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न्यायाधीशों को निर्णय लेते समय आर्थिक सिद्धांतों के बारे में सोचना चाहिए : विशेषज्ञ

सोनीपत, 27 अप्रैल (आईएएनएस)। न्यायपालिका के प्रत्येक आदेश का आर्थिक प्रभाव पड़ने की संभावना है, इसलिए न्यायाधीशों को मामलों पर फैसला सुनाते हुए आर्थिक सिद्धातों पर ध्यान देना चाहिए। यह बात ओ. पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीयू) और कट्स (सीयूटीएस) इंटरनेशनल की ओर से आयोजित दो दिवसीय वर्चुअल इवेंट के दौरान विशेषज्ञों ने कही। 27-28 अप्रैल को आयोजित यह दो दिवसीय राष्ट्रीय आभासी सम्मेलन न्यायिक निर्णयों में आर्थिक आयाम विषय पर केंद्रित है। ओ. पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के संस्थापक कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) सी. राज कुमार ने सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में कहा कि न्यायपालिका को सिद्धांतों के एक मजबूत सेट को विकसित करने की आवश्यकता है, जिसके आधार पर यह उन मामलों में हस्तक्षेप को अलग कर सकता है, जो कानून से संबंधित नहीं हैं, लेकिन नीतिगत प्रश्न हैं। कट्स इंटरनेशनल के महासचिव प्रदीप मेहता ने कहा कि एक तर्क या संवाद चलन में है कि न्यायाधीशों को मामलों पर फैसला सुनाते हुए आर्थिक सिद्धातों पर ध्यान देना चाहिए। न्यायपालिका के प्रत्येक आदेश का एक आर्थिक प्रभाव होने की संभावना है, चाहे यह प्रभाव बड़ा हो या छोटा। आगे एक तरीका यह है कि इस मुद्दे की गहराई से जांच करने के लिए विशेषज्ञ समितियों को नियुक्त किया जाए, इसकी प्रवर्तनीयता का विश्लेषण किया जाए और फिर कार्रवाई की जाए। इस वर्चुअल इवेंट में न्यायाधीशों के साथ ही 45 से अधिक विचारशील नेताओं, सरकार और नियामक निकायों के विशेषज्ञों, निजी क्षेत्र के प्रतिनिधियों, शिक्षाविदों एवं विद्वानों, मीडिया के प्रतिनिधियों तथा उपभोक्ता संरक्षण समूहों, पर्यावरण वकालत समूह सहित नागरिक समाज और विभिन्न ट्रेड यूनियन से जुड़े विशेषज्ञों के भाग लेने की उम्मीद है। भारत के सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रोफेसर (डॉ.) ए. फ्रांसिस जूलियन ने कहा कि वैश्वीकरण की दुनिया में प्रतियोगिता और स्तर के खेल के क्षेत्र का सिद्धांत महत्वपूर्ण है और अब अदालतें तेजी से आर्थिक तर्कों के प्रति ग्रहणशील हैं। कानून के आर्थिक विश्लेषण ने पारिवारिक कानून (फेमिली लॉ), बौद्धिक संपदा कानून, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के अलावा अन्य चीजों को शामिल करने के लिए अपने मूल दायरे से कई क्षेत्रों में विस्तार किया है। --आईएएनएस एकेके/एएनएम

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