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फरीदाबाद में वन भूमि पर बसे झुग्गीवासियों को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं

नई दिल्ली, 17 जून (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने फरीदाबाद के लक्कड़पुर-कोरी गांव में वन भूमि पर कब्ज़ा कर बनी लगभग दस हज़ार झुग्गियों को हटाने की कार्रवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता चाहें तो फरीदाबाद नगर निगम को दस्तावेज दिखा सकते हैं। फरवरी 2020 के बाद लोगों को वन भूमि खाली करने का पर्याप्त मौका दिया गया। पुनर्वास योजना का लाभ लेने के लिए लोगों को अपने दस्तावेज दिखाने का भी पर्याप्त अवसर दिया गया था लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील अपर्णा भट्ट ने कहा कि इस मामले के लंबित होने के बावजूद भी लोगों को जबरन हटाया जा रहा है। तब कोर्ट ने कहा कि वन भूमि को खाली करने दीजिए। अपर्णा भट्ट ने कहा कि कोरोना के इस महामारी में कम से कम बच्चों के लिए अस्थायी आश्रय की व्यवस्था होनी चाहिए। तब कोर्ट ने कहा कि इस मसले पर हरियाणा सरकार विचार करे। कोर्ट ने साफ किया कि याचिका लंबित होने से अतिक्रमणकारियों को हटाने से रोका नहीं जा सकता है। सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार ने कहा कि अतिक्रमणकारी अधिकारियों पर पत्थर चला रहे हैं। तब कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई आदेश की जरूरत नहीं है, क्योंकि अधिकारी जानते हैं कि क्या करना है। पिछली 7 जून को कोर्ट ने वन भूमि पर कब्जा कर बनी लगभग दस हजार झुग्गियों को 6 हफ्ते में हटाने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि जंगल की ज़मीन कब्जाने वालों से कोई रियायत नहीं हो सकती है। फरवरी 2020 में भी सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया था। कोर्ट ने इस आदेश का पालन न होने पर अधिकारियों को अवमानना कार्रवाई की चेतावनी भी दी थी। कोर्ट ने फरीदाबाद नगर निगम को इस आदेश की अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। हिन्दुस्थान समाचार/संजय

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