह क्षेत्र जैविक रकबे में जुड़ेगा, जो बड़ी उपलब्धि होगी । बड़े पैमाने पर मिलेगा क्षेत्रीय लोगों को रोजगार तोमर मानते हैं कि यह परियोजना न सिर्फ क्षेत्र की भूमि को कृषि योग्य बनाएगी, बल्कि क्षेत्रीय लोगों के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार भी मुहैया कराएगी। उन्होंने प्रस्तावित 'चंबल एक्सप्रेस' हाईवे को इस परियोजना से जोड़ते हुए कहा कि इस सबके पूरा हो जाने से समूचे बीहड़ क्षेत्र का बड़े पैमाने पर विकास होगा। यहां के किए जा रहे विकास को लेकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि ग्वालियर-चंबल संभाग में विकसित होने वाले अटल प्रोग्रेस-वे के कार्य को युद्ध स्तर पर पूर्ण किया जाने के निर्देश दिए गए हैं। प्रदेश के औद्योगिक विकास और रोजगार के नए अवसर सृजित करने तथा नए नगरीय क्षेत्रों के विकास के लिए यह परियोजना दूरगामी निवेश हैं। यह प्रदेश की प्रगति को नए आयाम देंगी। यहां संपूर्ण क्षेत्र के चहुंमुखी विकास के लिए हर बारीक से बारीक विषय पर ध्यान दिया जा रहा है। यहां राष्ट्रीय बीज विकास की योजनाएं होंगी विकसित भारत सरकार कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव अश्वनी कुमार कहते हैं कि चंबल के बीहड़ों के विकास के लिये संभावनाओं को तलाशा जा रहा है। जिसमें राष्ट्रीय बीज विकास की योजनाओं को विकसित किया जायेगा। इसके लिये ग्राम छिनवरा और पिपरई के समीप स्थल को तलाशा जा चुका है, आगे अन्य क्षेत्र पर भी काम होगा। कुल मिलाकर सरकार का दावा है कि इस क्षेत्र में खेती-किसानी व पर्यावरण में सुधार होगा। इससे लोगों को रोजगार मिलेगा, जिसे लेकर मध्य प्रदेश के अधिकारियों के साथ-साथ कृषि विशेषज्ञों की भी सैद्धांतिक सहमति है। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि मध्य प्रदेश में देश का सबसे ज्यादा आर्गेनिक क्षेत्रफल है, जिसे प्रमोट करने की जरूरत है, जिससे आर्गेनिक फार्मिंग को और तेजी के साथ आगे बढ़ाया जा सकेगा। चंबल के बीहड विकास प्रोजेक्ट को मिशन मोड में लेकर अत्याधुनिक तकनीक के साथ काम करने की जरूरत पर भी ये वैज्ञानिक बल देते हैं। मौजूदा परियोजना में तीन लाख हेक्टेयर बीहड़ भूमि को कृषि और वन क्षेत्र के लिए विकसित करने की योजना है। हर साल 8,000 हेक्टेयर भूमि निगल रहा बीहड़, योजना के क्रियान्वयन से इस पर लगेगी रोक 'मध्य प्रदेश कृषक कल्याण और कृषि विकास विभाग' के अध्ययन के अनुसार बीहड़ में पसरा कुल क्षेत्र 3.97 मिलियन (लगभग 40 लाख) हेक्टेयर है जिसकी चपेट में मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और गुजरात राज्य आते हैं। इसमें अकेले मध्य प्रदेश का हिस्सा 70 प्रतिशत (29 लाख हेक्टेयर) है। छह दशकों की ढेरों कोशिशों के बावजूद उक्त अध्ययन बताता है कि प्रति वर्ष बीहड़ का होने वाला विस्तार 9.5 प्रतिशत है यानी भूमि क्षरण के चलते हर साल बीहड़ 8000 हेक्टेयर भूमि निगल रहा है। इस विकास के प्रयास से आगे ये उम्मीद की जा सकती है कि बीहड़ अब और नहीं बढ़ेगा। बल्कि यहां शुरू हो रहे चंबल अटल प्रोग्रेस-वे और चंबल नदी के बीच में बीहड़ भूमि पर हाइब्रिड बीज तैयार होते हुए दिखाई देंगे। पिछले साल बीहड़ भूमि के विकास का एक्शन प्लान आया था सामने उल्लेखनीय है कि पिछले साल ही केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बीच केंद्र व राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने ग्वालियर-चंबल संभाग की तीन लाख हेक्टेयर परती बीहड़ भूमि के विकास का एक्शन प्लान साझा किया था। जिस पर कि केंद्र एवं राज्य सरकार की संयुक्त सहमति बनी थी। इससे पहले नवम्बर 2016 में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने बीहड़ को समतल करके कृषि योग्य बनाने हेतु एक नई महत्वाकांक्षी परियोजना को केंद्र के समक्ष भेजा था । उक्त परियोजना में मुख्यत: चंबल, सिंध, बेतवा, क्वारी और यमुना की सहायक (ट्रीब्यूट्री) नदियों वाले मुरैना, भिंड और शिवपुर आदि क्षेत्रों के 68,833 हेक्टेयर बीहड़ों को केंद्र में रखा गया था। 1200 करोड़ रुपये के बजट वाली उक्त परियोजना में केंद्र बनाम राज्य के बजट का अनुपात 80:20 था। यानी केंद्र के ज़िम्मे 900 करोड़ रुपये और शेष राशि राज्य सरकार और उन किसानों के हिस्से में आने का प्रावधान था, जिन्हें भविष्य में उक्त परिवर्धित भूमि मिलती। मुख्यमंत्री शिवराज ने बनाया था बीहड़ विकास को 'मध्य प्रदेश विज़न डॉक्युमेंट' का हिस्सा इसके साथ ही तत्कालीन शिवराज सरकार ने इसे 'मध्य प्रदेश विज़न डॉक्युमेंट' का हिस्सा भी बनाया। लेकिन परियोजना कोई शक्ल ले पाती इससे पहले सरकार बदल गई । इसके बाद जैसे ही फिर से शिवराज सरकार आई तो 'अपने' मुख्यमंत्री के अनुरोध पर केंद्रीय मंत्री नरेंद्रसिंह तोमर ने इसमें विशेष रुचि लेना शुरू किया और चंबल के विकास पर फोकस करते हुए इस पर केंद्रीय कृषि मंत्रालय की ओर से पुन: काम शुरू करने को कहा गया। बता दें कि नरेन्द्र सिंह तोमर स्वयं भी मुरैना संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। हिन्दुस्थान समाचार/डॉ. मयंक चतुर्वेदी

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