Lions are heavy due to rain and cold, but are uplifted
Lions are heavy due to rain and cold, but are uplifted

बारिश और ठंड पर भारी पड़े सिंह, पर हौसले हैं बुलंद

नई दिल्ली, 05 जनवरी (हि.स.)। दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन अब पूरी तरह से भारी बारिश और कड़ाके की ठंड के बीच फंस गया है लेकिन मौसम की इस बेरहमी पर सिंह भारी पड़ते दिखाई दे रहे हैं। सर्द हवाओं के बीच किसानों के हौसले बुलंद हैं। बॉर्डर पर जोरदार बारिश के बीच भी किसानों के सपोर्ट में हजारों लोगों का आना बदस्तूर जारी है। बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग और युवा किसानों की आवाज बुलंद करने के लिए यहां पर पहुंच रहे हैं। उधर आंदोलनकारी किसानों को बारिश से बचाने के लिए बरसाती त्रिपाल और रेनकोट बांटे जा रहे हैं। दिल्ली के अंदर जिस शीत लहर के चलते लोग अपने घरों में दुबकने को मजबूर हैं, वहीं किसान खुले आसमान के नीचे अपने हक की लड़ाई के लिए डटा हुआ है। पंजाब के रोपड़ से आए जसविंदर सिंह कहते हैं, किसानों के लिए बारिश और ठंड कोई मायने नहीं रखती, हम तो वैसे भी हर मौसम में खेतों में काम करने के अभ्यस्त होते हैं, रब दी हर मेहर से साड्डा वास्ता पेंदा रहेंदा है। हमारे हौसलों को कोई डिगा नहीं सकता। आंदोलनकारी किसानों ने बताया कि पिछले दो दिनों से बारिश हो रही है और कंपकंपाती ठंड पड़ रही है लेकिन किसान यहां से तभी उठेंगे जब तीनों कृषि कानूनों को वापिस लिया जाएगा। ठंड और बारिश क्या चाहे तूफान भी आ जाए अब हम यहां से हटने वाले नहीं हैं, यहीं डटे रहेंगें। किसान कानूनों के खिलाफ किसानों ने बॉर्डरों पर अपना प्रदर्शन जारी रखा है। आंदोलन के सपोर्ट में आए कई एनजीओ आंदोलनरत किसानों को अमेरिका के दो सिख एनजीओ ने टॉयलेट्स, गीजर्स और टेंट दान किए हैं। सिख पंचायत फ्रेमॉन्ट कैलिफोर्निया के होशियारपुर कोऑर्डिनेटर एसपी सिंह खालसा ने कहा कि 200 पोर्टेबल टॉयलेट्स और गीजर्स दान किए गए हैं। सिंघु बॉर्डर पर कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों के लिए पेट्रोल पंप को टेंट सिटी में बदल दिया गया है। प्रदर्शनकारी किसान बताते हैं कि, हमारी कंडीशन देख कर फाउंडेशन वालों ने ये टेंट लगवाए, इनमें अब ठंड नहीं लगती। इसके लिए हमसे कोई पैसा नहीं लिया गया है और इनका रख रखाव यही करते हैं। धरनास्थल पर करीब डेढ़ किलोमीटर अंदर जाकर सोनीपत की तरफ एक पेट्रोल पंप पर देखने को मिला कि पेट्रोल पंप टूरिस्ट कैंप टाइप के छोटे टेंटों से पटा हुआ है। रंग बिरंगे यह टैंट ना सिर्फ किसानों के सोने के लिए सहारा बन रहे हैं, बल्कि लोगों को ठंड और सर्द हवाओं से राहत भी दे रहे हैं। हैरान कर देने वाली बात यह भी है कि इन टैंटों में नीचे जमीन से भी पानी अंदर नहीं आता है। यहां रात के वक्त बड़ी तादाद में किसान सोने के लिए पहुंचते हैं। जतिन सिंह अपनी टीम के साथ करीब 85 से ज्यादा टूरिस्ट टेंट यहां लगाए हुए हैं। जतिन ने बताया कि बीते शनिवार की रात कोहरे की मार बहुत अधिक थी। लोग खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर थे जो उनके लिए बेहद तकलीफदेह था। प्रदर्शनकारी किसान ऐसी ठंडी रात में खुले आसमान के नीचे कंबल ओढ़े सिकुड़े जा रहे थे। ऐसा दृश्य देखने के बाद उन्होंने अपनी टीम के सदस्यों के साथ मिलकर यहां पर लोगों को कैंप टेंट मुहैया करवाए। ऐसे एक छोटे टेंट में कम से कम तीन लोग रात के वक्त आसानी से सो सकते हैं। टेंट में रहने वाले लोग दिन में अपने टेंट की चेन में ताला लगा कर आसानी से कहीं भी जा सकता है, लेकिन टेंट का गेट बिना ताला खोले नहीं खुल सकता है। यानी इन टेंटों में सब कुछ सुरक्षित है, जान भी और सामान भी। बारिश के मौसम में गर्मागर्म जलेबी और देशी गर्म दूध बारिश के मौसम में आंदोलनकारी किसानों की सेहत और जायके का विशेष ख्याल रखा जा रहा है। मंगलवार को यहां हर ओर गर्मागर्म जलेबी और देशी गर्म दूख की महक हर ओर फैल रही थी। कुछ पंडालों में गर्म चाय और समोसे व पकोड़ों की कढ़ाही चढ़ी हुई थी। किसानों के कुछ पंडाल हरियाणा के किसानों ने भी लगाए हुए हैं, जिनमें गर्म पूड़ी और छोले भी बन रहे थे। आंदोलनकारी किसान अपनी पसंद के अनुसार व्यंजनों का आनंद ले रहे थे। हिन्दुस्थान समाचार/अश्वनी-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in