जोड़ासांको विधानसभा सीट : महात्वाकांक्षा के बगैर जनता के लिये काम करना चाहती हैं भाजपा उम्मीदवार मीनादेवी पुरोहित

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कोलकाता, 28 अप्रैल (हि स)। राज्य विधानसभा चुनाव में हिंदी भाषी मतदाता बंंगाल की कई सीटों पर निर्णायक भूमिका में हैं। उत्तर कोलकाता की जोड़ासांको विधानसभा क्षेत्र भी हिंदी भाषियों का गढ़ है। यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी इस जोड़ासांको सीट पर विशेष ध्यान दे रही है। यह वह सीट है, जहां भाजपा को थोड़े बहुुत वोट हासिल होते रहे हैं हालांकि अभी तक भाजपा इस सीट पर कभी जीत नहीं पाई है। हिंदी भाषियों का गढ़ जोड़ासांको विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने एक बार फिर मीना देवी पुरोहित को उतारा है। मीना वर्षों से पार्षद के रूप में कोलकाता नगर निगम में भाजपा का प्रतिनिधित्व करती आ रही हैं। मीना देवी ने 1995 में पहली बार कोलकाता नगर निगम के 22 नंबर वार्ड से जीतने में कामयाबी हासिल की थी। तब से लेकर लगातार मीना देवी ने इस सीट से भाजपा को जीत दिलाती रही हैं। आज भले ही भाजपा पूरे बंगाल पर शासन करने के सपने देख रही हो लेकिन एक वक्त था जब यहां पार्टी को अपना अस्तित्व बनाने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ी थी। उस वक्त मीना देवी जैसे कुछ गिने-चुने नेता ही बंगाल में पार्टी की उपस्थिति कराते थे। कोलकाता के काली कृष्ण टैगोर स्थित अपने पुराने आवास पर मीना देवी ने अपना चुनाव कार्यालय बना रखा है। घर में श्यामा प्रसाद मुखर्जी एवं दीनदयाल उपाध्याय के अलावा और किसी भाजपा नेता की तस्वीर नजर नहीं आती। 80 और 90 के दशक में लालकृष्ण आडवाणी, मदन लाल खुराना, भैरों सिंह शेखावत जैसे भाजपा के कई दिग्गज नेता इस घर में आया करते थे और मीना देवी के हाथ का बना खाना खाकर खूब तारीफ करते। हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में मीना देवी ने बताया कि उनका परिवार मूल रूप से राजस्थान के बीकानेर का रहने वाला है। शादी के बाद 1978 में वह कोलकाता आ गई थीं। उसके बाद से यही शहर उनका अपना हो गया। उनके पति कपड़े के व्यवसायी थे। राजनीति से कैसे जुड़ने के सवाल पर मीना देवी ने बताया कि उनके पति भाजपा से जुड़े थे।1992 में एक दुर्घटना में उनका आकस्मिक निधन हो गया। मीनादेवी बताती हैं कि पति के निधन के बाद उस वक्त विष्णुकांत शास्त्री मुझे सांत्वना देने आए थे। उसके बाद से ही पार्टी के साथ लगाव शुरू हो गया और 1995 में पूरी तरह से भाजपा के लिए काम करना शुरू कर दिया। 95 में ही 30 साल की उम्र में वह कोलकाता के वार्ड नंबर 22 से पार्षद बनीं। पांच बार की पार्षद मीना देवी पुरोहित साल 2000 से 2005 तक कोलकाता की डिप्टी मेयर रह चुकी हैं। 2015 के निगम चुनाव में भाजपा के सात पार्षद जीतने में कामयाब रहे थे। तब पार्टी ने मीना देवी को पार्षद दल का नेता बनाया था। 2018 में मेयर पद के लिए हुए चुनाव में मीना देवी ने तृणमूल के हैवीवेट नेता फिरहाद हकीम के खिलाफ उम्मीदवार बनी थीं, हालांकि फिरहाद हकीम जीत गए। 2011 के विधानसभा चुनाव में जोड़ासांको सीट से मीना देवी पुरोहित को उम्मीदवार बनाया गया था। लेकिन चुनाव में तृणमूल की स्मिता बख्शी के मुकाबले 57,970 मतों से उनकी हार हो गई। माकपा के जानकी सिंह को 26 हजार वोट मिले थे, जबकि भाजपा की मीना देवी को 17 हजार मत मिले थे। 2016 के विधानसभा चुनाव में भी तृणमूल की स्मिता बख्सी जीती और भाजपा उम्मीदवार राहुल सिन्हा को 38,476 वोट मिले। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा जोड़ासांको क्षेत्र में तृणमूल पर 14,000 मतों से लीड हासिल करने में सफल रही थी। लगातार दो बार चुनाव जीत चुकीं स्मिता बख्शी को तृणमूल ने इस बार टिकट नहीं दिया है। उनकी जगह पार्टी ने एक गैर बंगाली नेता पूर्व राज्यसभा सांसद एवं कोलकाता से प्रकाशित एक हिंदी दैनिक के मालिक विवेक गुप्ता को मैदान में उतारा है। दो बार के विधायक का टिकट काटकर एक हिंदी भाषी उम्मीदवार को उतारने के पीछे भी इस क्षेत्र में हिंदी भाषी मतदाताओं की बहुलता के महत्व को समझा जा रहा है। सोशल मीडिया के इस दौर में भी मीना देवी पुरोहित फेसबुक, टि्वटर जैसे माध्यमों पर बहुत अधिक सक्रिय नहीं है। यहां तक कि उनका कोई फेसबुक अकाउंट ही नहीं है। व्हाट्सएप भी बहुत कम देखती हैं। अगर पार्टी का कोई कार्यकर्ता मोबाइल पर व्यस्त नजर आए तो मीना देवी उसे फौरन टोकती हैं और फेसबुक पर लाइक गिनने के बजाये संगठन का काम करने की नसीहत देने से नहीं चूकतीं। पार्टी के बड़े नेता भी मीना देवी की संगठन क्षमता को मानते हैं। हालांकि उनके आलोचक कहते हैं कि इतनी बार पार्षद चुने जाने के बाद भी पार्टी में उनकी वैसी अहमियत नहीं है जैसी होनी चाहिये थी। पिछले 25 सालों में उन्हें किसी प्रकार की राजनीतिक पदोन्नति नहीं मिली। मीना देवी इन बातों को अधिक अहमियत नहीं देतीं। वह कहती हैं, "मेरी अपनी कोई महत्वाकांक्षा नहीं है। मैं अपने वार्ड में खुश हूं। सिर्फ लोगों के लिए काम करते रहना चाहती हूं। फेसबुक पर बड़े नेताओं के साथ वाली तस्वीरें पोस्ट करने से मैं दूर ही रहती हूं। उनका कहना है कि सोशल मीडिया पर खुद को महिमामंडित करना मुझे अच्छा नहीं लगता। चुनाव में अपनी जीत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नजर आ रहीं मीनादेवी ने अपने इस आत्मविश्वास की वजह को लेकर बताया कि इस क्षेत्र को मैं अपने हाथ की हथेली की तरह समझती हूं। सुबह शाम चार-चार घंटे लोगों के दरवाजे-दरवाजे गईं। बस्ती हो या पाॅश इलाका, हर जगह लोगों का चेहरा देखकर ही यह समझ आ गया कि वे क्या चाहते हैं। उल्लेखनीय है कि जोड़ासांको सीट पर अंतिम चरण में 29 अप्रैल को मतदान होना है। हिन्दुस्थान समाचार/मधुप

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