असम में आई बाढ़ में एक मुस्लिम दोस्त ने इस तरह बचाई अपने हिंदू दोस्त की जान
असम में आई बाढ़ में एक मुस्लिम दोस्त ने इस तरह बचाई अपने हिंदू दोस्त की जान

असम में आई बाढ़ में एक मुस्लिम दोस्त ने इस तरह बचाई अपने हिंदू दोस्त की जान

असम में आई बाढ़ में एक मुस्लिम दोस्त ने इस तरह बचाई अपने हिंदू दोस्त की जान नई दिल्ली। असम में आई बाढ़ से आम लोग काफी तकलीफ में हैं। यह उन लोगों के लिए और कष्टकारी है, जो गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं और बीमारियों से जूझ रहे हैं। पर ऐसे कठिन दौर में भी साहस, दोस्ती, सौहार्द और धार्मिक सद्भावना से जुड़ी दिल जीत लेने वाली कहानियों की कमी नहीं है। हिन्दू-मुस्लिम एकता की ऐसी ही नजीर सर गंगाराम अस्पताल में देखने को मिली। इस मामले में बड़ी बात ये है कि कई लोग कोरोना के डर और शंका की वजह से मरीज लालचंद की मदद करने से हिचक रहे थे, पर मोफिसुर ने दोस्ती का फर्ज निभाते हुए उनकी मदद की। यही नहीं इस मामले में डॉक्टर उशस्त धीर ने भी जिस जिम्मेदारी और समर्पण से मरीज को पूरे दिन वीडियो कंसलटेशन दी, वह काबिलेतारीफ है। देश में बीते 24 घंटों में कोरोना के रिकॉर्ड 55 हजार से ज्यादा मामले, 779 लोगों की मौत दरअसल मामला यह है कि असम में लालचंद विश्वास लीवर सिरोसिस की वजह से एक्यूट लीवर बीमारी से ग्रसित थे। असम में आई बाढ़ के कारण उन्हें फौरी मदद पहुंचाना आसान नहीं था। ऐसे में उनके दोस्त मोफिसुर रहमान फरिश्ता बनकर आए। सर गंगाराम अस्पताल के गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जरी और लीवर ट्रांसप्लांट मामलों के डॉक्टर उशस्त धीर ने बताया कि असम में कोरोना के उपजे हालात और बाढ़ की वजह से मरीज लालचंद विश्वास अपनी दवाई नहीं ले पाए थे। इससे उनकी तबीयत बिगड़ गई। ऐसे में नाव से उनसे मिलने उनका दोस्त मोफिसुर रहमान पहुंचे। मोफिसुर ने मुझसे वीडियो कंसलटेशन के मार्फत मदद मांगी। चूंकि वे मेरे मरीज थे, ऐसे में मेरे पास उनकी रिपोर्ट थी। डॉक्टर उशस्त धीर ने बताया कि सबसे बड़ी दिक्कत ये थी कि बाढ़ की वजह से वहां वीडियो कंसलटेंशन के लिए नेटवर्क मिल पाना संभव नहीं हो पा रहा था, ऐसे में मोफिसुर ने एक नाव का इंतजाम किया। एक नाव पर खुद मोफिसुर सवार थे और दूसरे नाव पर उनका दोस्त लालचंद विश्वास और उसकी पत्नी। मोफिसुर उन्हें ऐसी जगह पर लेकर आए, जहां नेटवर्क और वीडियो कंसलटेशन कर सकना संभव था। मैं सुबह से लगातार इस बात का इंतजार कर रहा था कि कब मरीज नेटवर्क जोन में आए। मैं मोफिसुर औऱ विश्वास के परिवार के साथ लगातार संपर्क में था। श्रीनगर में सुरक्षाबल रहें अलर्ट, डीजीपी बोले- बड़ी वारदात की कोशिश में आतंकी डॉक्टर धीर के अनुसार, लीवर की वजह से अमोनिया उनके दिमाग पर चढ़ गया था, जिसकी वजह से वे बेहोशी की हालत में थे। ऐसे में उन्हें तुरंत चिकित्सीय सलाह की दरकार थी। मोफिसुर पेशे से फॉर्मासिस्ट हैं। यही उनकी काबिलियत है। मैंने उन्हें फोन से जैसे-जैसे इलाज करने को कहा, उन्होंने वैसा ही किया। उन्होंने मरीज को एनिमा दिया और नसों में दवाइयां दीं। अंतत: मरीज की हालत में सुधार आया। डॉक्टर धीर ने बताया कि वे छह घंटे से अधिक तक वीडियो कंसलटेशन के माध्यम से ट्रीटमेंट देते रहे। डॉक्टर धीर ने बताया कि कोरोना के इस दौर में लोग लालचंद की मदद करने से झिझक रहे थे। लोगों के मन में कई तरह की शंकाएं थीं। पर मोफिसुर ने दोस्ती के फर्ज को निभाया। उन्होंने कहा कि मेरी लोगों से अपील है कि एक-दूसरे की मदद करने से ही हम बेहतर जहान का निर्माण कर सकते हैं। अस्पताल ने मरीज को एक माह की दवाई भी पहुंचाई गई है। Thank You, Like our Facebook Page - @24GhanteUpdate 24 Ghante Online | Latest Hindi News-24ghanteonline.com

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