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सारला दास द्वारा रचित महाभारत सैकडों सालों के बाद भी काफी लोकप्रिय: उपराष्ट्रपति

-कवि सारला दास के 600वीं जयंती कार्यक्रम में शामिल हुए उप राष्ट्रपति, बोले- प्राथमिक स्तर पर बच्चों को मातृभाषा में मिले शिक्षा -आंध्र प्रदेश के राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन कलिंग रत्न सम्मान से सम्मानित भुवनेश्वर, 02 अप्रैल (हि.स.)। कवि सारला दास ने 15वें सदी के आदिकाल में प्रचलित भाषा को इस्तमाल कर साहित्य को लोकप्रिय कराने में अग्रदूत थे। विशेष कर उनके द्वारा रचित महाभारत में उन्होंने जिन शब्दाबली का प्रयोग किया है उसे समझने के लिए किसी भी पाठक को शब्दकोष की आवश्यकता नहीं है। सारला दास द्वारा रचित महाभारत सैकडों सालों के बाद भी काफी लोकप्रिय है। कवि सारला दास के 600वीं जयंती पर कटक में आयोजित एक कार्यक्रम में शुक्रवार को उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने यह बात कही। इस अवसर पर उन्होंने आंध्र प्रदेश के राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन को कलिंग रत्न सम्मान से सम्मानित किया। उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि सारला दास ने आम लोगों की भाषा में जटिल भाव को व्यक्त किया है जोकि आसान नहीं है। ये उनके महान व्यक्तित्व को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि सारला दास द्वारा लिखित महाभारत को वह विशेष मानते हैं। व्यास के महाभारत को विभिन्न भारतीय कवियों ने अनुवाद किया है लेकिन सारला दास की यह कृति कालजयी महाकाव्य है । उन्होंने कहा कि सबसे आश्चर्य की बात यह है कि सारला दास दलित थे लेकिन वास्तव में वह मुनी या मुनी लेखक थे। उन्होंने अपना परिचय किसान के कूल में जन्म होने का दिया है। उन्होंने कहा कि सरल व कथित भाषा में भाव व्यक्त करने के कारण सारला दास द्वारा लिखित महाभारत आज भी लोकप्रिय है। नायडू ने मातृभाषा में शिक्षा प्रदान पर जोर देते हुए कहा कि प्रत्येक राज्य में मातृभाषा में शिक्षा मिले इसके लिए वह इसके लिए महत्व देते आ रहे हैं। प्राथमिक स्तर पर बच्चों को मातृभाषा में शिक्षा मिलनी चाहिए। सारला साहित्य संसद द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में राज्यपाल प्रो. गणेशीलाल तथा केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने भी उद्बोधन दिया। हिन्दुस्थान समाचार/समन्वय

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