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कृषि क्षेत्र में कर्नाटक सरकार के साथ सहयोग करेगा इजराइल : डॉ. रॉन मल्का

नई दिल्ली, 16 जून (हि.स.)। बागवानी के क्षेत्र में भारत और इजरायल साथ मिलकर काम कर रहे हैं। इजराइल के सहयोग से देश में 29 सेन्टर्स स्थापित किए गए हैं। इन सेंटरो से किसान कृषि तकनीकी के साथ उन्नत खेती के लिए प्रशिक्षण भी प्राप्त कर रहे हैं। इजरायल की प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाने के लिए बुधवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा और केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने संयुक्त रूप से भारत-इजरायल कृषि परियोजना (आईआईएपी) के तहत कर्नाटक में स्थापित 3 उत्कृष्टता केंद्रों (सीओई) का उद्घाटन किया। भारत में इजराइल के राजदूत डॉ. रॉन मल्का ने कहा कि इजराइल कृषि में कर्नाटक सरकार के साथ सहयोग करने के लिए उत्सााहित हैं, जो भारत-इजरायल साझेदारी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने कहा कि हमने तीन उत्कृष्टता केंद्रों का उद्घाटन ऐसे समय में किया है, जब भारत और इजरायल के बीच संबंध मजबूत और विस्तारित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह राज्य के कृषि क्षेत्र के विकास में मील का पत्थर है और स्थानीय किसानों को राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा में बढ़त देगा। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि तकनीक के मामले में भारत और इजरायल दोनों देश एक साथ काम कर रहे हैं, जिसका परिणाम अच्छे रूप में परिलक्षित हो रहा है। इजराइल की तकनीक से स्थापित सेंटर्स बहुत सफल रहे हैं। ये सेंटर्स किसानों की आय दोगुनी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, जो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संकल्पना भी है। भारत और इजराइल के बीच तकनीक की साझेदारी से उत्पादकता बढ़ने के साथ ही किसानों को उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार लाने में मदद मिल रही है। इससे उपज के दाम अच्छे मिलते हैं। सेन्टर्स ऑफ एक्सीलेन्स ने नई तकनीकों के प्रचार-प्रसार व प्रदर्शन के साथ-साथ इनके आसपास के किसानों और फील्ड स्टाफ को प्रासंगिक क्षेत्रों में प्रशिक्षण देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। तोमर ने कहा कि इजरायल के तकनीकी सहयोग से एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) द्वारा वित्तपोषित, 34 सी.ओ.ई. अनुमोदित किए गए हैं, जिनमें से 29 सेन्टर्स सफलतापूर्वक अपनी भूमिका निभा रहे हैं और इनका सुफल किसानों को मिल रहा हैं। इनमें से 3 कर्नाटक में शुरू किए गए हैं। ये हैं- आम के लिए कोलार सेन्टर, अनार के लिए बागलकोट सेन्टर और सब्जियों के लिए धारवाड सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स। कृषि क्षेत्र से आने वाली देश की कुल जी.डी.पी. में कर्नाटक का बागवानी क्षेत्र अहम योगदान दे रहा है। उन्होंने कहा कि नवीनतम पद्धतियों का इस्तेमाल होना चाहिए, जिसके लिए इजरायल के विशेषज्ञों के तकनीकी सहयोग से आई.आई.ए.पी. के अंतर्गत इन सेंटर्स ऑफ एक्सीलेन्स की स्थापना की गई हैं। इन सी.ओ.ई. में हर साल 50 हजार ग्राफ्ट पौध उत्पादन व 25 लाख सब्जियों की पौध के उत्पादन की क्षमता है और बागवानी में आधुनिक खेती पद्धतियों के बारे में ज्ञान प्राप्त करने के लिए हजारों किसान अवलोकन कर चुके हैं। हिन्दुस्थान समाचार/आशुतोष

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