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कई साधकों ने योग की साधना और उसका परिणाम पूरे विश्व को दिखाया : मोरारी बापू

- योग दिवस पर डीआरआई ने वर्चुअल रूप में छोटे-छोटे समूहों में किया 'योग शिविरों' का आयोजन - नानाजी ने आयुर्वेद, योग व प्राकृतिक चिकित्सा से बीमारियों को ठीक करने का दिया था 'मंत्र' चित्रकूट, 21 जून (हि.स.)। शरीर को निरोग रखने में योग का महत्वपूर्ण योगदान है और भारत ने ही इसे पूरी दुनिया को बताया है। 'योग रखे निरोग' का संदेश आज पूरी दुनिया जानती है। हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी योग को इतना महत्व दिया कि यह आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठापित हो गया है। पूरे विश्व ने 21 जून को योग दिवस के रूप में स्वीकार किया। योग के जरिये हम और पूरा समाज निरामय रहे, यही कामना करता हूं। उक्त बातें सोमवार को दीनदयाल शोध संस्थान की ओर से आयोजित वर्चुअल योग शिविर में प्रख्यात रामकथा वाचक संत मोरारी बापू ने कही। उन्होंने कहा कि हमारे यहां कई साधकों ने योग की साधना और उसका परिणाम पूरे विश्व को दिखाया है। रामदेव बाबा ने भी गुफा से योग को निकालकर ग्राउंड में रख दिया। उन्होंने नानाजी देशमुख को याद करते हुए कहा कि उन्होंने चित्रकूट को अपनी तपस्थली बनाकर हमारी भारतीय संस्कृति और सभ्यता के अनुसार बढ़ावा दिया। उन्होंने उपेक्षित व वंचित लोगों की सेवा का प्रण लिया और सेवा के विविध प्रकल्पों के माध्यम से बहुत बड़ा सत्कर्म किया। मैं उन्हें बार-बार प्रणाम करता हूं। उन्होंने कहा कि नानाजी के साथ मेरा बहुत पुराना आध्यात्मिक संबंध रहा। चित्रकूट जब-जब आना हुआ, उनसे मुलाकात जरूर होती थी। वह आज शरीर से मौजूद नहीं है लेकिन उनके शिष्य बताए गए पद चिन्हों पर सेवा का संकल्प लेकर काम कर रहे हैं। प्रख्यात योग साधक एवं स्वामी विवेकानंद योग विश्वविद्यालय बेंगलूर के कुलाधिपति डॉ. एचआर नागेन्द्र ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत रत्न नानाजी हमेशा पीड़ितों और उपेक्षितों की बात करते थे, उनके साथ हमेशा स्नेह की बात करते थे। उन्होंने आयुर्वेद, योग व प्राकृतिक चिकित्सा एवं प्राचीन पद्धतियों के माध्यम से बीमारियों को ठीक करने के उपचार एवं विचारों को अपने कार्यों में परिवर्तित किया। उन्होंने कहा कि डीआरआई में योगा को बढ़ावा देने और सबको योगा का महत्व बताने के लिए अलग से योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र की स्थापना की गई है। मैं दीनदयाल शोध संस्थान और उनकी टीम को इस साल विश्व योग दिवस के इस आयोजन और आयुर्वेद व प्राकृतिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए बधाई देता हूं। इस बढ़ते कोरोना को खत्म करने के लिए योगा और भारतीय तरीका बहुत अच्छा है। इसके पूर्व कार्यक्रम का संयोजन करते हुए दीनदयाल शोध संस्थान के प्रधान सचिव अतुल जैन ने कहा कि वर्तमान महामारी के इस दौर में योग की उपयोगिता स्वयं सिद्ध है। योग समाज में व्यक्तिगत जीवन की दैनिक गतिविधि में अनिवार्य रूप से अंगीकृत हो, यह दीनदयाल शोध संस्थान का सदैव प्रयास रहा है। महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एनसी गौतम ने अपने संदेश में कहा कि 21 जून को योग दिवस का मनाया जाना भारतीय संस्कृति के साथ उसकी धरोहर भी है। वर्षों से हम इसको अपनाते आ रहे हैं, आज पूरी दुनिया में कोविड के चलते योग बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। जिन लोगों ने योग की क्रियाओं को अपनाया है उनका ऑक्सीजन लेवल भी बढ़ा है यह चिकित्सकों ने भी स्वीकार किया है। सद्गुरु सेवा संघ ट्रस्ट के प्रमुख डॉ. बीके जैन ने कहा कि योग को लोगों ने इसे अपने जीवन में अपनाकर एक सकारात्मक अनुभव किया है। कोरोना काल में योग से चाहे इम्युनिटी बढ़ाने की बात हो, ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने की बात हो या नकारात्मक ऊर्जा से भरे वातावरण में सकारात्मक दिशा में भारतीय योग ने यह सभी संभव करके दिखाया है। रामायण कुटी के महंत राम ह्रदय दास जी महाराज ने अपने संदेश में कहा कि पहला सुख निरोगी काया है, योग के द्वारा आरोग्यता निश्चित है। सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया यह योग का मूल मंत्र है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूरी दुनिया में योग को एक पहचान दिलाई है। संपूर्ण विश्व आज भारत की ओर देख रहा है। इस अवसर पर दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि योग दिवस तो एक सांकेतिक रूप है लेकिन अपने जीवन में यानी शरीर, मन, बुद्धि, आत्मा इन सब को पुष्ट करने वाले योग को हम अपनाएं और अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर भगवान से तादात्म्य साधने का काम हम सब करें। इस दौरान डीआरआई के योग विभाग द्वारा प्रशिक्षित प्रशिक्षकों की ओर से संस्थान के सभी प्रकल्पों एवं ग्रामीण केंद्रों पर प्राणायाम, मुद्राभ्यास, सन्धियोग, योगासन और सूर्य नमस्कार की सभी क्रियायें एवं आसन कराये गए। हिन्दुस्थान समाचार/रतन/सुनीत

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