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भारत ने अमेरिका से उठाया अपने विशिष्ट जलक्षेत्र में उसके युद्धपोत के प्रवेश का मुद्दा

नई दिल्ली, 09 अप्रैल(हि.स.)। भारत ने लक्षद्वीप के पास अपने विशिष्ट आर्थिक परिक्षेत्र में अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े के विध्वंसक पोत के गुजरने से जुड़ी चिंताओं से अमेरिका को अवगत कराया है। विदेश मंत्रालय के अनुसार भारत ने राजनयिक माध्यमों से विध्वंसक पोत यूएसएस जॉन पॉल जोन्स के गुजरने के बारे में अमेरिका से चिंता जताई है। साथ ही यह भी कहा है कि अमेरिकी युद्धपोत पर फारस की खाड़ी से मलक्का जलसंधि तक के नौवहन के दौरान लगातार निगरानी रखी गई थी। मंत्रालय ने अमेरिकी कार्रवाई की परोक्ष रूप से आलोचना करते हुए कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार किसी देश के विशिष्ट आर्थिक परिक्षेत्र और जलमग्न सीमा में सैनिक अभ्यास या ऐसी ही गतिविधियां चलाने के लिए संबंधित देश की अनुमति आवश्यक है। भारत का यह घोषित मत संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संबंधी संधि के अनुरूप है। संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संबंधी संधि के अनुसार कोई देश अपने तट से 22 किमी तक अपनी सीमा और 200 किमी तक विशिष्ट आर्थिक परिक्षेत्र घोषित कर सकता है। भारत ने इस संधि पर हस्ताक्षर किए हैं जबकि अमेरिका इस संधि में शामिल नहीं है। हाल ही में अमेरिका ने लक्षद्वीप के पास भारत के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र संबंधी दावे को चुनौती है। अमेरिका के सातवें बेड़े के युद्धपोत ने 7 अप्रैल को लक्षद्वीप के पास भारत के विशिष्ट आर्थिक परिक्षेत्र में प्रवेश किया था। साथ ही अमेरिकी नौसेना ने इस कार्रवाई पर बयान जारी कर नौवहन संबंधी अधिकार और स्वतंत्रता के उपयोग की बात कर इसे सही ठहराया था। अमेरिकी नौसेना की दलील है कि भारत का उसके विशेष आर्थिक परिक्षेत्र में सैनिक अभ्यास या ऐसी ही गतिविधियों के बारे में उसकी सहमति हासिल करने की नीति अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप नहीं है। हिन्दुस्थान समाचार/सुफल/अनूप

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