मंत्र जप में माला, आसन और दीप का रखें ध्यान
मंत्र जप में माला, आसन और दीप का रखें ध्यान

मंत्र जप में माला, आसन और दीप का रखें ध्यान

मंत्र जप में माला, आसन और दीप का रखें ध्यान धर्म डेस्क। नवधा भक्ति में मंत्र जाप को पांचवीं प्रकार की भक्ति के रूप में वर्णन किया गया है। भगवान राम ने माता शबरी के निवेदन पर उन्हें भक्ति का ज्ञान देते हुए कहा है कि ‘मंत्रजाप मम दृढ विश्वासा। पंचम भजन सो वेद प्रकाशा।। अर्थात मंत्र जाप करना भी मेरी पांचवीं प्रकार की भक्ति है ऐसा वेद भी कहते हैं। तात्पर्य यह है कि, कोई भी प्राणी कल्याण कारक मन्त्रों को उस मंत्र के योग्य जपनीय माला द्वारा सविधि जप करके अपने कार्य को भी सिद्ध करके ईष्ट को प्राप्त कर सकता है। पूजा के लिए माला, आसन, दीप आदि का सर्वाधिक महत्व है। आसन का महत्व शास्त्रों के अनुसार जिस स्थान पर ईष्ट को बैठाया जाता है उसे दर्भासन कहते हैं। जिस पर साधक बैठे वो आसन है। योग विज्ञान में शरीर को भी आसन कहा गया है। पौराणिक मान्यता के अनुसार कंबल के आसन पर बैठकर जप-तप, पूजा-पाठ करना सर्वश्रेष्ठ कहा गया है। जिसमे लाल रंग का कंबल/आसन माँ दुर्गा, लक्ष्मी और हनुमान की पूजा के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। कंबल के अभाव में भगवान विष्णु के शरीर से उत्पन्न कुश का आसन प्रयोग करें। इस पर बैठकर पूजा करने से सर्वसिद्धि मिलती है। पिंडदान, श्राद्ध इत्यादि के कार्यों में कुश का आसन ही श्रेष्ठ माना गया है। मृगचर्म का आसन ब्रह्मचर्य, ज्ञान, वैराग्य, सिद्धि, शांति एवं मोक्ष प्रदान करने वाला सर्वश्रेष्ठ आसन है। बाघचर्म आसन का प्रयोग बड़े-बड़े यति, योगी तथा साधु-महात्मा एवंस्वयं भगवान शंकर करते हैं। यह आसन सात्विक गुण, धन-वैभव, भू-संपदा, पद-प्रतिष्ठा आदि प्रदान करता है। मंत्र जाप मंत्र जाप अथवा साधना करते समय सर्वप्रथम स्नानादि से निवृत होकर यथा उपलब्ध आसन स्थापित करें, उसके बाद पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके दीप प्रज्ज्वलित करते हुए यह मंत्र ‘दीपो ज्योतिः परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दनः । दीपो हरतु मे पापं, पूजा दीप नमोऽस्तुते । शुभं करोतु कल्याणं आरोग्यं सुख संपदाम्। शत्रु बुद्धि विनाशाय पूजा दीप नमोऽस्तुते। उच्चारित करें। इसके बाद अपने ईष्ट देवी/देवता की पंचोपचार अथवा षोडशोपचार पूजा करके जपनीय माला के सुमेरु को दोनों नेत्रों के मध्य ब्रह्मरंध्र पर स्पर्श कराते हुए यह मंत्र ‘ॐ मां माले महामाये सर्वशक्ति स्वरूपिणी। चतुर्वर्गस्त्वयि न्यस्तस्तस्मान्मे सिद्द्धिदा भव। ॐ अविघ्नम् कुरु माले त्वं गृह्णामि दक्षिणे करें। जपकाले च सिद्ध्यर्थं प्रसीद मम सिद्धये। ॐअक्षमालाधिपतये सुसिद्धिं देहि देहि सर्वमंत्रार्थ साधिनि साधय साधय सर्वसिद्धिं परिकल्पय परिकल्पय मे स्वाहा। पढ़ते हुए माला को अभिमंत्रित करें। जब जप पूर्ण हो जाय तो पुनः उसी माला को ब्रह्मरन्ध्र के मध्य रखें और यह मंत्र ‘ॐ गुह्याति गुह्यगोप्त्री त्वं गृहाणास्मत्कृतं जपं। सिद्धिर्भवतु मे देवत्वत प्रसादान्महेश्वरः। पढ़ते हुए प्रणाम करें। ईष्ट के लिए दीप अलग-अलग ईष्ट के लिए दीप भी उन्ही के अनुसार जलायें तो और भी उत्तम रहेगा। माँ भगवती के लिए तिल के तेल का दीपक तथा मौली की बाती उत्तम मानी गई है। नौग्रह दोष शान्ति के लिए देशी घी का दीपक जलायें शनि को प्रसन्न करने तथा शत्रुओं का दमन करने के लिए सरसों का तेल सर्वोत्तम रहता हैं। रुद्राक्ष की माला मंत्र जाप में रुद्राक्ष की माला सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। कमलगट्टे की माला धन प्राप्ति, पुत्रजीवा की संतान प्राप्ति, काले मोती की आकर्षण, मूंगे की माला गणेश और लक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए तथा कुशग्रंथि माला सभी प्रकार के कायिक, वाचिक और मानसिक विकारों का शमन करके साधक को निष्कलुष, निर्मल और सतेज बनाती है। सफेद चंदन की माला सफेद चंदन की माला का प्रयोग शांति पुष्टि कर्मों में तथा राम, विष्णु आदि देवताओं के मंत्र जपने, लाल चंदन की माला से गणेश दुर्गा, लक्ष्मी आदि की साधना के लिए प्रयुक्त होती है। तुलसी और स्फटिक की माला तुलसी की माला वैष्णव भक्तों, राम और कृष्ण की उपासना हेतु उत्तम मानी गई है। स्फटिक माला सौम्य प्रभाव से युक्त होती है। इसे धारण करने से चंद्रमा और शिवजी की कृपा शीघ्र प्राप्त हो जाती है। सात्विक और पुष्टि कार्यों की साधना के लिए यह बहुत उत्तम मानी जाती है। शंख माला भी कुछ विशेष तांत्रिक प्रयोगों में प्रभावशाली रहती है। हल्दी की माला का प्रयोग बृहस्पति ग्रह की शांति तथा माँ बगलामुखी के मंत्र जप के लिए श्रेष्ठ रहेगा। Thank You, Like our Facebook Page - @24GhanteUpdate 24 Ghante Online | Latest Hindi News-24ghanteonline.com

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