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अब नौसेना हिन्द महासागर में चीन को देगी माकूल जवाब

- इजराइल से नौसेना के जहाजों के लिए मिला बराक-8 मिसाइल डिफेंस सिस्टम - डीआरडीओ ने इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज के सहयोग से किया है तैयार सुनीत निगम नई दिल्ली, 14 फरवरी (हि.स.)। अब भारतीय नौसेना हिन्द महासागर में चीन की हर हरकत का माकूल जवाब दे सकेगी क्योंकि रविवार को इजरायल से खरीदे गए बराक-8 मिसाइल डिफेंस सिस्टम सौंप दिए गए। लंबी दूरी की जमीन से हवा में मार करने वाली इस मिसाइल का उत्पादन इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई) के साथ सरकारी कंपनी भारत डायनामिक्स लिमिटेड (बीडीएल) ने किया है। यह जहाजों के लिए एक सुरक्षित वाहक और लॉन्च मिसाइल है और इसे लंबवत रूप से लॉन्च किया जा सकता है। चीन की हिन्द महासागर में बढ़ती सक्रियता के मद्देजनजर बराक-8 की आपूर्ति मौजूदा समय में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। डीआरडीओ के एलआरएसएएम मिसाइलों के अंतिम उत्पादन बैच को आज एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल कॉम्प्लेक्स, हैदराबाद में डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। भारत ने 2018 में इजरायल की एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई) से बराक-8 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की खरीद के लिए 777 मिलियन डॉलर (करीब 5687 करोड़ रुपये) का सौदा किया था। यह मिसाइल एलआरएसएएम श्रेणी के तहत काम करती है। इस अनुबंध के तहत इजरायल की कंपनी को भारतीय नौसेना के 7 जहाजों को एलआरएसएएम एयर और मिसाइल डिफेंस सिस्टम्स की आपूर्ति करना था। बराक-8 को इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। हथियारों और तकनीकी अवसंरचना, एल्टा सिस्टम्स इजरायल ने दिया है जबकि भारत डायनामिक्स लिमिटेड (बीडीएल) ने मिसाइलों का उत्पादन किया है। बराक-8 एक भारतीय-इजरायली लंबी दूरी वाली सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है। बराक 8 को विमान, हेलीकॉप्टर, एंटी शिप मिसाइल और यूएवी के साथ-साथ क्रूज मिसाइलों और लड़ाकू जेट विमानों के किसी भी प्रकार के हवाई खतरे से बचाव के लिए डिजाइन किया गया। इस सिस्टम का इस्तेमाल इजरायली नौसेना के अलावा भारतीय नौसेना, वायुसेना और थल सेना करती हैं। परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम लंबी दूरी की मिसाइल बराक-8 की मारक क्षमता 70 से 90 किमी. है। साढ़े चार मीटर लंबी मिसाइल का वजन करीब तीन टन है और यह 70 किलोग्राम भार ले जाने में सक्षम है। बराक-8 मिसाइल बहुउद्देशीय निगरानी और खतरे का पता लगाने वाली राडार प्रणाली से सुसज्जित है। दरअसल यह मिसाइल कई श्रेणियों में आती हैं जैसे कुछ जमीन या सतह से हवा में मार करने वाली तो कोई हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल होती हैं। इसके अलावा इनमें लंबी दूरी, मध्यम दूरी और छोटी दूरी की मिसाइल होती हैं। नौसेना को आपूर्ति की गई मिसाइल लंबी दूरी की जमीन से हवा में मार करने वाली श्रेणी की है। शिप पर इसका इस्तेमाल एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम के रूप में किया जाता है। इसका इस्तेमाल भारत और इजराइल की सेनाएं करती हैं। भारतीय सेना भी बराक श्रेणी की कई मिसाइलों का पहले से ही इस्तेमाल कर रही हैं। 2017 में भारत और इजरायल ने इस मिसाइल के जमीनी संस्करण के लिए करीब 2 अरब डॉलर का सौदा किया था जिसे एमआरएसएएम के नाम से जाना जाता है। हिन्दुस्थान समाचार-hindusthansamachar.in

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