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झारखंड: नीलांबर-पीतांबर जल समृद्धि योजना से बंजर जमीन में हो रही बागवानी

रांची, 23 जुलाई (आईएएनएस)। झारखंड में नीलांबर पीतांबर जल समृद्धि योजना के तहत अब बंजर जमीन में हरियाली दिखने लगी है। वर्षा का जल बचाएं, हरियाली लाएं और समृद्धि बढ़ाएं की सोच के जरिए प्रारंभ की गई इस योजना के तहत 4,000 ग्राम पंचायतों में योजना के तहत कार्य किए जा रहे हैं। सरकार का दावा है कि कई जिलों में अब तक योजना की वजह से बंजर और टांड़ जमीन पर हरियाली दिखने लगी है। झारखंड सिंचाई विभाग के एक अधिकारी बताते हैं कि नीलांबर पीतांबर जल समृद्धि योजना के तहत राज्य के सैकड़ों गांवों की पहाड़ियों एवं उसके आस-पास की भूमि पर लूज बोल्डर चेक डैम (एलबीसीडी) बनाए गए हैं। इससे वर्षा जल की गति को धीमी कर उसे जमीन के अंदर पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने कहा, सिर्फ एलबीसीडी ही नहीं, यहां पर ट्रेंच कम बंड (टीसीबी) के निर्माण के जरिये भी वर्षा जल को रोकने में सफलता मिली है। जल का सदुपयोग करते हुए बड़े पैमाने पर मनरेगा के सिंचाई कूप से किसानों द्वारा ड्रिप सिंचाई पद्धति का उपयोग भी किया गया है। आंकडों का हवाला देते हुए बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष में 25,000 एकड़ भूमि पर बागवानी की गई है एवं इस वर्ष लगभग 21,000 एकड़ भूमि पर बागवानी कार्य प्रगति पर है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी कहते हैं, भूमिगत जल का संवर्धन समय की जरूरत है। योजना के माध्यम से बंजर भूमि को खेती योग्य बनाना है, जिससे ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था सु²ढ़ हो सके और ग्रामीणों की क्रय शक्ति में बढ़ोतरी हो। यही हमारा लक्ष्य है। नीलांबर-पीतांबर जल समृद्धि योजना की शुरूआत एक वर्ष पहले की गई थी। लगभग 4000 पंचायतों में योजना के तहत कार्य किये जा रहे हैं। कई जिलों में अबतक योजना की वजह से बंजर और टांड़ जमीन पर हरियाली दिखने लगी है। जल संरक्षण बढ़ा है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में श्रमिकों को रोजगार से भी जोड़ा जा सका है। अधिकारी बताते हैं कि राज्य में इस योजना के तहत 3,32,963 योजनाओं का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जिसमें 1,97,228 योजनाएं पूर्ण कर ली गई हैं। शेष 1,35,735 योजनाओं पर काम जारी है। सरकार का मानना है कि झारखंड का बड़ा क्षेत्र पठारी है, जहां बारिश का ज्यादातर पानी बह कर निकाल जाता है। इसके अलावा कई जिले जैसे लातेहार, गढ़वा, पलामू में पानी की बड़ी समस्या है। इन समस्याओं के मद्देनजर इस योजना की शुरूआत की गई थी, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में बारिश के पानी को रोका जा सके और जल संकट को दूर किया जा सके। सरकार का दावा है कि इस योजना के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में रहनेवाले बेरोजगारों, मजदूरों को रोजगार भी मिल रहा है तथा ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को भी गति दी जा रही है। --आईएएनएस एमएनपी/आरजेएस

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