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प्रभावित राज्यों के साथ जल्द ही नक्सलवाद स्थिति की समीक्षा करेगा गृह मंत्रालय

नई दिल्ली, 20 सितम्बर (आईएएनएस)। नक्सलवादियों के कमजोर पड़ने और देश में हिंसा प्रभावित जिलों में सुधार के बीच गृह मंत्रालय जल्द ही संबंधित राज्यों के साथ वामपंथी नक्सलवाद की स्थिति की समीक्षा करेगा। सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने यह भी बताया कि गृह मंत्री अमित शाह ऐसे राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ जमीनी स्थिति और इन नक्सलवादियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने के लिए नई रणनीति बनाने पर चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा कि विभिन्न ढांचागत विकास योजनाओं जैसे सड़क की आवश्यकता और कनेक्टिविटी और 35 वामपंथी नक्सलवाद प्रभावित (एलडब्ल्यूई) जिलों में आकांक्षी जिलों के कार्यक्रम की भी प्रगति की जाएगी। छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र और केरल अलग-अलग डिग्री वाले एलडब्ल्यूई प्रभावित राज्य हैं। सुरक्षा व्यवस्था के अधिकारियों ने कहा कि माओवादी हिंसा के मामले में सबसे अधिक प्रभावित जिलों की संख्या भी 30 से घटकर 25 हो गई है। इन जिलों में नक्सलवादी हिंसा का 85 प्रतिशत हिस्सा है। मंत्रालय इस बात की भी समीक्षा करेगा कि मध्य प्रदेश के मंडला जिले में नक्सलवादियों का प्रभाव क्यों बढ़ गया है, जिसे डिस्ट्रिक ऑफ कंसर्न यानी चिंताजनक जिले के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जबकि राज्य के बालाघाट को 25 में से सबसे अधिक प्रभावित जिले में अपग्रेड किया गया है। सूत्रों ने बताया कि हाल ही में गृह मंत्रालय ने सुरक्षा संबंधी व्यय (एसआरई) योजना के तहत केंद्रीय वित्त पोषण के लिए नक्सलवाद प्रभावित 90 जिलों की सूची से 20 जिलों को हटा दिया है। अधिकारियों ने कहा कि उत्तर प्रदेश पूरी तरह से एसआरई योजना के दायरे से बाहर है, क्योंकि इसके तीन जिलों, चंदौली, मिर्जापुर और सोनभद्र को अब इन अतिवादियों को रोकने के लिए लक्षित हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। एसआरई योजना के तहत, केंद्र राज्यों द्वारा किए गए खर्च के बड़े हिस्से की प्रतिपूर्ति करता है, जिसमें नक्सलवादियों द्वारा मारे गए नागरिकों और सुरक्षा कर्मियों को अनुग्रह भुगतान, गतिशीलता, रसद और संचार पर खर्च और केंद्रीय अर्धसैनिक बल और पुलिस बलों द्वारा नक्सलियों के खिलाफ संचालन के लिए उपयोग किए जाने वाले गोला-बारूद भी शामिल हैं। --आईएएनएस एकेके/एएनएम

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