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सामूहिक चर्चा के बाद लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय: जेएनयू वीसी

दिल्ली, 10 सितंबर (आईएएनएस)। जेएनयू ने आतंकवाद के खिलाफ एक विशेष पाठ्यक्रम तैयार किया है। यह पाठ्यक्रम भारतीय परिप्रेक्ष्य में तैयार किया गया है। जेएनयू की अकादमिक काउंसिल और कार्यकारी परिषद भी इस पाठ्यक्रम मंजूरी दे चुकी है। जेएनयू के कई शिक्षकों समेत कुछ लोगों ने इस पाठ्यक्रम पर आपत्ति जताई है। शिक्षकों ने आरोप लगाया है कि कार्यकारी परिषद की बैठकों में इसपर पर्याप्त चर्चा नहीं हुई है। भाकपा के सांसद बिनाय विश्वम ने भी इसपर अपना विरोध दर्ज किया है और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान को पत्र भी लिखा था। जेएनयू के कुलपति एम जगदीश कुमार ने इसके जवाब में कहा कि विश्वविद्यालय में महत्वपूर्ण निर्णय सामूहिक रूप से लिए जाते हैं। इस प्रकार की आलोचना से संस्थान की छवि को नुकसान होता है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने भी ऐसे ही आरोप लगाए हैं और कहा कि कार्यकारी परिषद की बैठक में महत्वपूर्ण चर्चा नहीं होने दी गई। शिक्षकों विश्वविद्यालय में मेडिकल स्कूल बनाने की भी आलोचना की है। कुलपति एम जगदीश कुमार ने कहा कि मेडिकल स्कूल की स्थापना व आतंकवाद विरोधी पाठ्यक्रम पर अकादमिक परिषद और कार्यकारी परिषद में पर्याप्त चर्चा की गई है। इन चर्चाओं के उपरांत ही इन प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है। मेडिकल कॉलेज और अस्पताल से संबंधित सभी मंजूरी निर्धारित समय पर मिलने की स्थिति में जेएनयू विश्वविद्यालय परिसर में यह अस्पताल वर्ष 2024 तक शुरू हो सकेगा। यह अस्पताल जेएनयू के स्कूल ऑफ मेडिकल साइंस के अंतर्गत काम करेगा। जेएनयू अकादमिक परिषद (एसी) ने इसको मंजूरी दी है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने कहा कि जेएनयू में इस प्रकार के मेडिकल स्कूल की काफी आवश्यकता महसूस की जा रही थी। इसलिए यहां आधुनिक तकनीक व स्वास्थ्य सेवाओं पर आधारित मेडिकल स्कूल खोलने का निर्णय लिया गया है। इसके तहत चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विज्ञान में विविध पाठ्यक्रमों की शुरूआत पर विचार किया जा रहा है। --आईएएनएस जीसीबी/एएनएम

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