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गुरू-शिष्य का विवाद नहीं, प्रयागराज की अस्मिता बचाने की लड़ाई : आनंद गिरि

प्रयागराज, 19 मई (हि.स)। बाघंबरी मठ के महंत और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेन्द्र गिरि और शिष्य आनंद गिरि के बीच जुबानी और कानूनी लड़ाई तेज हो गई। शिष्य आनंद गिरि ने कहा कि हमारी लड़ाई गुरू से नहीं बल्कि सनात्तन धर्म को नुकसान पहुंचाने वाले विधर्मियों से है। प्रयागराज के पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी से निष्कासित होने के बाद आनंद गिरी ने बुधवार को अपने बयान में कहा कि आदि गुरू शंकराचार्य ने हम नागाओं को एक नारा दिया था ‘एक हाथ में शस्त्र और एक हाथ में शास्त्र’। शत्रु कौन है, जो सनातन धर्म का है, वही तुम्हारा शत्रु है। जो सनातन धर्म के विरूद्ध काम करता है, उससे हमें लड़ना है। उन्होंने आगे कहा कि आज प्रयागराज की अस्मिता का सवाल है। प्रयागराज में भारद्वाज आश्रम, दुर्वासा ऋषि आश्रम, नागवासुकी मंदिर सभी जीर्णशीर्ण अवस्था में हैं। यह स्थिति सभी जानते हैं। यह तो भाजपा की सरकार आने से भारद्वाज ऋषि की प्रतिमा लग गयी, जो कुछ अच्छा दिखने लगा। नहीं तो मठ-मंदिरों की हालत बहुत खराब है। संगम किनारे स्थित हनुमान मंदिर प्रयागराज की प्रतिष्ठा का एक स्वरूप है। ऐसी स्थिति में इन सभी को बचाने का पूरा प्रयास करना चाहिए। आनंद गिरी ने कहा कि ये मंदिर-मठ प्रयाग की सम्पदा हैं। इसे बचाना चाहिए। इसे बचाने में हो सकता है मुझे जेल भेज दिया जाय या मुझे मार दिया जाय। ऐसा होने से भी यदि ये बचते हैं तो मुझे कोई चिन्ता नहीं। उन्होंने कहा कि मठ को बर्बाद करने में यदि मेरा दोष पाया जाता है तो मैं सजा भुगतने को तैयार हूं। उन्होंने यह भी कहा कि नारको टेस्ट कराने के लिए तैयार हूं, लेकिन उधर भी नारकोटेस्ट होना चाहिए। जो दोषी हो उसे सजा दी जाय। उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व सोमवार को आनंद गिरी ने अपनी एवं अखाड़े के सम्पत्ति की सुरक्षा की मांग करते हुए प्रदेश सरकार से जांच की मांग की है। उन्होंने अखाड़े से जुड़े सम्पत्ति के विवाद में अपनी भी हत्या की आशंका जताई है। कहा है कि अखाड़े की सम्पत्ति सैकड़ों वर्ष पुरानी है। हमें इसका संवर्धन और संरक्षण करना चाहिए न कि इसको बर्बाद करना चाहिए। कहा है कि अखाड़े की सम्पत्ति को बर्बाद करने से रोकने को लेकर ही पूरा विवाद शुरू हुआ है। आनंद गिरी ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि किसी के दबाव में अखाड़े की सम्पत्ति को वे नुकसान पहुंचा रहे हैं, इसे रोका जाना चाहिए। आनंद गिरि का कहना है कि गुरूजी अर्थात मंहत नरेन्द्र गिरि ने अपने बड़े भाई अशोक सिंह, छोटे भाई अरविन्द सिंह व आनंद सिंह के नाम झूंसी, हड़िया, जुनैदपुर रोड पर करोड़ों के मकान, प्लॉट व तीन-चार एकड़ जमीन खरीदी है। हड़िया स्थित बैंक में लॉकर दिलाया है।दादरी नोएडा में भी फलैट खरीदवाए हैं। यह सारा पैसा मठ से गया है। सेवा में लगे छात्र शिवेक व अभिषेक आदि के लिए उनके गांव में बंगले बनवाए और महंगी गाड़िया उन्हीं के नाम कर दीं। सुरक्षा में लगे पुलिस वालों को भी मकान, फ्लैट व गाड़ियां दिलाई। कहा है कि अगर ठीक से जांच हो तो सारी बातें सच मिलेंगी। मैं विरोध कर रहा था, इसलिए मेरे पर कार्रवाई की गई। इस मठ से जुड़े जानकारों का कहना है कि मठ की सम्पत्ति बेचकर महंत नरेन्द्र गिरि ने इतना धन इकट्ठा कर लिया है कि धनबल के आगे साधु-संत और अखाड़े चुप लगा जाते हैं। हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त

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