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मथुरा में यशोदा की कृष्ण भक्ति

योगेश कुमार सोनी दुनिया में दानवीरों की कमी नही हैं। बहुत से ऐसे हैं जिनको निःस्वार्थ भाव से काम करके पुण्य कमाना अच्छा लगता है लेकिन बहुत कम ऐसे हैं जो अपनी हैसियत से कई गुणा बढ़-चढ़कर दान देते हैं। एक बेहद गरीब इंसान जब पूरी जिंदगी की कमाई से ऐसा कुछ कर दे जिससे वह लोगों के लिए प्रेरणा बन जाए तो निश्चय ही मिसाल है। उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर के बाहर तीन दशकों से मंदिर में आनेवाले श्रद्धालुओं के जूते-चप्पलों की रखवाली करने वाली यशोदा नाम की एक महिला ने अपनी जिंदगी भर की कमाई से गौशाला, मंदिर व धर्मशाला का निर्माण करवा दिया। एक ही कैंपस में तीनों बने हैं। जानकारी के अनुसार जब यशोदा बीस वर्ष की थीं तो इनके पति की आकस्मिक मौत हो गई। पति की मृत्यु के बाद घरवालों व समाज ने दूसरी शादी करने के लिए बहुत जोर दिया लेकिन यशोदा ने किसी की न सुनी और अपना जीवन भगवान की भक्ति को समर्पित कर दिया। यशोदा बचपन से भगवान श्रीकृष्ण की भक्त हैं और उन्होंने फैसला लिया कि वह मंदिर में ही सेवा करेगी। महिला होने के बावजूद यशोदा ने श्रद्धालुओं के जूते-चप्पल की रखवाली शुरू कर दी जिसके एवज में लोग उन्हें पैसे देने लगे। बीते तीस साल में 51 लाख,10 हजार,पच्चीस सौ,पचास पैसे इकट्ठे किए जिनमें से 40 लाख रुपये की रकम से उन्होंने गौशाला, मंदिर व धर्मशाला का निर्माण करवाया। तीनों एक ही परिसर में हैं। इनको ट्रस्ट द्वारा संचालित किया जाएगा। बातचीत के दौरान यशोदा ने बताया कि यह उसकी जिंदगी भर की कमाई है जो उसने मंदिर के सामने बैठकर एकत्रित की। उन्होंने यह भी कहा कि मुझे कई लोगों ने सलाह दी कि यह रकम बैंक में जमा कर देंगी तो उनको इतना ब्याज आएगा कि उनकी बाकी की जिंदगी आराम से कट जाएगी लेकिन मैंने सबसे यही कहा कि मेरी जिंदगी लोगों की सेवा करने से अच्छी कट रही है और मेरी उम्र पचास साल हो चुकी, मैं तीस साल से सेवा कर रही हूं जो मुझे अच्छा लगता है। मैं बाकी की जीवन भी प्रभु की भक्ति में काट लूंगी और इन पैसों से यह सब बनवाकर मुझे बहुत अच्छा लगा। यशोदा को लोग ‘कलयुग की यशोदा’ का तमगा दे रहे हैं। हर कोई सोशल मीडिया पर प्रशंसा कर रहा हैं। यशोदा न जाने कितने लोगों की प्रेरणा बन रही हैं। फेसबुक पर बांके बिहारी नाम से एक ग्रुप संचालित होता है जिसमें करीब पैंतालीस हजार लोग जुड़े हैं और इस ग्रुप में यह खबर आने के बाद कई भक्तों ने दान करने, गौशाला बनवाने का फैसला लिया। कई भक्तों ने लिखा कि आपकी दिलदारी देखकर हमारा हौसला बहुत बढ़ गया। इसके अलावा दिल को छू लेने वाले कमेंट देखने का मिले। इस बात में कोई दो राय नही हैं कि हमारे देश में भक्ति भाव रखने वाले लाखों-करोड़ों लोग हैं। कुछ लोगों ने कहा कि हमें मार्गदर्शन या प्रेरणा देने वाले व्यक्ति नहीं मिलते। यशोदा द्वारा किए गए इस काम से कई लोगों को मार्गदर्शन मिला जिससे उनके मन में भक्ति व शक्ति दोनों पैदा हुई। दान करने से मन की शांति व यदि आप के ऊपर कोई संकट हो तो वह चला जाता है। लेकिन कुछ घटिया लोग दान के नाम धोखा करते हैं जिससे दानकर्ताओं के मन में दान देते समय संदेह रहता है लेकिन अधिकतर लोग ऐसे नहीं होते। वैसे भी अब दान ऑनलाइन देने की व्यवस्था होती है। सीधा संस्था के अकाउंट में पैसा ट्रांसफर होता है। यशोदा जैसी महिलाओं को हम दिल से सलाम करते हैं चूंकि ऐसे ही लोग हमारे प्रेरणादायक बन जाते हैं जिनको लोग हमेशा याद रखते हैं। इस बात में कोई संदेह नही हैं कि आज के दौर में पैसा कमाना बेहद चुनौतीपूर्ण है और हर कोई दान नहीं दे पाता लेकिन जो लोग देने में सक्षम हैं उन्हें जरूर देना चाहिए चूंकि देश में बहुत से ऐसे जरूरतमंद हैं, जिन्हें सहारा मिलता है। (लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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