Need to bridge gender discrimination in employment related to science, technology and mathematics: Vice President
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विज्ञान, प्रौद्योगिकी और गणित से जुड़े रोजगार में लैंगिक भेदभाव पाटने की जरूरत : उपराष्ट्रपति

नई दिल्ली, 05 जनवरी (हि.स.)। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अभियांत्रिकी और गणित (एसटीईएम) विषयों से संबंधित रोजगार में लैंगिक आधार पर होने वाले भेदभाव को पाटने का आह्वान किया। उपराष्ट्रपति ने मंगलवार को कहा कि भारत में विश्व में सबसे अधिक संख्या में महिलाएं विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अभियांत्रिकी और गणित (एसटीईएम) विषयों में स्नातक (लगभग 40 प्रतिशत) में उत्तीर्ण हो रही हैं लेकिन देश में एसटीईएम से जुड़े क्षेत्रों से संबंधित रोजगार में उनकी भागीदारी महज 14 प्रतिशत है, जिसमें सुधार लाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट अध्ययनों में भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है, जिसे तेजी से सुधारने की जरूरत है। नायडू ने कहा कि आईआईटी में छात्राओं की संख्या में सुधार के लिए सरकार के प्रयासों का परिणाम सामने आया है। इसमें 2016 में महिलाओं की संख्या सिर्फ 8 प्रतिशत थी, जो अब बढ़कर लगभग 20 प्रतिशत हो गई है। चेन्नई के गणितीय विज्ञान संस्थान (आईएमएस) में उपराष्ट्रपति ने एसटीईएम के रुझानों के बारे में बात की और कहा कि हम किस प्रकार रोजगार सृजन में डेटा विज्ञान क्रांति की क्षमता का दोहन कर सकते हैं। नायडू ने कहा कि डेटा ने व्यापार करने के तरीके को बदल दिया है और हमें अपने युवा स्नातकों को इन नए कौशल-सेटों से लैस करने के लिए अपने पारंपरिक इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम से परे देखना होगा। उन्होंने कहा कि इस तरह हमें उद्योग की वर्तमान मांगों के लिए प्रासंगिक रहना चाहिए। आईआईटी जैसे राष्ट्रीय संस्थानों द्वारा प्रस्तावित दूरस्थ शिक्षा पाठ्यक्रमों के प्रसार पर अपनी खुशी व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि छात्रों को अधिक संख्या में लाभान्वित करने के लिए क्षेत्रीय भाषाओं में तकनीकी पाठ्यक्रमों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। विज्ञान की शिक्षा को स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध कराने के महत्व पर जोर देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह छात्रों को विषय को बेहतर ढंग से समझने के साथ-साथ नवाचार में भी मदद करेगा। यह कहते हुए कि किसी भी भाषा को थोपा या विरोध नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे अधिक से अधिक भाषाएं सीखें लेकिन मातृभाषा को प्राथमिकता दें। कोविड-19 के लिए स्वदेशी वैक्सीन बनाने वाले वैज्ञानिकों की प्रशंसा करते हुए नायडू ने इसे भारत के लिए विज्ञान की एक बड़ी उपलब्धि बताई। नायडू ने तमिलनाडु में विज्ञान के आउटरीच कार्यक्रमों के लिए संस्थान की सराहना की और कहा कि लोगों में, विशेषकर बच्चों में वैज्ञानिक सोच को विकसित करना समय की आवश्यकता है। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने चेन्नई के पल्लवारम स्थित डीएई नोडल सेंटर में आईएमएससी की नई आवासीय विंग का उद्घाटन भी किया। इस अवसर पर तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री के.पी. अंबलगन, आईएमएससी के निदेशक प्रो. वी.अरविंद, परमाणु ऊर्जा विभागकलपक्कम (आईजीसीएआर) के निदेशक डॉ. अरुण कुमार भादुड़ी, तमिलनाडु के उच्च शिक्षा विभाग की प्रधान सचिव सेल्वी अपूर्वा, आईएमएस के कुलसचिव एस. विष्णु प्रसाद, छात्र तथा कर्मचारी उपस्थित थे। हिन्दुस्थान समाचार/सुशील-hindusthansamachar.in

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