अब पतंजलि योगपीठ करेगी शिक्षा क्रांतिः रामदेव
- स्वामी रामदेव ने 26वें स्थापना दिवस पर की घोषणा हरिद्वार, 05 जनवरी (हि.स.)। पतंजलि योगपीठ-2 में पतंजलि के 26 वर्ष पूरे होने पर मंगलवार को आयोजित कार्यक्रम में स्वामी रामदेव ने शिक्षा क्रांति का शंखनाद किया है। उन्होंने कहा कि 26 वर्ष पहले पंचपुरी (हरिद्वार) में शून्य से पतंजलि योगपीठ की यात्रा प्रारंभ हुई। इन 26 वर्षों में योग, आयुर्वेद और स्वदेशी जनांदोलन बना है। उनके साथ आचार्य बालकृष्ण भी थे। स्वामी रामदेव ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत की सबसे बड़ी प्रेरणा पतंजलि योगपीठ बना है। वाॅकल फोर लोकल का सबसे बड़ा रोल माॅडल आइकॉन पतंजलि योगपीठ ही है। योग, आयुर्वेद और स्वदेशी क्रांति के बाद भारतीय शिक्षा बोर्ड के माध्यम से अब शिक्षा क्रांति का नया शंखनाद पतंजलि की ओर से होगा। स्वामी रामदेव ने कहा कि देश के अन्नदाता और सरकार के बीच कोई सहमति बननी चाहिए। किसानों की आड़ लेकर कुछ शरारती तत्व अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने की कोशिश कर रहे हैं। उनसे किसान नेताओं को बचना होगा। आपसी संवाद से जल्द समाधान निकलेगा। स्वामी रामदेव ने कहा कि कोरोना वैक्सीन में न तो गाय का खून है, न ही सूअर की चर्बी। वैक्सीन से न कोई नपुंसक होने वाला है और न ही किसी राजनीतिक विरोधी दल के राजनेता की मौत होने वाली है। वैक्सीनेशन के कुछ साइड इफैक्ट्स होते हैं, वे तो होंगे ही। उन्होंने कहा कि वैक्सीन न किसी पंथ की है और न किसी राजनीतिक पार्टी की। वैक्सीन एक वैज्ञानिक शोध है। हमें अपने वैज्ञानिकों को धन्यवाद करना चाहिए। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि पतंजलि ने अपने 26 वर्षों के कालखंड में अनेक आयाम स्थापित किए हैं। हमारा आगामी लक्ष्य आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर औषधि की मान्यता दिलाना है। कार्यक्रम में साध्वी देवप्रिया, ऋतम्भरा, पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डाॅ. महावीर, स्वामी परमार्थदेव, कविराज मनोहर लाल आर्य, सेवानिवृत्त आईएएस एनपी सिंह, मौलाना काजमी ने भी विचार रखे। हिन्दुस्थान समाचार/रजनीकांत/मुकुंद-hindusthansamachar.in