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​भारतीय सेना ने दो ​आर्टिलरी गन ​प्रणालियों को किया रिटायर

- सेवा मुक्त करते समय रस्मी तौर पर आखिरी बार यह तोपें दागी गईं - कारगिल युद्ध समेत कई महत्वपूर्ण ऑपरेशन को दिया था अंजाम सुनीत निगम नई दिल्ली, 16 मार्च (हि.स.)। भारतीय सेना की 40 साल तक सेवा करने के बाद दो आर्टिलरी गन प्रणालियों को मंगलवार को रिटायर कर दिया गया। ये तोपें सेना में 1981 में शामिल की गई थीं और कारगिल युद्ध समेत कई महत्वपूर्ण ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। राजस्थान के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में सेवा मुक्त करते समय रस्मी तौर पर आखिरी बार यह तोपें दागी गईं। सेना प्रवक्ता के अनुसार देश की सीमा पर सबसे अधिक सेवा देने वाली तोपखाना प्रणालियों में से दो 130 एमएम स्व-चालित एम-46 प्रक्षेपक तोप तथा 160 एमएम टैम्पेल्ला मोर्टारों को आज महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में सेवा से मुक्त किया गया। समारोह में रस्मी तौर पर अंतिम रूप से तोप दागी गईं। इस समारोह में महानिदेशक तोपखाना, लेफ्टिनेंट जनरल के रवि प्रसाद तथा वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। 130 एमएम प्रक्षेपक तोप की रेंज 27 किलोमीटर से अधिक है। वर्तमान हथियार प्रणाली विजयंत टैंकों तथा 130 एमएम एम-46 तोपों का विलय करके मोबाइल आर्टिलरी गन प्रणाली का एक नया प्लेटफॉर्म बनाया गया था ताकि 1965 तथा 1971 के युद्धों के बाद पश्चिमी सीमाओं पर स्ट्राइक फॉरमेशनों की सहायता की जा सके। प्रवक्ता के मुताबिक 130 एमएम स्व-चालित एम-46 प्रक्षेपक तोप तथा 160 एमएम टैम्पेल्ला मोर्टारों को सेना में 1981 में शामिल किया गया था। दोनों तोपों को अनेक कार्रवाइयों के दौरान सफलतापूर्वक तैनात किया गया। 160 एमएम टैम्पेल्ला मोर्टार की रेंज 9.6 किलोमीटर है। इसे चीन के साथ 1962 की लड़ाई के बाद सेना में शामिल किया गया ताकि उत्तरी सीमाओं की ऊंची पहाड़ियों पर हथियार प्रणाली की आवश्यकता पूरी की जा सके। इजराइल से आयातित यह मोर्टार जम्मू-कश्मीर की नियंत्रण रेखा पर लीपा घाटी तथा हाजीपीर कटोरा में तैनात किया गया। सेवा के दौरान मोर्टार ने नियंत्रण रेखा की सुरक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। इस मोर्टार ने 1991 के कारगिल युद्ध में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इन हथियार प्रणालियों को इसलिए सेवामुक्त किया गया है ताकि नवीनतम टेक्नोलॉजी वाले नए उपकरण उपयोग में आ सकें। हिन्दुस्थान समाचार

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