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भारत-बांग्लादेश : परमाणु व अंतरिक्ष ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग पर सहमति

अजीत पाठक/सुफल ढाका/नई दिल्ली, 27 मार्च (हि.स.)। भारत और बांग्लादेश ने असैन्य परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष क्षेत्र में एक दूसरे को सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के बीच शनिवार को द्विपक्षीय प्रतिनिधिमंडल वार्ता के दौरान सुरक्षा, परमाणु ऊर्जा, संपर्क सुविधा, कृत्रिम बुद्धिकौशल आदि मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया। भारत बांग्लादेश के रूपपुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र में ट्रांसमिशन लाइनों के निर्माण के लिए कर्ज देगा। भारतीय कंपनियां इस काम को पूरा करेंगी। बांग्लादेश ने द्विपक्षीय सहयोग का विस्तार अंतरिक्ष क्षेत्र में भी करने की इच्छा व्यक्त की, जिस पर भारत ने सकारात्मक रुख अपनाया। वर्ष 1971 के स्वाधीनता संग्राम की स्मृति को संजोने के लिए दोनों देशों ने छह दिसम्बर को हर वर्ष 'मैत्री दिवस' के रूप में मनाने का निश्चय किया। भारत ने 6 दिसम्बर 1971 को बांग्लादेश को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दी थी। दोनों देशों ने बांग्लादेश की आजादी की स्वर्ण जयंती कार्यक्रम को दुनिया के 19 देशों में मनाने का फैसला किया है। दोनों नेताओं ने भारत, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और म्यांमार के बीच सड़क संपर्क परियोजनाओं को आगे बढ़ाने का भी फैसला किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी बांग्लादेश यात्रा के बारे में कहा कि प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ उनकी बातचीत बहुत सार्थक रही। मोदी ने ट्वीट कर कहा कि हमने द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण दायरे की समीक्षा की। साथ ही आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को गहरा बनाने के उपायों पर विचार किया। एक अन्य ट्वीट में मोदी ने कहा कि दोनों देशों के बीच आपदा प्रबंधन, प्रौद्योगिकी, व्यापार, खेल-कूद और युवा मामलों के संबंध में करारों पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जिससे दोनों देशों की जनता को बहुत लाभ होगा। दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच वार्ता का ब्यौरा देते हुए विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री हसीना के बीच बातचीत के दौरान तीस्ता और फेमी नदियों के जल बंटवारे पर भी चर्चा हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने सभी संबंधित पक्षों से विचार-विमर्श कर यथाशीघ्र किसी समझौते पर पहुंचने की आशा व्यक्त की। दोनों नेताओं ने पड़ोसी देश म्यांमार के घटनाक्रम और रोहिंग्या शरणार्थियों की समस्या पर भी विचार विमर्श किया। श्रृंगला ने कहा कि भारत एकमात्र देश है, जिसकी सीमाएं म्यांमार और बांग्लादेश दोनों से मिलती हैं। भारत चाहता है कि म्यांमार के रखाइन सूबे में ऐसा सुरक्षित माहौल बने, ताकि वहां रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी हो सके। उन्होंने कहा कि भारत ने रखाइन प्रांत में आधारभूत ढांचे के विकास की अनेक परियोजनाओं को हाथ में लिया है। भारत वहां आवासीय बस्तियों का निर्माण भी कर रहा है। विदेश सचिव ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य के रूप में भारत पुरजोर कोशिश करेगा कि म्यांमार में सामान्य हालात बहाल हों। हिन्दुस्थान समाचार

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