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सैन्य तैनाती हटने के 48 घंटे बाद भारत-चीन के सैन्य अधिकारी करेंगे बातचीत, डब्ल्यूएमसीसी की बैठक की तिथि तय नहीं: विदेश मंत्रालय

नई दिल्ली, 12 फरवरी (हि.स.)। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख के प्योंगयांग झील इलाके में दोनों देशों के सैन्य अधिकारी सेनाओं के पीछे हटने का काम पूरा होने के 48 घंटे बाद बकाया मुद्दों पर बातचीत करेंगे। सैन्य कमांडरों की बातचीत का यह 10वां दौर होगा। वहीं, सीमा संबंधी मुद्दों पर विचार-विमर्श और समन्वय संबंधी प्रणाली (डब्ल्यूएमसीसी) के तहत होने वाली 10वीं बैठक की तिथि अभी तय नहीं है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने साप्ताहिक पत्रकार वार्ता में चीन के साथ सेनाओं को पीछे हटाने पर बनी सहमति पर पूछे गए सवालों के जवाब में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के संसद में दिए बयान का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री ने सीमा की स्थिति के बारे में विस्तार से तथ्य रखे हैं। उन्होंने कहा कि भारत-चीन के बीच सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर कई दौर के विचार-विमर्श के बाद यह सहमति बन पायी है। प्रवक्ता ने भारतीय सेनाओं को पीछे हटाने को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के आरोपों के जवाब में रक्षा मंत्रालय के बयान का हवाला दिया। इसमें कहा गया था कि भारत ने प्योंगयांग झील इलाके में अपनी कोई भूमि चीन को नहीं सौंपी है। रक्षा मंत्रालय ने राहुल के बयान पर सख्त लहजे में बयान जारी करते हुए कहा था कि पूर्वी लद्दाख में भारत के सैनिकों की उपलब्धि पर संदेह व्यक्त करना, वास्तव में हमारे जवानों का अपमान है। बयान में कहा गया कि इस क्षेत्र में फिंगर चार तक भारतीय सीमा क्षेत्र के होने की बात सरासर गलत है। भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को सीमा क्षेत्र के फिंगर 8 तक मानता है न की 4 तक। यही कारण है कि भारत फिंगर 8 तक गश्त करने के अधिकार की बात करता है। चीन के साथ बनी सहमति में भी भारत का यही रूख है। बयान में कहा गया है कि भारत ने एलएसी का सम्मान और यथास्थिति में एक-तरफा बदलाव को रोकना सुनिश्चित किया है। साथ ही भारत के मानचित्र में प्रदर्शित की जाने वाली देश की सीमा क्षेत्र का 43 हजार वर्ग किमी भू-भाग 1962 से ही चीन के अवैध कब्जे में है। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को चीन के साथ सीमा विवाद के मुद्दे पर पत्रकार वार्ता कर केंद्र सरकार पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि सरकार साफ करे कि सेना को कैलाश रेंज से पीछे हटने को क्यों कहा गया? आखिर देपसांग प्लेन्स से चीन वापस क्यों नहीं गया? हमारी जमीन फिंगर-4 तक है, तो फिर किस हक से मोदी जी ने फिंगर-3 से फिंगर-4 की जमीन चीन को पकड़ा दी। हिन्दुस्थान समाचार/अनूप/सुफल-hindusthansamachar.in

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