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जलवायु परिवर्तन पर संवेदनशील देशों में भारत, पाकिस्तान शामिल

इस्लामाबाद, 22 अक्टूबर (आईएएनएस)। यूएस ऑफिस ऑफ डायरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस (ओडीएनआई) की एक ताजा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान और भारत उन 11 देशों का हिस्सा हैं, जिन्हें पर्यावरण और सामाजिक संकट से निपटने की क्षमता के लिहाज से बेहद संवेदनशील माना गया है। अत्यधिक संवेदनशील देशों के रूप में चिह्न्ति किए गए देशों में अफगानिस्तान, म्यांमार, इराक, उत्तरी कोरिया, ग्वाटेमाला, हैती, होंडुरास, निकारागुआ और कोलंबिया भी शामिल हैं। गर्मी, सूखा, पानी की उपलब्धता और अप्रभावी सरकार जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए बुनियादी सुविधाओं और उपकरणों की कमी के कारण देशों को अत्यधिक संवेदनशील के रूप में पहचाना गया है। रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान विशेष रूप से गर्मी, सूखे और पानी की उपलब्धता की चुनौतियों के कारण एक प्रमुख चिंता का विषय बना हुआ है। इसके अलावा, भारत और दक्षिण एशिया के अन्य हिस्सों में जल विवाद भी एक प्रमुख भू-राजनीतिक बिंदु है। ओडीएनआई ने भविष्यवाणी की है और अनुमान लगाया है कि ग्लोबल वर्ा्िमग बढ़ेगी और भू-राजनीतिक तनाव और अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जोखिम को तेज करेगी। रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए दुनिया भर में विभिन्न दृष्टिकोणों और असमानताओं पर भी प्रकाश डाला गया है, जिसमें कहा गया है कि जीवाश्म ईंधन के निर्यात पर निर्भर देश, इससे संबंधित आर्थिक, राजनीतिक और भू-राजनीतिक लागत को देखते हुए शून्य-कार्बन दुनिया का विरोध करना जारी रखते हैं। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों ने निश्चित रूप से इस क्षेत्र में अपना स्पष्ट प्रभाव दिखाया है क्योंकि मौसम में परिवर्तन और लंबे समय तक चरम मौसम देखा जा रहा है। दक्षिण एशियाई क्षेत्र में पानी की बड़ी कमी की चुनौतियां हैं, जिसने लाखों लोगों के जीवन को भी प्रभावित किया है, जो न केवल स्वास्थ्य में गिरावट का सामना कर रहे हैं, बल्कि कृषि भूमि के सूखने के कारण उनके वित्तीय प्रबंधन को भी गंभीर बना रहे हैं। पूर्व सीनेटर और पर्यावरणविद् जावेद जब्बार ने कहा, जलवायु परिवर्तन इसे दो तरह से प्रभावित करेगा, भारी बारिश एक तरफ गेहूं, चावल, गन्ना, मक्का और कपास जैसी प्रमुख फसलों को नष्ट कर देगी और वार्षिक मौसम के बदलते पैटर्न के कारण, हमारे किसान मौसम की ठीक से भविष्यवाणी करने में असमर्थ होंगे। --आईएएनएस आरएचए/एएनएम

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