बुरहान वानी की बरसी पर कश्मीर घाटी में शांति, कहीं कोई विरोध प्रदर्शन नहीं
बुरहान वानी की बरसी पर कश्मीर घाटी में शांति, कहीं कोई विरोध प्रदर्शन नहीं

बुरहान वानी की बरसी पर कश्मीर घाटी में शांति, कहीं कोई विरोध प्रदर्शन नहीं

श्रीनगर, 08 जुलाई (हि.स.)। पोस्टर बाय तथा हिजबुल के टाप कमांडर बुरहान वानी की बुधवार को बरसी के अवसर पर कोई हिंसक प्रदर्शन नहीं हुए। आज माहौल बिलकुल शांत बना रहा। हालाकि अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के नाम पर फर्जी पत्र को जारी कर पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के आकाओं ने कश्मीर घाटी का माहौल खराब करने की जरूर कोशिश की थी लेकिन इसका असर न के बराबर ही दिखाई दिया। बुधवार को आतंकियों व पाक एजेंसियों द्वारा अलगाववादियों के नाम पर फर्जी हड़ताल के आह्वान के दौरान हिंसा भड़कने की आशंका तथा कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए प्रशासन ने दक्षिण कश्मीर में मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद कर दी है। वैसे यहां से भी किसी अप्रिय घटना का कोई समाचार नहीं मिला हैं और माहौल शांत बना हुआ है। उल्लेखनीय है कि मंगलवार को अलगाववादी नेता सैयद अली शाह के नाम से पत्र जारी किया गया था, जिसमें 8 तथा 13 जुलाई को कश्मीर बंद का आह्वान किया गया था। पुलिस ने जब इस पत्र के बारे में जांच की तो वह फर्जी निकला। यहां तक कि गिलानी के परिवारजनों ने भी इस पत्र को नकार दिया। पुलिस के मुताबिक इस पत्र को पाकिस्तान से ही सोशाल मीडिया पर अपलोड किया गया था और इसके खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। आठ जुलाई, 2016 को आतंकी बुरहान वानी अपने साथी के साथ सुरक्षाबलों के हाथों एक मुठभेड़ में मारा गया था। उसकी मौत के बाद कश्मीर घाटी में जो हिंसा का तांडव हुआ उसमें 100 के करीब लोग मारे गए थे तथा इससे ज्यादा लोग घायल हो गए थे लेकिन 5 अगस्त, 2019 को केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद हालात में धीरे-धीरे सुधार आया और प्रदेश प्रशासन और केंद्र सरकार के अथक प्रयासों के बाद अब कश्मीर घाटी में कोई प्रदर्शन नजर नहीं आ रहा है। आतंकियों के मरने पर कोई भीड़ इक्टठी नहीं होती है। बंद का कोई आहवान नहीं किया जाता है और अगर किया भी जाता है तो युवा अब इन सब से दूरी बनाए हुए हैं। वह भी प्रदेश में अमन और शांति के साथ प्रदेश का विकास होता देखना चाहते हैं जिसमें प्रशासन तथा सुरक्षाबल उनका भरपूर साथ दे रहे हैं। युवाओं के लिए कई केंद्र प्रायोजित स्कीमें चलाई जा रही हैं तथा भटक चुके युवाओं को वापस सही राह पर लाया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि अलगाववादी संगठन हुरियत कांफ्रेंस के चेयरमैन सैयद अली शाह गिलानी के पिछले सप्ताह ही पार्टी से अलग हो जाने के बाद उनकी कुर्सी पर बैठने वाला पार्टी को कोई वारिस नहीं मिल रहा है। यहां तक कि इस कुर्सी पर बैठने के लिए पार्टी में भी कोई सामने नहीं आ रहा है। पाक प्रायोजित यह दोनों अलगावादी गुट चुप्पी साधे हुए हैं। वहीं इस बदले कश्मीर में गिलानी का हमेशा साथ देने वाले मीरवाइज उमर फारूक तथा उनके करीबी जो हमेशा उनसे मिलने आते थे वह इस बारे में कुछ भी कहने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं और छिपते नजर आ रहे हैं। हिन्दुस्थान समाचार/बलवान/बच्चन-hindusthansamachar.in

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