himachal-pradesh-to-connect-27000-self-help-groups-with-online-platform
himachal-pradesh-to-connect-27000-self-help-groups-with-online-platform

27,000 स्वयं सहायता समूहों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से जोड़ेगा हिमाचल प्रदेश

शिमला, 19 सितम्बर (आईएएनएस)। करीब 2.80 लाख महिलाओं के साथ 27,000 स्वयं सहायता समूहों द्वारा बनाए गए उत्पादों को व्यापक बाजार प्रदान करने के लिए, हिमाचल प्रदेश उन सभी को केंद्र सरकार और निजी कंपनियों, राज्य ग्रामीण विकास के ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से जोड़ेगा। प्रदेश के मंत्री वीरेंद्र कंवर ने रविवार को यह बात कही। उन्होंने कहा कि यह मंच दूरदराज के पिछड़े क्षेत्रों में रहने वाले छोटे कारीगरों को विश्व स्तर पर अपने हस्तनिर्मित (हाथ से बनाए गये) उत्पादों को बाजार में लाने में सक्षम बनाएगा। उन्होंने कहा कि सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) के माध्यम से उत्पादों को अपलोड करने की प्रक्रिया जारी है। इसी तरह हिम ईरा ब्रांड के तहत बने स्वयं सहायता समूहों के उत्पाद भी अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी निजी ई-कॉमर्स साइटों पर उपलब्ध कराए जाएंगे। स्वयं सहायता समूहों को स्थायी आजीविका के अवसर प्रदान करने के लिए आवश्यक मानकीकरण प्रक्रिया और गुणवत्ता की जांच पूरे किए जा रहे हैं। मंत्री ने कहा, यह स्वयं सहायता समूहों को सरकार की सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली के साथ भी एकीकृत करेगा, जिसका मतलब, उनकी बिक्री के लिए आसान भुगतान होगा। सरकार उन्हें अपने उत्पादों की ब्रांडिंग, पैकेजिंग और मूल्य निर्धारण में भी मदद करेगी ताकि उन्हें अधिक बिक्री योग्य बनाया जा सके। नया प्लेटफॉर्म राजस्व सृजन के दरवाजे खोलेगा। वर्तमान में उत्पादों को सरकारी एम्पोरियम में बिक्री के लिए प्रदर्शित किया जा रहा है। पर्यटन विभाग भी अपने उत्पादों को अपने सभी होटलों में मुफ्त में प्रदर्शित करने पर सहमत हो गया है। महानगरों में रहने वाले लोगों के बीच सूखे मेवे, औषधीय जड़ी-बूटियों, शहद, मसालों, हस्तशिल्प और हथकरघा जैसे जातीय जैविक उत्पादों की भारी मांग है। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, 12,000 से अधिक स्वयं सहायता समूह कृषि उत्पादों के अलावा अन्य गतिविधियों में शामिल हैं और कुछ 15,000 राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के दायरे में कृषि संबंधी गतिविधियां कर रहे हैं। वे जो उत्पाद बनाते हैं, वे आमतौर पर 40 हिम इरा की दुकानों में बेचे जाते हैं, जिनमें से प्रत्येक की औसत बिक्री 45,000 रुपये प्रति माह होती है। सरकार का लक्ष्य ऐसी 100 और दुकानें स्थापित करने का है। इसके अलावा, खंड स्तर पर एक साप्ताहिक बाजार का आयोजन किया जाता है जिसमें महिलाएं अपने उत्पाद सीधे ग्राहकों को बेच सकती हैं। --आईएएनएस एचके/आरजेएस

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in