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सच्चाई जानने के लिए निष्पक्ष प्रेस सुनिश्चित करने की जरूरत : न्यायमूर्ति चंद्रचूड़

नई दिल्ली, 28 अगस्त (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि नागरिकों के रूप में हमें यह सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए कि प्रेस किसी भी प्रभाव से मुक्त हो और जो निष्पक्ष तरीके से जानकारी दे। जस्टिस चंद्रचूड़ छठे एम.सी. छागला मेमोरियल ऑनलाइन लेक्चर के हिस्से के रूप में स्पीकिंग ट्रथ टू पावर : सिटीजन्स एंड द लॉ विषय पर अपने विचार प्रकट कर रहे थे। उन्होंने कहा, फेक न्यूज के प्रसार का मुकाबला करने के लिए हमें अपने सार्वजनिक संस्थानों को मजबूत करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, नागरिकों के रूप में, हमें यह सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए कि हमारे पास किसी भी तरह के राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव से मुक्त प्रेस हो। हमें एक ऐसे प्रेस की जरूरत है, जो हमें निष्पक्ष तरीके से जानकारी दे। उन्होंने सत्य की परिभाषा के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा, पहला, नागरिकों के लिए इस समय और युग में सच्चाई को खोजना बेहद मुश्किल हो गया है। दूसरा, सच्चाई को पा लेने के बाद उन्हें सच्चाई की परवाह नहीं रहती। उन्होंने कहा, हमारी सच्चाई बनाम आपकी सच्चाई के बीच एक प्रतियोगिता है, और एक सत्य को अनदेखा करने की प्रवृत्ति भी है, जो किसी की धारणा या राजनीतिक झुकाव के साथ संरेखित नहीं है। उन्होंने कहा कि ट्विटर और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को झूठी सामग्री के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए, लेकिन लोगों को अधिक सतर्क रहना चाहिए और लोगों की अलग-अलग राय को स्वीकार करना चाहिए। हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जो आर्थिक और धार्मिक और सामाजिक रूप से विभाजित होती जा रही है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि यह निर्विवाद सत्य है कि नकली समाचारों का बढ़ना जारी है और इसका एक प्रासंगिक उदाहरण यह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने हाल ही में वर्तमान कोविड-19 महामारी को इन्फोडेमिक करार दिया और ऑनलाइन गलत सूचनाओं की अधिकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने दार्शनिक हन्ना अरेंड्ट को उद्धृत करते हुए कहा कि अधिनायकवादी सरकारें प्रभुत्व स्थापित करने के लिए झूठ पर निरंतर निर्भरता से जुड़ी रहती हैं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सत्य को महत्वपूर्ण माना जाता है, जिसे तर्क के स्थान के रूप में वर्णित किया गया है। उन्होंने कहा, लोकतंत्र में एक सार्वजनिक भावना पैदा करने के लिए यह सत्य भी महत्वपूर्ण है कि प्रभारी अधिकारी सत्य को खोजने और उसके अनुसार कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध होते हैं। उन्होंने कहा कि सत्य साझा सार्वजनिक स्मृति बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सच्चाई का निर्धारण करने में राज्य की भूमिका पर उन्होंने कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि सरकार लोकतंत्र में भी राजनीतिक कारणों से झूठ में लिप्त नहीं होगी। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, वियतनाम युद्ध में अमेरिका की भूमिका पेंटागन पेपर्स प्रकाशित होने तक दिन के उजाले में भी नहीं दिखती थी। कोविड के संदर्भ में हम देखते हैं कि दुनियाभर के देशों में डेटा में हेरफेर करने की कोशिश की प्रवृत्ति बढ़ी है। इसलिए, केवल कोई सच्चाई का निर्धारण करने के लिए सरकार पर भरोसा नहीं कर सकता। उन्होंने स्कूलों और कॉलेजों में सकारात्मक माहौल बनाने का आह्वान किया, जो छात्रों को झूठ से सच को अलग करने और सत्ता में बैठे लोगों से सवाल करने के लिए सीखने की अनुमति देता है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने लोगों से अपने आसपास के लोगों के प्रति दयालु और अधिक संवेदनशील होने का आग्रह किया। --आईएएनएस एसजीके/एएनएम

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