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जैन धर्म का जियो और जीने दो का संदेश पूरे विश्व को राह दिखाने वाला: राज्‍यपाल उइके

महावीर जयंती के अवसर पर अष्ट दिवसीय समारोह आयोजित आचार्य लोकेश मुनी के षष्ठीपूर्ति समारोह पर वर्चुवल रूप से शामिल हुईं रायपुर, 17 अप्रैल (हि.स.)। राज्यपाल अनुसुईया उइके शनिवार को महावीर जयंती के अवसर पर 17 से 25 अप्रैल तक आयोजित अष्ट दिवसीय समारोह तथा जैन मुनि आचार्य डॉ. लोकेशजी के जन्मदिवस पर आयोजित समारोह में वर्चुवल रूप से शामिल हुई। उन्होंने इस अवसर पर भगवान महावीर स्वामी का नमन किया और जैन मुनि आचार्य लोकेश को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं दी। राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि भगवान महावीर के दर्शन और उपदेश का सार्वभौमिक और प्रासांगिक है। जैन धर्म का जियो और जीने दो का संदेश आज भी पूरे विश्व को राह दिखाने वाला है। जैन धर्म में पांच महाव्रत है। इन व्रतों का पालन कर कोई भी व्यक्ति अपने जीवन को सफल बना सकता है। कोरोना संक्रमण के भयावह संकट से गुजर रहे हैं। भगवान महावीर स्वामी तप एवं अनुशासन और संयम पर बल देते थे। जैन मुनियों तथा समस्त संतों के जीवन आदर्शों का पालन करें तो प्रकृति के अनुकुल रहेंगे और सदैव निरोगी रहेंगे और संक्रामक बीमारियों से भी रक्षा होगी। राज्यपाल ने कहा कि आचार्य लोकेश जी की धर्म को समाज सेवा से जोड़ा, उसे सामाजिक बुराइयों को मिटाने का माध्यम बनाया। उनके नेतृत्व में अहिंसा विश्व भारती संस्था द्वारा कन्या भ्रुण हत्या के खिलाफ, नशें के खिलाफ जो अभियान चला रही है उसकी जितनी सराहना की जाए वो कम है। सुश्री उइके ने कहा कि सेवा सद्भावना का शुभारंभ ऐसे समय में हो रहा है जब विश्व में चारों ओर अशांति का वातावरण है। मेरा मानना है कि अशांत विश्व को अगर कोई शांति का सन्देश दे सकता है, इस दुनिया को हिंसा व आतंकवाद से निजात दिला सकता है, तो वह भगवान महावीर का अहिंसा व अनेकांत का दर्शन है और आचार्य डॉ लोकेश जी उस दर्शन को लेकर पिछले 38 वर्षो से विश्व भर में निरंतर प्रयासरत है। उल्लेखनीय है कि अहिंसा विश्व भारती संस्था द्वारा उनके साठवें जन्मदिवस को सेवा सद्भावना वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। राज्यपाल ने कहा कि मुझे विश्वास है अहिंसा विश्व भारती संस्था द्वारा सेवा सद्भावना वर्ष के अंतर्गत देश के कोने-कोने में साल भर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों से समाज के जरूरतमन्द वर्ग को बहुत बड़ी राहत मिलेगी। ऐसे कार्यक्रमों की जितनी सराहना की जाए वो कम है। उन्होंने कहा कि आज हम यह देखते हैं कि जैन मुनि-संत अहिंसा पर बल देते हुए हमेशा अपने मुख को ढंके हुए रहते हैं। इससे अहिंसा का पालन तो होता ही है साथ में शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले रोगाणु-विषाणु से रक्षा होती है। आज ऐसी परिस्थितियां आई है कि आज सभी को मास्क पहनने का आग्रह कर रहे हैं और मास्क पहनना पड़ रहा है। इससे यह प्रतीत होता है कि यदि जैन-मुनियों के जीवन दर्शन का पालन करते रहे तो ऐसे संकट का सामना नहीं करना पड़ता। भगवान महावीर ने अपने संदेश में कहा था कि कोई भी जन्म से निर्धन नहीं अथवा धनी नहीं होता। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को अपने जन्म से नहीं बल्कि कार्यों द्वारा जानना चाहिए। ऐसे सिद्धांत पर अमल करने से आधुनिक समाज के निर्माताओं द्वारा संकल्पित न्यायपूर्ण सामाजिक व्यवस्था के आदर्श को बढ़ावा मिलेगा। इस वेबिनार में आचार्य लोकेश मुनि ने भी अपना संबोधन दिया। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, केंद्रीय मंत्री पुरूषोत्तम रूपाला, योगगुरू बाबा रामदेव, रविशंकर महाराज तथा अन्य गणमान्य नागरिक वर्चुवल रूप से उपस्थित थे। हिन्दुस्थान समाचार /केशव शर्मा

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