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भारत-आस्ट्रेलिया ने संयुक्त कार्यसमूह के माध्यम से की साइबर सुरक्षा पर चर्चा

नई दिल्ली, 10 जून (हि.स.)। भारत और ऑस्ट्रेलिया ने गुरुवार को साइबर सुरक्षा खतरे के आकलन के साथ-साथ कानून और राष्ट्रीय साइबर रणनीतियों पर जानकारी साझा की। दोनों ने इस बात को रेखांकित किया कि महत्वपूर्ण सूचना बुनियादी ढांचे के साथ-साथ 5जी प्रौद्योगिकी और इंटरनेट से जुड़े उपकरणों की सुरक्षा को मजबूत करना जरूरी है। इसको देखते हुए भारत और ऑस्ट्रेलिया निजी क्षेत्र और शिक्षाविदों के साथ सहयोग बढ़ाने और कौशल व ज्ञान विकास में एक साथ काम करने पर सहमत हुए। दोनों पक्ष बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग को मजबूत करने पर भी सहमत हुए। भारत और आस्ट्रेलिया के बीच साइबर सुरक्षा सहयोग पर गुरुवार को संयुक्त कार्यसमूह की पहली बैठक हुई। विदेश मंत्रालय के निदेशक (ओशिनिया) पॉलोमी त्रिपाठी और ऑस्ट्रेलिया के व्यापार और विदेश विभाग में साइबर मामले व महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी विशेष सलाहकार राहेल जेम्स ने साइबर सुरक्षा पर चर्चा करने के लिए विशेषज्ञों के संबंधित प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। विदेश मंत्रालय के अनुसार साइबर सुरक्षा सहयोग पर संयुक्त कार्य समूह महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी सहयोग पर फ्रेमवर्क व्यवस्था के तहत स्थापित एक तंत्र है। फ्रेमवर्क के तहत 2020-25 की कार्य योजना को लागू किया जाएगा। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच साइबर और साइबर-सक्षम द्विपक्षीय सहयोग नीति निर्माताओं और कार्य स्तर के विशेषज्ञों को एक साथ लाता है। जेडब्ल्यूजी की इस पहली बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने 4 जून 2020 को दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच हुए वर्जुअल शिखर सम्मेलन के दौरान बनी व्यापक रणनीतिक साझेदारी (सीएसपी) से जुड़ी अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। दोनों पक्ष अगली द्विपक्षीय साइबर नीति वार्ता और सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) पर उद्घाटन जेडब्ल्यूजी बैठक के शीघ्र आयोजन की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इस दौरान दोनों देशों ने साइबर और साइबर-सक्षम महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी सहयोग पर रूपरेखा व्यवस्था द्वारा पहचाने गए डिजिटल अर्थव्यवस्था, साइबर सुरक्षा और महत्वपूर्ण व उभरती प्रौद्योगिकियों के क्षेत्रों में एक साथ काम करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। हिन्दुस्थान समाचार/अनूप

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