Mamta Banerjee said, NRC-NPR will not be implemented in Bengal
Mamta Banerjee said, NRC-NPR will not be implemented in Bengal

ममता बनर्जी बोलीं , बंगाल में नहीं लागू होने देंगे एनआरसी-एनपीआर

-मतुआ समुदाय के बीच पहुंची, जनसभा में मुख्यमंत्री ने भरी हुंकार कोलकाता, 11 जनवरी (हि.स.)। पश्चिम बंगाल में 60 से 70 विधानसभा सीटों पर राजनीतिक वर्चस्व रखने वाले बांग्लादेश के हिन्दू शरणार्थी मतुआ समुदाय को लुभाने की कोशिश में जुटी ममता बनर्जी ने सोमवार को नदिया जिले के राणाघाट में इस समुदाय के बहुलता वाले क्षेत्र में जनसभा की है। वहां उन्होंने एक बार फिर से कहा कि वह पश्चिम बंगाल में एनआरसी और एनपीआर को लागू नहीं होने देंगी। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मतुआ देश के नागरिक हैं। हालांकि जमीनी हकीकत यह है कि इस समुदाय के लोगों पास मतदान का अधिकार तो है लेकिन नागरिकता अभी तक नहीं मिली है। इस जनसभा के माध्यम से मुख्यमंत्री ममता ने एक बार फिर किसान आंदोलन का समर्थन किया। साथ ही भाजपा और केंद्र सरकार के खिलाफ हुंकार भरते हुए कहा, "मैं मर जाऊंगी, लेकिन बंगाल को बिक्रय नहीं करने दूंगी। मुझे खत्म कर दें, लेकिन बंगाल को खत्म करने नहीं देंगे। बंगाल की रीढ़ की हड्डी को तोड़ने नहीं दूंगी। कहा, भाजपा के खिलाफ सभी एकजुट हों। बंगाल के युवा भाजपा के खिलाफ एकजुट हों। बंगाल में दखल करने नहीं देंगे। हम बंगाल उन्हें किसी कीमत पर नहीं देंगे।" कृषि कानूनों से छीने जा रहे किसानों के अधिकार इस दौरान ममता बनर्जी ने कहा कि नए कृषि बिल के नाम पर किसानों के अधिकार छीने जा रहे हैं। बड़ी-बड़ी कंपनियों के हाथों में किसानों फसल दे दी जा रही है। हम किसी कीमत पर यह बिल लागू होने नहीं देंगे उन्होंने कहा, "वे लोग (भाजपा) उन्हें पसंद नहीं करती है, क्योंकि वे जानते हैं कि मैं कभी नहीं झुकूंगी। मैं कभी समझौता नहीं करूंगी। पूरे देश में नोटबंदी में की गयी थी। इसके बाद कोरोना के कारण गृह बंदी की गयी। अब वे जेल बंदी करेंगे। पूरे देश को बंदी कर रख रहे हैं। जैसा ट्रंप कर रहे हैं। हार कर भी बोलेंगे कि हम जीते हैं। हम जीते हैं। दोनों में कोई भी अंतर नहीं है। " बंगाल में नागरिकता कानून की जरूरत नहीं ममता बनर्जी ने साफ कहा," बंगाल में एनआरसी और एनपीआर लागू करने नहीं देंगे। मतुआ देश के नागरिक हैं। फिर से इनके लिए नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) की जरूरत नहीं है। भाजपा चुनाव आने पर मतुआ को नागरिकता का अधिकार देने का वादा करती है। चुनाव जाने के बाद डुगडुगी बजाएंगे और चले जाएंगे। मतुआ देश स्वतंत्र होने के पहले से ही यहां रह रहे हैं। अब इन्हें नागरिकता क्या देंगे ? यह 'मोया' बिल है। अभी लागू नहीं हुआ है। नहीं लागू हो तो अच्छा है। असम में भाजपा की सरकार है। वहां नागरिकता के नाम पर 22 लाख लोगों को सूची से बाहर कर दिया गया था, इसमें 19 लाख बंगाली थे। बंगाल में सभी शरणार्थियों को जमीन का पट्टा दिया जाएगा। हम किसी की नागरिकता छीनने नहीं देंगे।" हिन्दुस्थान समाचार/ ओम प्रकाश/रामानुज-hindusthansamachar.in

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