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क्रिश्चियन मिशेल पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के कार्यदल की रिपोर्ट को भारत ने किया खारिज

नई दिल्ली, 26 फरवरी (हि.स.)। भारत ने अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले में तिहाड़ जेल में बंद क्रिश्चियन मिशेल के बारे में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के कार्यदल की उस रिपोर्ट को खारिज कर दिया जिसमें उसकी हिरासत को राजनीति से प्रेरित और मनमाना करार दिया गया था। मिशेल को 3700 करोड़ रुपये के अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले के सिलसिले में संयुक्त अरब अमीरात में गिरफ्तार कर भारत भेजा गया था। वह दिसंबर 2018 से तिहाड़ जेल में बंद हैं। अति विशिष्ट लोगों के लिए मनमोहन सरकार के दौरान हेलीकॉप्टर खरीद का सौदा हुआ था। भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद इसे रद्द कर दिया गया था। संयुक्त राष्ट्र के ‘एकतरफा हिरासत’ संबंधी कार्यदल ने एक बयान में कहा था कि अमीरात में मिशेल की गिरफ्तारी गैर-कानूनी थी। भारत में उसे जेल में रखा जाना मनमाना रवैया है। कार्यदल ने अभियुक्त की हिरासत को राजनीति से प्रेरित बताते हुए कहा कि जेल में उसे बहुत शोचनीय दशा में रखा गया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने शुक्रवार को कार्यदल की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कार्यदल के आरोप तथ्यों से परे हैं। भारत सरकार कार्यदल के निष्कर्षों को खारिज करती है। प्रवक्ता ने कहा कि कार्यदल कोई न्यायिक संस्था नहीं है तथा उसके विचार किसी सदस्य देश पर बाध्यकारी नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि यह खेद की बात है कि कार्यदल का निष्कर्ष सीमित जानकारी और अज्ञात सूत्रों के आरोपों पर आधारित है। कार्यदल को भारत की न्याय दंड प्रणाली की समझ नहीं है। मिशेल को अमीरात से भारत भेजे जाने के संबंध में प्रवक्ता ने कहा कि दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि है तथा प्रत्यर्पण पूरी तरह कानूनी प्रक्रिया के तहत हुआ है। इसे किसी भी प्रकार से मनमाना नहीं कहा जा सकता। विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि मिशेल को कभी भी वकील रखने और निष्पक्ष सुनवाई से वंचित नहीं किया गया है। यह इस बात से जाहिर है कि उच्च न्यायपालिका सहित विभिन्न न्यायपालिकाओं में उसने गुहार लगाई थी। उसे अपने देश के राजनयिकों से मिलने की सुविधा भी दी गई है। जहां तक तिहाड़ जेल के हालात का सवाल है, अभियुक्त को नियमों के अनुसार सभी सुविधायें दी जा रही हैं। भारत में मानवाधिकारों के संरक्षण की पुख्ता व्यवस्था है तथा इसके लिए उच्चाधिकार प्राप्त राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग है। आर्थिक भगौड़े नीरव मोदी को भारत भेजे जाने के ब्रिटेन की प्रत्यर्पण अदालत के फैसले के बाद पश्चिमी देशों की मीडिया में यह अटकलबाजी लगाई जा रही थी कि इससे मिशेल की रिहाई का रास्ता खुल सकता है। कार्यदल की रिपोर्ट को इसी कवायत का हिस्सा माना जा रहा है। हिन्दुस्थान समाचार/अनूप

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