In honor of the martyred farmers, Youth Congress launches 'A handful of soil martyrs' campaign
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शहीद किसानों के सम्मान में युवा कांग्रेस ने शुरू किया ‘एक मुट्ठी मिट्टी शहीदों के नाम' अभियान

नई दिल्ली, 09 जनवरी (हि.स.)। कांग्रेस की युवा इकाई ने केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के सम्मान में शनिवार को ‘एक मुट्ठी मिट्टी शहीदों के नाम' अभियान शुरू किया है। भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बी.वी. ने कहा कि खेती को बर्बाद करने वाले कानूनों के खिलाफ आंदोलन में 60 से ज्यादा किसान शहीद हुए हैं। इन शहीदों को सम्मान देने के लिए आज ‘एक मुट्ठी मिट्टी शहीदों के नाम' अभियान शुरू किया गया है। इसका उद्देश्य आंदोलन में शहीद हुए किसानों के घर, जिले, शहर से मिट्टी लाएंगे। इस मिट्टी से हम राज्य का नक्शा बनाएंगे उस मिट्टी को हम नरेंद्र मोदी के पास भी भेजेंगे और सरकार को जगाने का काम करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी पर तंज कसते हुए श्रीनिवास ने कहा कि साल 2014 में चुनाव के समय उन्होंने अपने भाषणों में कहा था कि सौगंध खाते हैं इस मिट्टी को झुकने नहीं देंगे। लेकिन आज उनकी सरकार देश के अन्नदाताओं को ही मिट्टी में मिलाने का काम कर रही है। अमेरिका की वर्तमान स्थिति को लेकर भी उन्होंने प्रधानमंत्री पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मोदी जी अमेरिका के लोकतंत्र की चिंता तो करते हैं लेकिन उनके आवास से कुछ किलोमीटर दूर धरने पर बैठे किसानों की आवाज उन्हें सुनाई नहीं देती। इस सरकार को गरीबों को कोई चिंता नहीं है। युवा कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने कहा कि 'एक मुट्ठी मिट्टी शहीदों के नाम' अभियान के द्वारा भारतीय युवा कांग्रेस के कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर मिट्टी एकत्रित करेंगे। साथ ही यह संदेश भी देंगे कि संविधान ने अधिकार दिया है कि किसान अपने अधिकारों की रक्षा को लेकर अहिंसक आंदोलन के लिए स्वतंत्र हैं। उन्होंने कहा कि सरकार मनमाने ढंग से किसी भी व्यक्ति पर उसकी मर्जी के खिलाफ कोई कानून थोप नहीं सकती। युवा कांग्रेस यथाशीघ्र तीनों कानूनों को वापस लिये जाने को मांग करती है। उल्लेखनीय है कि दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 44 दिनों से किसानों का आंदोलन चल रहा है। इस बीच कृषि कानूनों को लेकर किसानों और सरकार के बीच उपजा विवाद आठ दौर की वार्ता के बाद भी समाप्त नहीं हो सका है। किसान संगठन अब भी तीनों कृषि कानून वापस लेने की मांग पर अड़े हैं, जबकि सरकार का कहना है कि वो संशोधन के लिए तैयार है लेकिन कानून वापस लेने के लिए नहीं। हिन्दुस्थान समाचार/आकाश-hindusthansamachar.in

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