कांथी उत्तर विधानसभा : ग्रामीण मतदाता करेंगे उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला
कोलकाता, 19 मार्च (हि. स.)। पश्चिम बंगाल में चुनाव का बिगुल बजने के बाद राजनीतिक सरगर्मी तेज है। 294 विधानसभा सीटों वाले इस राज्य में लगभग हर एक सीट पर सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस और मुख्य विपक्षी पार्टी बन चुकी भाजपा के बीच कांटे की टक्कर नजर आ रही है। मूल रूप से यह ग्रामीण आदिवासी इलाका है। आरोप है कि पिछले पांच सालों के दौरान क्षेत्र का कुछ खास विकास नहीं हुआ है जिसकी वजह से लोगों के अंदर नाराजगी है। लोकसभा चुनाव के समय यहां से भाजपा को बहुमत मिली थी इसके बाद से पार्टी और अधिक मजबूत बनकर उभरी है। विधानसभा चुनाव के इस माहौल में भाजपा के पक्ष में माहौल है। क्या है राजनीतिक परिदृश्य मूल रूप से पूर्व मेदिनीपुर जिले के कांथी लोकसभा केंद्र अंतर्गत पड़ने वाली 213 नंबर कांथी उत्तर विधानसभा सीट शहरीकरण और विकास की परियोजनाओं से अभी भी वंचित है। यहां 98.32 फ़ीसदी आबादी ग्रामीण है जबकि महज 1.68 फ़ीसदी आबादी शहरी है। यहां एससी एसटी का अनुपात 12.28 और 1.68 है। 2019 के लोकसभा चुनाव के समय यहां मतदाताओं की कुल संख्या 248479 थी। यहां कुल 287 मतदान केंद्रों पर वोटिंग हुई थी। इस बार कोरोना संकट को देखते हुए चुनाव आयोग ने मतदान केंद्रों की संख्या में बढ़ोतरी की है। 2019 के समय 86.56 फ़ीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था जबकि उसके पहले 2016 के विधानसभा चुनाव में 87.95 फ़ीसदी लोगों ने वोटिंग की थी। क्या है 2016 का आंकड़ा इसके पहले 2016 के विधानसभा चुनाव के दौरान यहां से सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस के विधायक बनारसी माइती की जीत हुई थी। यहां से 103783 लोगों ने उन्हें वोट दिया था। दूसरे नंबर पर मोर्चा घटक दल की पार्टी सीपीआई के उम्मीदवार चक्रधर माइकाप को 85207 लोगों ने मतदान किया था। भारतीय जनता पार्टी तीसरे नंबर पर रही थी और उनके उम्मीदवार असीम दास को महज 11945 लोगों ने वोट दिया था। इस बार कौन है उम्मीदवार इस बार इस सीट से तृणमूल कांग्रेस ने तरुण कुमार जाना को मैदान में उतारा है जबकि भाजपा ने सुनीता सिंघा को टिकट दिया है। माकपा-कांग्रेस गठबंधन के सीपीआई से सुतनु माइती इस सीट पर खड़े हैं। इसलिए इस बार मुकाबला त्रिकोणीय माना जा रहा है। हिन्दुस्थान समाचार/ओम प्रकाश/गंगा