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पश्चिम बंगाल बीकानेर-गुवाहाटी एक्सप्रेस हादसे की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में फर्जी निरीक्षण का मामला सामने आया

नई दिल्ली, 12 फरवरी (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में बीते 13 जनवरी को हुए हादसे रेल संरक्षा आयुक्त की रिपोर्ट में एक गंभीर गड़बड़ियों का भी खुलासा सामने आया है। जरूरी निरीक्षण के बिना करीब 18,000 किलोमीटर तक चल चुकी थी। प्रारंभिक जांच में फर्जी निरीक्षण पर भी सवाल उठाये गए हैं। गाड़ी संख्या 15633 बीकानेर-गुवाहाटी एक्सप्रेस की नार्थेस्ट फ्रंटियर रेलवे के अलीपुरद्वार डिवीजन में हुए हादसे की रेल संरक्षा आयुक्त की रिपोर्ट आ गई है। प्रारंभिक जांच में कहा गया है कि एक्सप्रेस का इंजन यात्रा संबंधी जरूरी निरीक्षण के बिना करीब 18,000 किलोमीटर तक चल चुका था, जबकि हर 4,500 किलोमीटर पर इस तरह की जांच की जरूरत होती है। रेलवे सुरक्षा आयोग ने पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के महाप्रबंधक को लिखे एक पत्र में रेल नेटवर्क पर फर्जी निरीक्षण पर भी सवाल उठाए हैं। इसमें कहा गया है कि इंजन का छह दिसंबर 2021 को पिछली बार यात्रा संबंधी निरीक्षण किया गया था। जोकि यात्रियों की जीवन से समझौता है। पत्र में लिखा है कि लोकोमोटिव का ऐसा घोस्ट एग्जामिनेशन कहीं होता है? रेलवे को इसकी जांच करनी चाहिए। सीआरएस की जांच में कई ऐसी गंभीर गड़बड़ियों का भी खुलासा हुआ है, जिससे साबित होता है कि अफसरों ने केवल कागजी कार्रवाई की है। पत्र में कहा गया, निर्धारित निरीक्षण कार्यक्रम के अनुसार वैप 4 लोकोमोटिव को प्रत्येक 4,500 किलोमीटर पर यात्रा निरीक्षण से गुजरना होता है लेकिन ऐसा नहीं किया गया था। यात्रा संबंधी निरीक्षण एक महत्वपूर्ण सुरक्षा जांच है जिसमें सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक प्रशिक्षित रेलवे अधिकारी द्वारा लोकोमोटिव के उपकरणों को जांचा जाता है। रेलवे सुरक्षा आयोग के पत्र में कहा गया है, यह उम्मीद की जाती है कि रेलवे ने एक निगरानी प्रणाली को संस्थागत रूप दिया है ताकि यह प्रक्रिया समय पर की जाए। रेलवे सुरक्षा आयोग ने सिफारिश की है कि रेलवे यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए कि प्रत्येक लोकोमोटिव के लिए यात्रा निरीक्षण की निगरानी की जाए। आयोग ने कहा है कि यह सुनिश्चित करना रेलवे की जिम्मेदारी होगी कि एक इंजन समय पर यात्रा निरीक्षण सहित सभी निर्धारित प्रक्रिया से गुजरे। आयोग ने कहा कि लोको लिंक की जांच करने और जहां भी आवश्यक हो जरूरी सुधारात्मक कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए रेलवे के सुरक्षा संगठन का मसौदा तैयार किया जाना चाहिए। हादसे की अंतिम रिपोर्ट अभी नहीं आई है। इंजन के पटरी से उतरने के कारण नौ लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना में उत्तर मध्य रेलवे के आगरा डिवीजन और पूर्वोत्तर रेलवे का भी जिक्र है जहां लोकोमोटिव के मिस लिंक की बात कही गई है। सीआरएस ने कहा है कि लास्ट ट्रिप इंस्पेक्शन सेफ्टी से जुड़ा गंभीर मामला है। इसकी टीआई अनिवार्य तौर पर समय पर होनी चाहिए थी, लेकिन नहीं हुई। सीआरएस ने लिखा है कि लोकोमोटिव का ऐसा घोस्ट एक्जामिनेशन कैसे होता है? यह जांच का विषय है। सीआरएस की यह जांच रिपोर्ट रेलवे अफसरों के कामकाज के तौरतरीके पर रोंगटे खड़े कर देने वाली है। फिलहाल, 10 फरवरी 2022 को जारी हुई इस रिपोर्ट पर रेल मंत्रालय क्या कदम उठाता है? यह देखने वाली बात होगी। --आईएएनएस/ पीटीके/आरएचए

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